बेगूसराय : तीन दिवसीय उपवास के साथ होगा जितिया महाव्रत का अनुष्ठान। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 26 सितंबर 2018

बेगूसराय : तीन दिवसीय उपवास के साथ होगा जितिया महाव्रत का अनुष्ठान।

नहाए खाए के साथ 01 अक्टूबर से तीन दिवसीय जितिया का पर्व होगा शुरू।
jitiya-in-mithila
बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य), जितिया का पर्व की शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के नहाए खाए के साथ नौवी तिथि के पारण तक होती है। अगले माह मंगलवार यानी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की तिथि अष्टमी 02 अक्टूबर को महिलाएं वंश वृद्धि और सन्तानों की लम्बी आयु के लिए जितिया व्रत रखेंगे।सनातन धर्म मानने वालों में इस पर्व का बड़ा महत्व है।व्रत के दौरान व्रती महिलाएं 24 घंटे तक अन्न - जल ग्रहण नहीं करेंगी।व्रत का पारण 03 अक्टूबर नौवी तिथि को करेंगी। 02 अक्टूबर यानी मंगलवार दिन अष्टमी तिथि को जितिया व्रती महिलाएं दिनभर भूखी रहकर कुश के जीमूत वाहन व मिट्टी गोबर से सियारिन व चुल्होरिन की प्रतिमा बनाकर जीमूतवाहन की पूजा करेंगी। फल फूल और नैवेद्य चढ़ाए जाएंगे।इसके बाद सभी व्रती महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर  जिमूतवाहन की कथा सुनेंगे।बुधवार यानी 03 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद महिलायें पारण कर व्रत को समाप्त करेंगी।

जितिया पर्व में स्नान भोजन की विशेषता:-
इस पर्व में मछली व मरुआ की रोटी खाने की परंपरा पूर्व से ही चलती आ रही है। जितिया व्रत की मान्यताओं के अनुसार सप्तमी तिथि यानी 01 अक्टूबर को महाव्रत से एक दिन पहले सभी व्रती महिलाओं के द्वारा मरुआ की रोटी और नोनी की साग खाने की परंपरा है।ऐसा कहा जाता है कि मरुआ का फसल और नोनी का साग ऊसर बाली जमीन पर अक्सर अधिकाधिक ऊपजती है। आशय यह है कि उनके सन्तानों के जीवन में आई विपरीत परिस्थिति में भी रक्षा होती रहेती है।जबकि मिथिलांचल के इलाके में मरुआ की रोटी के साथ मछली खाने की विशेष परंपरा रही है।जो शाकाहारी महिलाएं व्रती होती हैं।वह मछली की जगह मरुआ की रोटी और नोनी का साग उपयोग में लाती हैं।इस बार पितर पूजा से होगी व्रत की शुरुआत। पितृपक्ष में शुरू होने के कारण इसवार 01 अक्टूबर को स्नान भजन के साथ इस पर्व की शुरुआत होगी।चूँकि इस बार जितिया का पर्व पितृ पक्ष में पड़ रहा है।इसलिए सभी व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद अपने अपने पितरों की पूजा कर व्रत का संकल्प लेंगी।व्रति स्नान करने के बाद भोजन ग्रहण करेंगी और पितरों की पूजा करेंगे। पितरों को चूड़ा अर्पित करने की परंपरा रही है।कहीं -कहीं चुरा दही दोनों अर्पित किया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं: