राहुल ने प्रेमचंद के आलेख के जरिए सांप्रदायिकता पर निशाना साधा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 4 अगस्त 2018

राहुल ने प्रेमचंद के आलेख के जरिए सांप्रदायिकता पर निशाना साधा

rahul-gandhi-attack-communism-by-premchand
नई दिल्ली, 3 अगस्त, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को 20वीं शताब्दी की शुरुआत के सबसे प्रमुख व लोकप्रिय लेखकों में से एक मुंशी प्रेमचंद के आलेख के एक अंश का उदाहरण देते हुए कहा कि सांप्रदायिकता हमेशा संस्कृति की दुहाई देती है। प्रेमचंद को सम्मान देते हुए राहुल ने हिंदी में ट्वीट करते हुए कहा, "सांप्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है उसे अपने असली रूप में निकलने में शायद लज्जा आती है, इसलिए वह उस गधे की भांति, जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल में जानवरों पर रौब जमाता फिरता था, संस्कृति का खोल ओढ़कर आती है।" राहुल का संदर्भ प्रेमचंद द्वारा सांप्रदायिकता और संस्कृति पर एक संक्षिप्त आलेख का एक अंश था जिसे मूल रूप से वर्ष 1934 में लिखा गया था।

कोई टिप्पणी नहीं: