बिहार : रांगा के बदले पटुआ व रबर ट्यूब से जलबहाव बंद करने की कवायद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 जुलाई 2018

बिहार : रांगा के बदले पटुआ व रबर ट्यूब से जलबहाव बंद करने की कवायद

  • अब पी.एच.ई.डी.को मिलने वाली राशि पटना नगर निगम के हवाले

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पटना. दीघा थाना क्षेत्र में है आई.टी. आई.छात्रावास.इस छात्रावास के बगल में है जलापूर्त्ति केंद्र व जलमिनार.लाखों रूपये से निर्मित है जलमिनार.इसमें पानी चढ़ता ही नहीं है. अगर भगवान भरोसे चढ़ भी जाता है,तो स्वत: झरना की तरह पानी गिरने लगता है.लोग इसे हाथी के सफेद दांत कहकर संबोधित करते हैं.  इसी जलापूर्त्ति केंद्र के मुख्य पाइप  मोहल्ला में  पहुंचा दिया गया है.उक्त  मुख्य पाइप से लोग पाइप संयोजन करके अंदर ले जाते हैं और शुद्ध पेयजल का मजा लुटते हैं.बेहतर ढंग से पाइप से पाइपों में संयोजन नहीं करने से जलबहाव शुरू हो जाता है. यह उचित रखरखाव नहीं होने से होता है. मजे की बात है कि पी.एच.ई.डी.के द्वारा कार्य किया जाता था.पंचायत से नगर बन जाने के बाद दायित्व व सरकारी राशि सीधे पटना नगर निगम काे जाता है.चूंकि पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर- 22 ए का क्षेत्र है. पटना नगर निगम के पास धन है मगर मन नहीं है कि पूर्ण रूप से समस्या का समाधान हो सके. इसी कारण कई बार और कई वर्षों से गेट नं.93 के सामने शाह आर्केड के पास पाइप का लिकेज होते रहता है.यहाँ से हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है. कई बार शिकायत दर्ज कराने के बाद  इंजीनियर साहब मरम्मत तो कराते हैं, परन्तु कुछ ही दिनों मे फिर पानी का बहाव शुरू हो जाता है.  इससे परेशान होकर लोगों ने 3 जुलाई 2018 को सड़क पर उतरे.इसका प्रभाव पड़ा कि जलबहाव बंद करने का कार्य शुरू हुआ. गेट नं. 93 के सामने व शाह आर्केड के पास जलबहाव बंद करने वालों ने बताया कि हमलोगों को पी.एच.ई. डी.के द्वारा पटुआ और रबर ट्यूब मिला है.पटना नगर निगम ने कुछ मिट्टी काटने के लिए हेल्पर भेजा है.शेष मिट्टी हमलोगों ने ही काट दी है.उनलोगों ने कहा कि पाइप बिछाने वाले ठेकेदारों की गलती के कारण जलबहाव होता है.दो पाइपों को ठीक से जोड़ा नहीं है.जहां पटुआ डालने की जगह है वहां पटुआ डाल रहे है.जहां रबर ट्यूब से बांधना है वहां रबर ट्यूब बांध रहे हैं. एक जगह जलबहाव बंद कर देने के बाद अन्य जगहों में बहाव शुरू हो जाता है.कायदे से रांगा से बहाव बंद करना चाहिए.विभाग से रांगा मिलता ही नहीं है.केवल पटुआ और ट्यूब मिलता है .इसी से काम चलाया जाता है.सब विश्वकर्मा पर निर्भर है.दो दिन भी चल सकता है साल भर भी चल सकता है. नाउ ऑल डिपेंड ऑन लॉड विश्वकर्मा...

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