पटना, (आर्यावर्त डेस्क) 28 जुलाई। देश के अन्दर घटित हो रहा राजनीतिक घटनाक्रम फौरी तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संचालित घृणित भाजपा सरकार के खिलाफ एकताबद्ध संघर्ष की आवष्यकता को रेखांकित करता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिसने सबसे पहले इस फासिस्ट खतरे के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक व वाम ताकतों के व्यापक, साझा मंच का आह्वान किया है स्वभाविक रूप से ऐसे जन प्रतिरोध आन्दोलन के और मजबूत होने की अपेक्षा रखती है संसद में संख्याबल के आधार पर सरकार के खिलाफ अविष्वास प्रस्ताव के खारिज हो जाने के वाबजूद मोदी सरकार की नाकामयाबियों को उजागर करने में सफल रहा। प्रत्येक दिन आर.एस.एस. द्वारा मार्ग निर्देषित यह सरकार देष की मौलिक संरचना को ध्वस्त करने का प्रयास कर रही है। धर्मनिरपेक्षता, जनतंत्र, संप्रभुता एवं समाजवाद के जिन मूल्यों एवं लक्ष्यों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण हुआ है, उन पर निरंतर प्रहार हो रहा है। मोदी सरकार जनता से किए गए अपने सारे वायदों को भूल चुकी है। वह देष एवं देष के बाहर के कुछ अति संपन्न, धनाढ़यों के मुख्य कार्यकारी की तरह व्यवहार कर रही है। राफेल सौदा इस बात को उजागर करता है कि वैसे, दलालों, जो उनके राजनीतिक बंधु-बांधव एवं आर्थिक साझेदार है, के हित को साधने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। ऐसी सरकार को एक क्षण के लिए भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। 2019 के चुनाव में जनता आर.एस.एस. भाजपा को उचित पाठ पढायेगी। इस राष्ट्रीय संघर्ष में भाकपा अपनी अपेक्षित भूमिका निभाएगी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की चुनावी रणनीति निम्नलिखित होगी:-
1. आर.एस.एस-भाजपा गठजोड़ को सत्ता से बाहर करो2. संसद के भीतर संपूर्ण वामदलों, विषेषकर भाकपा की उपस्थिति को मजबूत करों।3. धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक शक्तियों की जीत को सुनिष्चित करो।
उपरोक्त रणनीति के संदर्भ में भाकपा राज्यों के अंदर मौजूद राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सहमति विकसित करेगी और गठबंधन का निर्माण करेगी। उपरोक्त तत्कालिक राजनीतिक संघर्ष के हिस्सा के रूप में भाकपा ने चार राष्ट्रीय जत्था का आयोजन किया है। हमारा नारा होगा ‘‘संविधान बचाओ, देश बचाओ"
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