बेशक, बुआ बबुआ का मिलन बीजेपी के लिए यूपी में बड़ी चुनौती है। तमाम गुणाभाग व सोशल इंजिनियरिंग के तिकड़म के बाद बीजेपी समझ चुकी है, यूपी में उसे बुआ-बबुआ के आगे दाल नहीं गलेगी। जबकि दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही गुजरता है। ऐसे में 2019 से पहले बीजेपी जीत के लिए एक-एक सीट पर माथापच्ची अभी से तेज कर दी है। चुन-चुन कर उस दांव पेंच का इस्तेमाल कर रही है, जो उसे जीत की गारंटी देते है। चुनाव के दौरान क्षत्रपों के हर किले को ढहाने में महारत हासिल कर चुके मोदी यूपी में बुबा-बबुआ के जातिय तिलिस्म को विकास से भेदने का रास्ता चुना है तो अमित शाह को पूरा भरोसा है कि बुआ-बबुआ से नाराज लोगों को अपने पाले में लाकर हर सीट जीतेंगे। ये दांव-पेंच कितना कारगर होगा, ये चुनाव परिणाम बतायेंगे, लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर आएं मोदी द्वारा आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, मिर्जापुर में बाणसागर परियोजना व बनारस में फूड प्रसंकरण की स्थापना को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है
चाहे वो 2014 हो या 2017 मोदी का ही तिलिस्म था कि बुआ-बबुआ से लेकर वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस की बैंड बज गयी थी। मोदी के आंधी में बबुआ की पार्टी जहां अपने परिवार तक ही सिमट गयी वहीं बुआ की पार्टी का खाता भी नहीं खुला। दोनों के अपने-अपने अस्तित्व के लाले पड़ गए। शायद इसी अस्तित्व को बचाने के लिए बुआ और बबुआ न चाहते हुए भी एक हो गए है। चुनाव में टिकट बटवारे तक दोनों साथ-साथ रहे इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन मोदी या यूं कहें बीजेपी दोनों के मिलन से होने वाले खतरे से निपटने के लिए अभी से दांव चलना शुरु कर दी है। मोदी को पता है कि उनके निशाने पर जातिवादी राजनीति होगी। इसी जातिवादी राजनीति के काउंटर के लिए मोदी ने विकास का रास्त चुना है। माना जा रहा है चुनाव से पहले मोदी पूर्वांचल समेत पूरे यूपी में इतना काम कर दिया जाएं कि जातियों को खेमे में बांटकर राजनीति करने वालों की तिलिस्म हवा-हवाई हो जाय। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर आएं नरेंद्र मोदी ने चाहे वो आजमगढ़ हो या मिर्जापुर बनारस अपनी रैली में बुआ-बबुआ को कुछ इस अंदाज में घेरा कि सिवाय दोदने के दोनों के पास कोई जवाब नहीं हैं। सभाओं में बुआ-बबुआ का नाम लिए बगैर कहा कि जिन योजनाओं का शिलान्यास व उ्घाटन ‘हमने‘ की है कि दुहाई दे रहे है, वो अपने कार्यकाल में पूरी क्यों नहीं करा सके। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बाणसागर परियोजना हो या फिर गंगा पर बना चुनार पुल। यह ऐसी परियोजनायें थीं जिनकी नींव भले ही पूर्ववर्ती सरकारों ने रखी मगर उसके लिए कोई ठोस पहल ही नहीं की। कई सरकारें आयी और गई मगर चार दशक पुरानी बाणसागर परियोजना लटकी रह गई। इसी तरह पूर्वांचल एक्सप्रेस पर एक ईंट नहीं रखी जा सकी। चुनार पुल तो अटकी परियोजना का बड़ा गवाह है। वर्ष 2006 में सपा सरकार ने पुल का शिलान्यास किया। दो सरकारें बदल गई मगर लटकी, अटकी एवं भटकी परियोजाओं को जमीन पर उतारने का श्रेय बीजेपी को जाता है। लगे हाथ मोदी ने जनता से अपील की जातिवाद के बहकावे में ना आएं, जातिगत मुद्दों से देश के विकास में रुकावट आएगी। जाति की राजनीति करने वालों के पिछले कार्यकाल को जनता देख सकती है कि घोषणाएं तो खूब हुई, परियोजनाओं के नाम गिना-गिना कर दावे किए जा रहे है कि इसका शिलान्यास या उद्घाटन उन्होंने की, लेकिन हश्र काम खुद ब खुद बया कर रहा है।
