पूर्णिया (कुमार गौरव) भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया द्वारा आयोजित पांच दिवसीय आत्मा, दरभंगा बिहार द्वारा प्रायोजित प्रशि़क्षण कार्यक्रम विषय : मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक के तकनीकी सत्र के चौथे मुख्य वक्ता डाॅ आरके मल्लिक, वरीय शस्य विज्ञानविद, सीसा अंतर्राष्ट्रीय परियोजना ने किसानों को व्यवसायिक खेती करने की सलाह देते हुए कहा कि मौसम के अनुसार ही फसल एवं प्रजाति का चयन करें। डाॅ मल्लिक ने कहा कि यह क्षेत्र मखाना व मक्का के लिए बहुत ही ज्यादा उपयुक्त है। डाॅ पारसनाथ, सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय ने विगत चार दिनों से चल रहे प्रशि़क्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणर्थियों से फीडबैक लिया। साथ ही अनुपयुक्त नीची जमीन/जलजमाव वाले क्षेत्रों को विकसित करने के लिए बैंक आधारित परियोजना बनाने का तरीका विस्तारपूर्वक बताया। डाॅ इंदुशेखर सिंह, वरीय वैज्ञानिक मृदा विज्ञान, मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा ने तकनीकी सत्र के दूसरे दिन प्रशिक्षणार्थियों को जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में मखाना उत्पादन तकनीक की जानकरी दी। उन्होंने बताया कि मखाना की खेती जलजमाव वाले क्षेत्र में की जानी चाहिए। बदलते मौसम, नई सड़कों व रेल लाइन बनने से जलनिकासी की समस्या बढ़ती जा रही है। अधिक वर्षा होने पर खेती योग्य भूमि में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जहां मखाना एवं सिंघाड़े की खेती सफलतापूर्वक कर किसान अपनी आमद को बढ़ा सकते है। आजादी मिलने के समय से ही खाद्य सुरक्षा देश का एक बड़ा लक्ष्य रहा है। जिसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2013 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित किया। साथ ही आधुनिक मखाना पाॅपिंग मशीन/मखाना पाॅपिंग मशीनों का संचालन एवं रखरखाव पर प्रशिक्षण दिया। मुख्य समन्वयक मखाना वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार ने पौराणिक विधि से मखाना लावा बनाने से होनेवाले नुकसान से किसानों को अवगत कराया। साथ ही व्यापारोन्मुखी मखाना आधारित उत्पाद बनाने की बात कही, तभी किसानों को उचित आमद प्राप्त हो सकती है। दरभंगा के किसान सुनील कुमार सहनी, राजन कुमार झा, श्रवण कुमार, हरदेव मुखिया, बिल्टु मुखिया, बुधन मुखिया, दिनेश मुखिया, रौदी मुखिया, कमलेश मुखिया समेत अन्य बीस मखाना उत्पादक कृषकों ने उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन मखाना वैज्ञानिक तथा प्रधान अन्वेषक डाॅ अनिल कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अनुपम कुमारी द्वारा किया गया।
बुधवार, 19 सितंबर 2018
मौसम के अनुसार ही फसल व प्रजाति का करें चयन
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