स्वच्छता विज्ञान एवं पर्यावरण के भारतीय अनुभव: एक संवाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 8 सितंबर 2018

स्वच्छता विज्ञान एवं पर्यावरण के भारतीय अनुभव: एक संवाद

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लखनऊ 8 सितम्बर 2018। विज्ञान फाउण्डेशन एवं वाटर एड इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में ’’स्वच्छता विज्ञान एवं पर्यावरण के भारतीय अनुभव: एक संवाद श्री सोपान जोशी के साथ कार्यक्रम‘‘ का आयोजन कैफी आजमी सभागार, पेपर मिल कालोनी में किया गया। कार्यक्रम में लगभग 150 लोगों ने भाग लिया और जल एवं स्वच्छता से जुडी भविष्य की सम्भावनाओं पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बताते हुए फारूख रहमान खान ( क्षेत्रीय प्रबन्धक, वाटर एड, लखनऊ) ने कहा कि ’’जल, स्वच्छता और शुचिता‘‘ के मुद्दे पर प्रतिभागियों का नजरिया निर्माण करना, जिससे वे बदलते परिवेश में इस मुद्दे से जुडी भावी सम्भावनाओं पर चिन्तन कर भविष्य में आनी वाली चुनौतियों का हल तलाशने की दिशा में अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करने की ओर अग्रसर हो सके। मुख्य अतिथि सोपान जोशी ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने में हम अपने को इतना गौरवान्वित महसूस करते है कि अपने अतीत के उन अनुभवों को देखना या झांकना नही चाहते है जो प्रकृति के अनुकूल थे। तकनीक के इस्तेमाल में हम विज्ञान/ज्ञान को भूलते जा रहे है और जो हमें भविष्य में नुकसान पहुंचा सकता है, उसका निरन्तर उपयोग करते जा रहे हैं। आध्ुानिक परिवेश में हम तकनीकि को इतना ज्यादा महत्व देने लगे हैं कि जो सहज और सरल उपाय हमें जमीन से मिलते हैं उन पर ध्यान नही नही देते। बाजारीकरण के इस दौर में हम अन्धाधुन्ध तकनीकि प्रयोग के पीछे भागने से पहले यह भी नही सोचते कि क्या वह हमारे भौगोलिक परिवेश के अनुकूल है भी कि नही। हम सबने अब बडे बडे नामों के पीछे भागना शुरू कर दिया है, जिसका परिणाम यह है कि न हम अपना जल संरक्षित कर पा रहे है, और न ही मल का सुनियोजित तरीके से निस्तारण कर पा रहे है। इन्होने सालो से चल रही पद्धतियों के बारे में अपने अनुभव साझा किये, और हम सबको प्रेरित किया कि हम जमीन से जुडे ज्ञान का अर्जन करें व उसे व्यवहारिक रूप में लाये न कि भेड चाल का हिस्सा बनते हुए पाश्चात्य सभ्यता का पालन करें। इसीक्रम में डा0 शिशिर चन्द्रा ने बहुत सरल भाव से श्री सोपान जोशी जी की बात से इत्तेफाक रखते हुए कहा कि आज के युग में हमारे पास ज्ञान का जरा भी अभाव नही है, हर चीज के बारे में हम तुरन्त इन्टरनेट से खोज के जानकारी हासिल कर सकते हैं किन्तु उस ज्ञान की व्यवहारिकता जो दादी नानी के किस्सो से मिलती थी वो खोये जा रहे हैं उन्होने श्री सोपान जोशी जी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इतनी जटिल बातों को भी उन्होने इतनी सहजता से सबके सामने रखा जिससे हम ज्ञान, विज्ञान व तकनीकि में आपसी सामंजस्य बना सकते हैं।

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