फिरहाल, मोदी का दावा है कि वे यूपी को जातिय नहीं विकास से ही जीतेंगे। अपने संसदीय क्षेत्र बनारस को इतना चमका देना चाहते है कि यूपी ही नहीं वो देश का किास माडल बनें। इसके लिए उन्होंने काशी की संस्कृति एवं पहचान से बिना छेडछाड किए ही संजाने- सवारने में जुटे है। उन्हें पता है कि 2017 में इसी काशी ने उनकी एक अपील पर हारी बाजी उनके झोली में डाल दी थी। मोदी को उम्मीद है कि उनके पीएम बनने में जिस तरह काशी समेत पूरा यूपी खेवनहार बना था, वैसे ही 2019 में काशी एक बार फिर पीएम बनायेगा। यही वजह है मोदी काशी को इतना सजा- संवार देना चाहते है कि 2019 में काशी पूरे देश का ‘माॅडल‘ बने। वैसे भी बनारस एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जो यूपी-बिहार के साथ पूरे पूर्वांचल की राजनीति में अपनी खासा अहमियत भी रखता है। यही वजह है कि मोदी काशी को लगातार साधते रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे। उसी का परिणाम है कि चार साल में मोदी न सिर्फ 13 बार बनारस आ चुके है, बल्कि 35 हजार करोड़ से भी अधिक परियोजनाओं की आधारशिला भी रख चुके हैं। इसमें अधिकांश परियोजाएं निर्माण के अंतिम दौर में है, तो कुछ चालू है तो कुछ 2019 से पहले पूरा हो जायेंगे। या यूं कहे इन परियोजनाओं के जरिए काशी बदल रहा है। वास्तविकता के धरातल पर काशी बदलता हुआ दिखने भी लगा है। चाहे वो सड़क, सीवर, पेयजल, बिजली, पुल, धर्म, अध्यात्म हो, या रिंग रोड हो या फिर फोरलेन रोड या फिर आईपीडीएस सिस्टम हो, बाबा विश्वनाथ मंदिर से लेकर घाट तक बदलाव दिखने लगा है। या यूं कहे काशी में आज प्राचीनता संग आधुनिकता का संगम दिख रहा है। हर ओर विकास तीव्र गति से देखी जा सकती है। बनारस में चार साल पहले सफाई अभियान की बिगूल फूंकी जो आज देश में मिशन के तौर पर दिखने लगा है। मकसद है संसदीय क्षेत्र वाराणसी को हाईटेक बनाने की। इसके लिए एकबार फिर मोदी ने काशी की जनता को तकरीबन 936.95 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को काशी को समर्पित करने के बाद वाराणसी के विकास के जरिए अपना चार साल का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया। माना जा रहा है कि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले ‘ब्रांड काशी‘ न सिर्फ पूरे देश में विकास की पटकथा लिखेगा, बल्कि पर्यटन उद्योग की नयी ऊंचाईयों को छुएंगा। संभव है 2019 के लोकसभा चुनाव में काशी के विकास के माॅडल को मोदी देश का चुनावी मुद्दा बनाएं। काशी विकास में कहीं पिछड़ न जाएं योगी सरकार ने पूरी ताकत झोक रखी है।
भाजपा सूत्रों पर यकीन करें तो कहा जा सकता है 2019 से पहले मोदी एवं योगी चाहते है कि काशी को इतना विकसित कर दिया जाएं कि चुनाव के दौरान देश में इसे काशी माॅडल के रुप पेश किया जा सके। दावा है कि एक बार फिर 2014 की तर्ज पर 2019 भी जीतेंगे और केन्द्र बिन्दु काशी होगी। आजमगढ़, मिर्जापुर व बनारस की सभा में मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी के विकास को हथियार बनाकर विपक्ष पर जमकर वार भी किया। कहा सपा सरकार ने बाधित कर रखा था बनारस का विकास। गंगा प्रदूषण से लेकर शहर के मूलभूत सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यो में अखिलेश सरकार रोड़ा अटका रही थी, लेकिन वहीं काम योगी सरकार में जोर पकड़ा है। मोदी ने पूर्वांचल की अहमियत और पिछड़ेपन को कुरेदते हुए ओबीसी व दलितों के दिलों को भी जीतने की कोशिश यह कह कर किया कि सूरज पूरब से ही उगता है। इसके बावजूद यहां के किसानों व बुनकरों की दशा नहीं सुधर सकी। इसलिए जब तक पूर्वांचल का विकास नहीं होगा तब तक न्यू इंडिया का सपना अधूरा रहेगा। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त भी किया है कि यह मेरा दायित्व है और विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा। सूबे की सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ पूरे प्रदेश की एक साथ बेहतर कनेक्टिविटी कर विकास की नई इबारत लिखने की तैयारी की है। इसके लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस एक्सप्रेस-वे को बुंदेलखंड और आगरा एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट किया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से पटना तक की दूरी मात्र 10 घंटे में तय कर ली जाएगी। लोगों को जहां जाम से निजात मिलेगी वहीं, ईंधन के साथ समय की बचत होगी। पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। सीएम योगी ने मोदी के दावों और वादों पर मुहर लगाते हुए जनता को समझाया कि जब से सत्ता संभाली है तब से देश के गरीबों, किसानों, युवाओं व महिलाओं का विकास करने में जुटे हुए हैं। मिर्जापुर में पहली बार देश के सबसे बड़े सोलर प्लांट का लोकार्पण इसी वर्ष मार्च में किया था। तब से इस जिले के विकास को जो गति मिली वह अनवरत जारी है। इस सोलर प्लांट से जिले की वैश्विक पहचान बनी। पूर्व की सरकारों की नीयत ठीक होती तो गंगा बाण सागर परियोजना को 39 वर्ष न लगते।
यह बिडम्बना ही है कि तीन सौ करोड़ की परियोजना आज 3500 करोड़ की हो गयी। केंद्र सरकार ने चार वर्ष में प्रदेश को 13 मेडिकल कालेज, दो एम्स दिया। कांग्रेस के 55 वर्ष के शासन में प्रदेश को मात्र 13 मेडिकल कालेज मिले। अब प्रत्येक कमिश्नरी में एक मेडिकल कालेज होगा। चुनार पुल के लोकार्पण से जिले की वाराणसी से दूरी काफी कम हो जाएगी और मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी। इस पुल का लाभ सोनभद्र के लोगों को भी मिलेगा। बाणसागर परियोजना से जहां फसलों की सिंचाई आसान होगी वहीं गर्मी के दिनों में उत्पन्न होने वाले पेयजल संकट पर भी आसानी से काबू पाया जा सकेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे से भी जोड़ा जाएगा। ये 89 किमी लंबा होगा। 110 मीटर चैड़ा ये मार्ग चार लेन का होगा। बाद में इसे छह लेन का किया जा सकेगा। इसके अलावा 170 किमी लंबे प्रयागराज एक्सप्रेस-वे से भी इसे कनेक्ट किया जाएगा। 