- हार्टमन के सिर पर ताज रहे ...सभी जगहों में मान रहे हार्टमन..नामक गीत के रचयिता संगीत शिक्षक रिचर्ड डेविड नहीं रहे, यहां के बाद नवोदय विघालय में भी संगीत शिक्षक रहे, लकवा ग्रसित शिक्षक लखड़ाकर गिर तो फिर जमीन से उठे नहीं
पटना। आज संगीत शिक्षक रिचर्ड डेविड नहीं रहे। परंतु संगीत शिक्षक द्वारा रचित गीत 'हार्टमन के सिर पर ताज रहे..सभी जगहों में मान रहे हार्टमन..सुपरहीट साबित हो रही है।इस स्कूल में पढ़ने वाले विघार्थी असेम्बली टाइम गीत को गाकर सदैव श्रद्धांजलि देते रहेंगे। हार्टमन स्कूल के बाद सर रिचर्ड नवोदय स्कूल के भी संगीत शिक्षक थे। बता दें कि कुछ साल पहले सर रिचर्ड लकवा रोग से पीड़ित थे। लकवा से ठीक होने के बाद छड़ी के सहारे चल फिर पा रहे दें।घर से नियमित चर्च आवाजाही करते थे। इस बीच सर रिचर्ड के पैर लखड़ा गया और जमीन पर गिर पड़े।इसका दुष्परिणाम सामने आया। जमीन पर गिरने से ब्रेन हेम्ब्रेज हो गया। सर रिचर्ड के रिश्तेदार उठाकर हॉस्पीटल ले गये। कुछ दिन डॉक्टरों की निगरानी में रहे।किसी तरह के सुधार न होता देखकर डॉक्टर ने रिश्तेदारों को परामर्श दिया कि आपलोग रोगी को घर ले जाये। डॉक्टर के परामर्श पर सर रिचर्ड को घर लाया गया। घर लाने पर दो-तीन जीर्वित रहे। वे 70 साल के थे। आज सर रिचर्ड डेविड का पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई मिस्सा के लिए प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में लाया गया।इसके बाद फादर रेमंड केरोबिन की अगुवाई में मिस्सा हुआ। इनके साथ फादर हेनरी रूबेल्लो भी थे। मिस्सा के बाद कुर्जी कब्रिस्तान में सर रिचर्ड को दफना दिया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें