दुमका : हार्डकोर माओवादी सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा व सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फाँसी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 26 सितंबर 2018

दुमका : हार्डकोर माओवादी सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा व सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फाँसी

पाकुड़ एस पी अमरजीत बलिहार व 5 पुलिसकर्मियों की घात लगाकर हत्या के मामले में चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुमका तौफीकुल हसन की विशेष अदालत ने दी सजा। 
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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) पाकुड़ एस पी अमरजीत बलिहार सहित कुल 6 पुलिस कर्मियों की घात लगाकर की गई हत्या के एक मामले में चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुमका तौफीकुल हसन की विशेष अदालत ने दिन बुधवार को सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा व सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फांसी की सजा सुनाई। चाक-चैबंद सुरक्षा-व्यवस्था व पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी में सुबह से ही दुमका सिविल कोर्ट परिसर व आजू-बाजू लोगों का हूजूम साफ देखा जा सकता था। कोर्ट परिसर में मुकदमा लड़ने वाले मुवक्क्लिों को कतारबद्ध अन्दर प्रवेश करने की इजाजत दी गई थी। मालूम हो, 02 जुलाई 2013 को डीआईजी दुमका प्रक्षेत्र, प्रिया दूबे की मीटिंग से वापस पाकुड़ लौट रहे एस पी  अमरजीत बलिहार व  5 अन्य पुलिस कर्मियों की हत्या दुमका-पाकुड़ मार्ग पर दुमका से तकरीबन 25-27 किमी की दूरी पर काठीकुण्ड थानान्तर्गत जमुनिया पुल के समीप कर दी गई थी। भादवि की धारा 307, 396, 302 व आम्र्स एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई गई। इस घटना को जघन्य अपराध बताते हुए अदालत ने कहा कि एक आईपीएस व 5 पुलिस कर्मियों की हत्या में शामिल अभियुक्तों को बाहर छोड़ना समाज के लिए घातक है। अन्य मामलों में अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा व अर्थदंड की सजा मुकर्रर की।  इस कांड में बतौर अभियुक्त गिरफ्तार अन्य 5 आरोपियो को अदालत ने  6 सितंबर को ही साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। पाकुड़ एस पी अमरजीत बलिहार व 5 पुलिस कर्मियों की हत्या से संबंधि तमामले में तकरीबन 31 गवाहों का बयान लिया गया था। भादवि की धारा 147, 148, 149, 326, 307, 379, 302, 427, 27 शस्त्र अधिनियम व 17 सीएलए के तहत सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा, व सनातन वास्की उर्फ ताला दा, दाउद, जोसेफ व 25 से 30 अज्ञात के खिलाफ कांड सं. 55/13 के तहत काठीकुंड थाने में मामला दर्ज था। सात अभियुक्तों का ट्रायल चलाया गया जिनमें सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा, वकील हेम्ब्रम, मारबेल मुर्मू,-1, मारबेल मुर्मू-2, सत्तन बेसरा, सनातन बास्की उर्फ ताला दा शामिल हैं। बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजा खान व  के एन गोस्वामी ने अदालत से फाँसी की सजा प्राप्त अभियुक्तों के समर्थन में न्यूनतम सजा का दरख्वास्त किया था। अभियोजन की ओर से इस कांड को रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर बतलाया गया।  अभियोजन पक्ष ने फाँसी की सजा को न्यायोचित बताया। जब एक आइपीएस अधिकारी की हत्या हो सकती है तो फिर आम आदमी की सुरक्षा कैसे होगी ? अदालत ने इसे गंभीरता से लिया। पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के काफिले पर घात लगाये नक्सलियों ने ए के 47, इंसास रायफल व ए एस एल आर से ताबड़तोड़ फायरिंग की थी परिणामस्वरुप एसपी अमरजीत बलिहार के अलावे 5 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई। हार्डकोर माओवादी के नक्सली हमले में शहीद पुलिस जवान मनोज हेम्ब्रम (गुहियाजोरी, दुमका) राजीव कुमार शर्मा व संतोष मंडल (साहेबगंज) अशोक कुमार श्रीवास्तव (बक्सर बिहार) व चंदन थापा (कटिहार, बिहार) के रहने वाले थे। एसपी सहित कुल 6 जवानों की हत्या के बाद नक्सली  दो ए के 47 रायफल, चार इंसास रायफल, दो पिस्टल व  647 कारतूस भी लूटकर अपने साथ ले गए थे। वर्ष 2003 बैच के आइपीएस अधिकारी अमरजीत बलिहार झारखंड आम्र्ड पुलिस के कमांडेंट रह चुके थे। नक्सलियों के खिलाफ लगातार बड़े-बड़े अभियानों को सफलतापूर्वक संपन्न करने वाले एस पी हार्डकोर माओवादियों के टारगेट लिस्ट में थे। पाकुड़ में उनकी पोसिं्टग के बाद नक्सलियों ने उनकी हत्या के लिये जाल बिछाना शुरु कर दिया था। 14 अक्‍टूबर 1960 को जन्‍मे अमरजीत बलिहार ने वर्ष 1983 में एमए की डिग्री हासिल की थी। वर्ष 1986 में  बीपीएससी का इंतहान पास किया था। स्व0 बलिहार की पहली पोस्टिंग बतौर डीएसपी जहानाबाद में हुई थी। मुंगेर, खूंटी, जहानाबाद, पटना, राजगीर, हवेली खडग़पुर, लातेहार, चक्रधरपुर व रांची में स्व0 बलिहार ने काम किया। बाद में जैप-1 में स्व0 बलिहार डिप्टी कमांडेंट बनाए गए। मई 2013 में स्व. बलिहार को पाकुड़ का एसपी बनाया गया। चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुमका की अदालत के फैसले से क्षुब्ध सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर की पत्नी नमिता राय ने हाइकोर्ट, रांची  जाने की बात कही। नमिता ने कहा न्यायालय पर उसे पूर्ण विश्वास था, इस फैसले के बाद उसका विश्वास टूट गया। 

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