मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 14 जुलाई, बिहार के पूर्व मंत्री और मधुबनी के वरिष्ट राजनेता श्री राजकुमार महासेठ का आज मधुबनी के एक निजी अस्पताल में देहांत हो गया. वो कुछ दिनों से बीमार थे और अचानक तकलीफ बढ़ जाने पर उन्हें स्थानीय निजी चिकित्सालय में भारती किया गया थे जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर फैलते ही मधुबनी शरह शोक में डूब गया. उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए सूबे की क्षति बताई.
पूर्व मंत्री श्री राज कुमार महासेठ 87 वर्ष के थे. उनके दो पुत्र श्री समीर कुमार महासेठ (विधायक मधुबनी) और इंजीनियर श्री संजीव कुमार महासेठ हैं। श्री राजकुमार महासेठ जी को चार पुत्रियां प्रोफेसर कविता नायक, कल्याणी कुमारी एवं कीर्ति कुमारी हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत छात्र नेता के रूप में शुरू की थी। इनके पिता श्री रामअवतार महासेठ मधुबनी जिले के प्रतिष्ठित व्यवसायी एवं मधुबनी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन भी रहें। तीन भाइयों में मझले भाई स्वर्गीय राजकुमार महासेठ श्री शिव शंकर महासेठ से बड़े एवं श्री बद्रीनारायण महासेठ से छोटे थे। उन्होंने मधुबनी के गोकुल मथुरा सूड़ी उच्च विद्यालय से 1948 में मैट्रिक, मधुबनी के राम कृष्ण महाविद्यालय से 1950 इंटर और उन्होंने अपनी वाणिज्य से स्नातकोत्तर की उच्चतर शिक्षा वाराणसी के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से की। उसके बाद उन्होंने दरभंगा से लॉ की पढ़ाई की और मधुबनी बार एसोसिएशन में वकालत की प्रैक्टिस की। जल्द ही मधुबनी जिले में श्री महासेठ एक प्रतिष्ठित इनकम टैक्स और सेल टैक्स के वकील में गिने जाने लगे।
उनकी राजनीति की शुरुवात बीएचयू से एक छात्र नेता के रूप में हुई। 1966 से 1972एवं 1966-1978 तक 12 वर्षों तक वे एम एल सी रहें। 1963 से 1977, 18 वर्ष तक मधुबनी के नगर पालिका के चेयरमैन की भी कुर्सी संभाली। 1980 में पहली बार वह लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। उद्धव सिचाई के वे अध्य्क्ष भी इसी बार चुने गए। वहीं 1995 में जब उन्होंने राजद के टिकट पर जीत दर्ज की तो प्रदेश में पशुपालन मंत्री बने। स्वर्गीय श्री राजकुमार महासेठ दरभंगा राज के काफी करीबी थे, राजकुमार श्री जीवेश्वर सिंह उनके सहपाठी थे। स्वर्गीय श्री राजकुमार महासेठ इप्टा के मधुबनी चैप्टर के मुख्य संरक्षक थे, उनके संरक्षण में ही वर्ष 2012 में 17 मई से 20 मई तक इप्टा का राज्य सम्मेलन सह राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह का सफल आयोजन हुआ था।

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