बिहार : वाम दलों द्वारा संयुक्त रूप से 2 अगस्त 2018 को बिहार बंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 29 जुलाई 2018

बिहार : वाम दलों द्वारा संयुक्त रूप से 2 अगस्त 2018 को बिहार बंद

  • मुजफ्फरपुर सांस्थानिक यौन उत्पीड़न मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा और भाजपा कोटे से मंत्राी सुरेश शर्मा को बर्खास्त करो!, मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेेखर वर्मा को अविलंब गिरफ्तार करो!, मुजफ्फरपुर सहित सभी रिमांड होमांें व अल्पावासों की जांच पटना उच्च न्यायालय के निर्देश न में सीबीआई से कराओ! टीआईएसएस की रिपोर्ट सार्वजनिक करो बिहार बंद को राजद द्वारा समर्थन करने की घोषणा का स्वागत.
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पटना (आर्यावर्त डेस्क) 29 जुलाई,  मुजफ्फरपुर रिमांड होम मामले में जिसकी आशंका थी वह सच हो रही है. इस सांस्थानिक यौन उत्पीड़न के तार सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेताओं तक पहुंच रहे हैं. पीड़ित बालिकाओं ने समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम लिया है. भाजपा कोटे से मंत्री सुरेश शर्मा का भी नाम सामने आ रहा है. अब सारे मामले खुल चुके हैं. समाज कल्याण विभाग के पास टाटा इंस्टीच्यूट आॅफ सोशल साइंस की रिपोर्ट महीनों से थी, फिर भी घटना के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को कई टेंडर प्रदान किए गए. जिस दिन ब्रजेश ठाकुर पर पहला एफआईआर हुआ, उसी दिन नियमों की अवहेलना करते हुए पटना में उसे मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत एक टेंडर और दिया गया. आखिर मामला सामने आने के बाद भी बिहार सरकार ब्रजेश ठाकुर को क्यांे संरक्षण देते रही? जाहिर सी बात है कि इस सत्ता प्रायोजित बर्बर किस्म के यौन उत्पीड़न में बड़े-बड़े लोगों की मिलीभगत है. आज पूरा बिहार महिला उत्पीड़न का केंद्र बन गया है. मुजफ्फरपुर तो एक दाग है ही,  सारण जिले में एक स्कूली छात्रा के साथ 18 लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार की घटना भी जगजाहिर है. इस मामले में शिक्षक व सहपाठी ही बलात्कारी हैं. गया, जहानाबाद और पूरे बिहार में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की बाढ़ सी आ गई है. जब सरकार ही किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़कों को संरक्षण दे रही हो, तो फिर इस तरह की घटनाएं कैसे रूकने वाली हैं?  

एक तरफ महिलाओं पर बर्बर किस्म के हमले हैं, तो दूसरी ओर दलित-गरीबों को भी लगातार निशाना बनाया जा रहा है. भाजपा-नीतीश की सरकार आज बिहार में गरीब उजाड़ो अभियान चला रही है. पटना शहर के गर्दनीबाग से लेकर राज्य के विभिन्न इलाकों में बरसों से बसे दलित-गरीबों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उजाड़ दिया जा रहा है. विरोध करने पर आंदोलकारियों पर मुकदमे लाद दिए जा रहे हैं. पटना के गर्दनीबाग में दलित-गरीब 50 वर्षों से भी अधिक समय से निवास कर रहे हैं. सरकार अब उस जमीन पर सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवास बनाना चाहती है. लेकिन 278 एकड़ भूभाग में फैले उस भूखंड पर दलित-गरीबों के लिए कहीं कोई जगह नहीं है. भाजपा-नीतीश के स्मार्ट सिटी में गरीबों का कोई स्थान नहीं है.  मधुबनी के खुटौना में मांझी जाति के कई लोगों के घरों को ढाह दिया गया है. मुजफ्फरपुर के सरैया में भूमि के सवाल पर ही दलित परिवार को उत्पीड़ित करने के उद्देश्य से 9 साल की लड़की के साथ बलात्कार किया गया व उसकी हत्या कर दी गई. खगड़िया में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के गांव शहरपन्नी में मुसहर समुदाय पर हमला किया गया. सहरसा के महिषी में भी दलितों को निशाना बनाया गया. दूसरी ओर, शराबबंदी के काले काूननों के तहत डेढ़ लाख दलित-गरीबों को बिहार सरकार पहले से ही जेल में बंद किए हुए है. शराबबदंी के काले कानून भी दलितों-गरीबों पर कहर बनकर टूटे हैं. आज भी बिहार में दलितों का अमानवीय शोषण बदस्तूर जारी है. बक्सर के भादा में तालाब में नहाने पर दलितों की पिटाई की गई. पटना जिला के धनरूआ में शौच के लिए तालाब का पानी लेने पर महिला की बर्बर पिटाई की गई.आए दिन इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. सामंती-अपराध्यिों का मनोबल ऊंचा है और नीतीश जी की सरकार ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.

ऐसी ही स्थिति में वाम दलों ने आगामी 2 अगस्त को बिहार बंद का आह्वान किया है. मुजफ्रपफरपुर रिमांड होम मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व सुरेश शर्मा की बर्खास्तगी और मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा की गिरफ्रतारी इस बंद की प्रमुख मांगें हैं. आंदोलनों के दबाव में सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा तो की है, लेकिन हम पटना उच्च न्यायालय के निर्देशन में मुजफ्फरपुर सहित सभी रिमांड होमों की सीबीआई जांच और टिस की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करते हैं. वाम नेताओं ने 2 अगस्त के बिहार बंद के लिए राजद के सक्रिय समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है. उन्होंने 

अन्य विपक्षी दलों से भी विपक्षी पार्टियों से बिहार बंद को सपफल बनाने की अपील की है.  बैठक में सीपीआई, सीपीआई-एम, भाकपा-माले, एसयूसीआईसी, आरएसपी, पफारवर्ड ब्लाॅक पार्टी के नेता शामिल थे. मुख्य रूप से भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, केडी यादव, संतोष सहर; सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह व रामनरेश पांडेय; सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, अरूण मिश्रा व सर्वोदय शर्मा, एसयूसीआईसी के सूर्यंकर जितेन्द्र तथा आरएसपी के वीरेन्द्र ठाकुर बैठक में उपस्थित थे.

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