दुमका (अमरेन्द्र सुमन) जोश व होश का समन्वय सफलता, शांति व उन्नति के लिए आवश्यक तत्व है। राम-भरत मिलाप प्रसंग वर्तमान सामाजिक, पारिवारिक व सांसारिक परिवेश में अत्यंत प्रासंगिक हो गया है। अक्सर देखा गया है कि प्रत्येक परिवार में बाहरी विरोधियों की तुलना में सगा भाई ही भाई का घोर विरोधी होता जा रहा है । दो भाइयों के बीच दिलों की खाई चौड़ी करने वाले तो अनेकों मिल जाएंगे, खाई पाटने वालों को तो किन्तु ढूंढना पड़ जाता है। दिन मंगलवार को श्रीराम - भरत मिलाप संवाद/ प्रसंग पर प्रवचनकर्ता राजकुमार हिम्मतसिंहका व्याख्यान दे रहे थे। श्रीराम कथा समिति, शिवपहाड़, के तत्वावधान में आयोजित संगीतमय संपूर्ण श्रीराम कथा के पांचवें दिन प्रवचनकर्ता श्री हिम्मतसिंहका ने भारद्वाज ऋषि व भरत जी के बीच संवाद के संदर्भ में कहा कि सच्चे संत की महिमा तो भगवान से भी अधिक होती है। इस प्रसंग में भारद्वाज मुनि ने कहा था कि सब साधनों का फल हमें यह मिला कि कुछ दिन पहले श्री राम का दर्शन हमें प्राप्त हुआ फिर श्रीराम के दर्शन का यह फल मिला की हे भरत.....! हमें तुम्हारे जैसे संत का दर्शन मिला।
सब साधन कर सूफल सुहावा ।
लखन राम सिय दरसन पावा।।
तेहि फल कर फलु दरस तुम्हारा ।
सहित पयाग सुभाग हमारा ।।
अगले दिन की कथा अरण्यकांड पर होगी जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से श्री राम-लक्ष्मण संवाद (अर्थात श्रीराम-जानकी ) व माता सबरी प्रसंग पर आधारित होगा व्याख्यान। श्रावणी मेला महोत्सव के पवित्र अवसर पर बाबा बैद्यनाथ व वासुकिनाथ तथा माँ मौलीक्षा की पवित्र धरती पर प्रभु श्रीराम-भरत, श्रीराम-भ्राता लक्ष्मण व श्रीराम-जानकी प्रसंग पर आध्यात्मिक व्याख्यान से लाभान्वित हो रहे श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती जा रही भीड़ से पूरा शिवपहाड़ राममय हो चुका है।
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