110 मीटर चैड़ा ये मार्ग चार लेन का होगा। बाद में इसे छह लेन का किया जा सकेगा। राज्य सरकार इसे सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, अमेठी और फैजाबाद के साथ ही कम विकसित जिले आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर के विकास के लिए मील का पत्थर मान रहा है। फिरहाल, तीन तलाक के जरिए मुस्लिम वोट बैंक की दुखती रग पर हाथ रख दिया जो आने वाले दिनों में विपक्षी दलों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। वहीं सोनेलाल पटेल के बहाने पिछड़े वोटों को सहेजने में सफल रहे। पढ़ाई व कमाई की बात ’कहकर युवाओं को जोड़ा और ’सस्ती सिंचाई के बहाने किसानो को साधने की कोशिश की। तीन तलाक के मुद्दे पर पीएम ने विपक्षियों पर ऐसा प्रहार किया उसका जवाब फिलहाल ढूढ़े नहीं मिल रहा। इसी बहाने पीएम ने मुस्लिम वोटरों में बड़ी पैठ बना डाली। महिलाओं के लिए तलाक किसी पीड़ा से कम नहीं। तय है आने वाले दिनों में इसके दूरगामी सियासी परिणाम होंगे। बाणसागर परियोजना, मेडिकल कॉलेज, स्वास्थ्य सेवाओं को जमीन पर उतारने का श्रेय अनुप्रिया पटेल को दिया बल्कि उनका कद बढ़ाकर यूपी में सहयेागी दल सुभासपा को अप्रत्यक्ष संदेश भी दे दिया। प्रधानमंत्री ने केन्द्र व राज्य सरकार की तमाम नीतियों के जरिए युवाओं एवं किसानों को भी साधा। सस्ती सिंचाई व पढ़ाई को सरकार का संकल्प बताकर मोदी ने इस बड़े वर्ग को भी लुभाया। डीरेका की सभा में कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि जनता के दिलों में सिर्फ विकास के बूते ही जगह बनाई जा सकती है।
इस दौरान मोदी ने मीरजापुर शहर से 10 किमी दूर चंदईपुर स्थित मैदान में 4008 करोड़ की छह मेगा परियोजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण किया। मोदी ने लगातार खेती-किसानी की बात करते हुए किसानों से एक और वादा लिया। बोले, हम 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। लोग खेत की मेड़ पर बाड़ लगाकर उतनी जगह बर्बाद कर देते हैं। आप चाहें तो खेतों की मेड़ों पर बांस की खेती करें और मुनाफा कमाएं। 2014 में जब सरकार बनाई तो कई चुनौतियां सामने थीं। बनारस की दशा बेहद दयनीय थी। सर्वत्र गंदगी, बिजली के झूलते तार, सीवर ओवरफ्लो, हवाई अड्डे तक खराब सड़क, घाटों का हाल खराब था, कचरा गंगा में प्रवाहित होता था। केंद्र में हमारी सरकार आई और यहां के विकास में जुटी तो पूर्व की सरकार बाधा बनी रही। बाद में सूबे में योगी सरकार बनी तो बनारस तेजी से तरक्की के रास्ते पर बढ़ा। पिछले चार वर्ष से काशी के विकास का क्रम चल रहा है। उसे 21वीं सदी के लिए सभी सुविधाओं और संसाधनों से युक्त किया जा रहा है। हृदय, स्मार्ट सिटी, उज्ज्वला, सीएनजी, विद्युतीकरण, कारगो, मुद्रा, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, उद्योग नीति, स्वच्छता और प्रसाद योजना को हर वर्ग तक पहुंचाने की सख्त हिदायत भी प्रशासन को दी। शहर से गांवों तक विकास की लौ यूं ही जलाए रखने का वायदा भी किया। मंच से सिर्फ विकास के कवच में ही ‘मिशन-2019’ पर फतह हासिल करने का संदेश दिया। जो काम किए जा रहे हैं, उसके साथ ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वो कम से कम 15 साल तक चलें। इसके आगे पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे काम करने में समय और श्रम अधिक लगता है, लेकिन एक स्थायी व्यवस्था खड़ी की जा रही है, जिसका परिणाम आने वाले दिनों में काशीवासियों को दिखने लगेगा।
(सुरेश गांधी)


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