कार्डिनर तेलेस्फोर पी.टोप्पो ने महाधर्माध्यक्ष को अभिषेकित किया, संत मरिया चर्च में महाधर्माध्यक्षीय धार्मिक समारोह, हजारों की संख्या में भक्तगण रहे उपस्थित
रांची (आर्यावर्त डेस्क) आज रांची महाधर्मप्रांत के लिए ऐतिहासिक दिवस है। सावन महीने के द्वितीय सोमवार को महाधर्मप्रांत को महाधर्माध्यक्ष के रूप में भला गलेरिया मिल गया। ईसाई भक्तगण इस पल का साक्ष्य बनने सीधे संत मरिया चर्च पहुंच गये। महाधर्माध्यक्षीय धार्मिक समारोह था।कार्डिनल तेलेस्फोर पी.टोप्पो ने समारोह का संचालन किया। इनके साथ बिशप व पुरोहित भी थे। संत पापा फ्राँसिस ने 24 जून को रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया था, उनका महाधर्माध्यक्षीय धार्मिक समारोह था। इस समारोह में कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने जमशेदपुर के पूर्व धर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो को विधिवत राँची महाधर्मप्रांत का महाधर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया। बताते चले कि संत पापा फ्राँसिस ने राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो का इस्तीफा स्वीकार कर लेने के बाद पद रिक्त हुआ था। उन्होंने पिछले 34 वर्षों से राँची महाधर्मप्रांत का नेतृत्व किया था।
रांची के नवाभिषेकित महाधर्माध्यक्ष
रांची के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो का जन्म 21 नवंबर, 1947 को हुआ था, इनका जन्म गुमला धर्मप्रांत के टोंगो पल्ली में हुआ था। उन्होंने 1968 में सोसाइटी ऑफ जीसस में प्रवेश किया और 1982 में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था। उन्होने रोम स्थित परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान में मास्टर की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने येसु समाजी धर्मसंघ में सुपीरियर, प्री-नोविस और नोविस मास्टर के रुप में अपनी सेवा प्रदान की। उन्हें 1997 में जमशेदपुर का धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे वर्तमान में सीबीसीआई के सोसाइटी फॉर मेडिकल एजुकेशन, उत्तर भारत की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष हैं; झारखंड और अंडमान धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष और दो क्षेत्रीय आयोगों के अध्यक्ष; संत अल्बर्ट कॉलेज, रांची के कुलपति हैं। इससे पहले, वे चार साल तक सीबीसीआई के याजक और धर्मसंघियों के कार्यालय और राष्ट्रीय बुलाहट सेवा केंद्र, पुणे के अध्यक्ष के थे।
अब केवल कार्डिनल हैं
कार्डिनल पी. टोप्पो। पिछले 40 वर्षों से धर्माध्यक्ष रहे है। वे 1978 में दुमका धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष बने। जब वे 39 वर्ष के थे। तभी संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 21 अक्टूबर 2003 को कार्डिनल नियुक्त किया। वे भारत के पहले आदिवासी कार्डिनल हैं। वे भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के अध्यक्ष के साथ-साथ भारत के (सीसीबीआई) लैटिन रीति के काथलिक धर्माध्यक्षीय संघ के अध्यक्ष रूप में कार्य किया है।
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