बेगूसराय : नाटक रिफण्ड की सफल प्रस्तूति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 अगस्त 2018

बेगूसराय : नाटक रिफण्ड की सफल प्रस्तूति

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बेगूसराय (अरुण कुमार), वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर आधारित नाटक रिफण्ड की प्रस्तूति नगर दिनकर कला भवन में आज दिनांक 28 अगस्त 2018 की संध्या 7 बजे किया गया।इस नाटक के मूल लेखक:-फ्रिट्ज कारिंथे (हंगरी) अंग्रेजी अनुवादक:- पर्सिवाल वाइल्डे और हिन्दी अनुवादक:- रमेश उपाध्याय हैं।इस नाटक की पैकल्पना और निर्देशन परवेज यूसुफ ने किया।प्रस्तूति मॉर्डन थियेटर फाउण्डेशन (एम टी एफ) का था।औए ये नाटक दर्शकों के समक्ष संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सौजन्य से किया गया।नाटक में मूल रुप से वर्तमान शिक्षा प्रणालियों पर कुठारा घात है,फर्जी प्रमाण पत्र,फर्जी शिक्षक,और फर्जी शिक्षा प्रणाली को दर्शाते हुए दिखाया गया कि एक लड़का एक शिक्षण संस्था से शिक्षा प्राप्त कर निकलता है और उसे शिक्षा के नाम पर ज्ञान कुछ भी नहीं है,जब वह शिक्षा ग्रहण कर पास होकर जाता है तो कहीं साक्षात्कार में उससे पूछ जाता है कि तुम्हारा विषय क्या था उसपर वह लड़का कहता है कि मेरा विषय पोल साइंस था।अब पोल साइंस क्या है ये उसे पता नहीं था अतः वो पोल साइंस यानी पॉलिटिकल साइंस जिसका सब कुछ ज्ञान नहीं था वह निरुत्तर हो जाता है,तो फिर वह लड़का जिसका नाम बुद्धिदेव है उस कॉलेज जाता है और प्राधानाध्यापक से अपना फीस वापस मांगता है।इस बात को लेकर प्राचार्य महोदय आश्चर्यचकित ही पहले तो उसे घुइत्व हैं फिर पैसे वापस कण्व में आनाकानी करते है,मगर वह लड़का भी तय करके आया था की पैसा वापस लेकर ही जाएँगे।उसके जिद्द के आगे प्राचार्य उसे बाहर बैठने के लिये यह कह कर भेज देतव है कि मैं आपस मे तुम्हारे इस बात के लिये विचार विमर्श कर लेटव हैं फिर तुम्हें बुलाता हूँ लड़कन बाहर चला जाता है।प्रचार अपने प्रोफेसरों को बुलवाता है और विचा विमर्श कर उस लड़के का फिर से मौखिक साक्षात्कार करने का फैसला कर बुलाया जाता है।लड़का किसी तरह से तैयार होता है साक्षात्कार के लिये और सभी प्रोफेसर अपने अपने विषयों का मौखिक पूछताछ करते हुए फेल होने पर भी पास करते जाते है।अंत मे लड़कन उन्ही के कॉलेज में नौकरी मांगने लागैता है कि चलिये जब हम पास ही है वो भी प्रथम श्रेणी से तो हमे आप के यहां नौकरी द्व दीजिये आपने जो ये इस्तिहार निकाला है तो हम इस नौकरी के काबिल हैं।बहुत ना ने करने के बाद प्राचार्य इस शर्त पर नौकरी द्वन्व को राजी हो जाता है कि जो किछ भी यहाँ अभी अभी हुआ है या आवे जो कुछ भी इस कॉलेज में होगा उसका जिक्र तुम बाहर कही नहीं करोगे।लड़कन शर्तें मां लेता है और शर्त मानकर नौकरी पा लेता है।तो इससे साफ जाहिर है कि शिक्षा माफियाओं की काफी बढ़ोत्तरी हुई है,विद्यार्थियों को शिक्षा के नाम पर मात्र ठगा जाता है औए शिक्षा का भी स्तर गिरत्व जाजे रहा है।इस नाट्य मंच के उद्घाटन करता(जिला एवं सत्र न्यायाधीश) बेगूसराय,जनाव दीवान अब्दुल अजीज खाँ साहब, विशिष्ट अतिथि श्रीमान प्रांतोष कुमार दास (कमांडेंट) बी एम पी -8,सर्वेश कुमार(पूर्व प्रशासनिक पदाधिकारी एवं शिक्षाविद)श्री संजीव चौधरी (सदर अनुमंडलाधिकारी)श्री मिथलेश कुमार(अपर पुलिस अधीक्षक)श्री स्याम बाबू राम,श्रीमती स्वपना चौधरी,डॉ•एस पण्डित,अवधेश सिन्हा,अमित रौशन (युवा रंगकर्मी,निदेशक आशीर्वाद आई टी आई) दिलीप कुमार सिन्हा:-सदस्य,जेड.आर.यू.सी.सी. जोनल रेल उपयोग करता परामर्शदात्री समिति आदि कई गणमान्य मंचासीन हुए।नाट्य सफलता,विफलता का परिचायक दर्शक होता है तो पूरा प्रेक्षागृह दर्शकों से भरा हुआ था मतलब नाट्य प्रस्तूति काफी सराहनिय और सफल रहा।

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