पूर्णिया : 30 वर्ष पूर्व बनी कोसी विकलांग कल्याण संस्थान आज सरकारी मदद को तरस रही - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 सितंबर 2018

पूर्णिया : 30 वर्ष पूर्व बनी कोसी विकलांग कल्याण संस्थान आज सरकारी मदद को तरस रही

- दिव्यांगों को कक्षा सात तक सामान्य शिक्षा के साथ साथ रोजगार परक शिक्षा देने के उद्देश्य से प्रखंड के गढ़बनैली स्थित हाजीनगर में आज से ठीक 30 वर्ष पूर्व कोसी विकलांग कल्याण संस्थान का उद्घाटन राजेंद्र कुमार वाजपेयी राज्य मंत्री कल्याण भारत सरकार के हाथों 18 जुलाई 1988 में किया गया था

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पूर्णिया (कुमार गौरव)  विकलांगता अभिशाप नहीं दुर्घटना है। जैसे नारे को साथ लिए सीमांचल के दिव्यांगों को कक्षा सात तक सामान्य शिक्षा के साथ साथ रोजगार परक शिक्षा देने के उद्देश्य से जिले के कसबा प्रखंड के गढ़बनैली स्थित हाजीनगर में आज से ठीक 30 वर्ष पूर्व कोसी विकलांग कल्याण संस्थान का उद्घाटन राजेंद्र कुमार वाजपेयी राज्य मंत्री कल्याण भारत सरकार के हाथों 18 जुलाई 1988 में किया गया था। लेकिन सरकारी उदासीनता एवं जनप्रतिनिधियों के कमजोर इच्छाशक्ति का शिकार बन दिव्यांग बच्चों का तकदीर बदलने वाली कोसी विकलांग संस्थान खुद दिव्यांग बनकर रह गई है। बता दें कि उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी राम सेवक शर्मा ने इस संस्थान की संभावनाओं को परखकर इसे अमलीजामा पहनाने के उद्देश्य पूर्णिया के तीन सिनेमाघरों में चैरिटी शो के माध्यम से 80 हजार रुपए एकत्र करवाए थे। जिलाधिकारी के विशेष प्रयासों एवं एमएल आर्य कॉलेज कसबा के नेत्रहीन प्राध्यापक सह संस्थापक सचिव डॉ अनिल कुमार के अथक प्रयासों एवं मेहनत से कोशी विकलांग संस्थान 16 मार्च 1988 से विधिवत रूप से कार्य करना शुरू कर दिया। इस संस्थान में पूर्णिया प्रमंडल के अलावे कोसी प्रमंडल के 7 से 12 वर्ष के आयु वाले 20 नेत्रहीन तथा 15 मूक बधिर बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ साथ रोजगारपरक आवासीय शिक्षा दी जाने लगी। ध्यान रहे कि कोशी विकलांग संस्थान गढ़बनैली उस समय सूबे का तीसरा तथा कोशी प्रमंडल की पहली ऐसी संस्थान थी जो विकलांगों को सामान्य शिक्षा के साथ साथ रोजगारपरक सह आवासीय शिक्षा प्रदान करती थी। इस संस्थान में बने कक्षा पुस्तकालय, छात्रावास भवनों की जर्जर हालत इसके सुखद अतीत की याद दिलाती है। उस समय के तत्कालीन उप विकास आयुक्त अजीत कुमार की अध्यक्षता में 10 अगस्त 1986 को कसबा प्रखंड कार्यालय में बुद्धिजीवियों तथा प्रबुद्धजनों की एक बैठक हुई थी। ज्ञात हो कि इसी बैठक में हाजी कमालुद्दीन एवं नसीम फानी ने संस्था को 3 एकड़ जमीन दान में दी थी। वही संस्था के भवन निर्माण के लिए उस समय कसबा विधानसभा क्षेत्र के विधायक मो गुलाम हुसैन ने काफी सहयोग किया था। साथ ही पूर्णिया लोकसभा की तत्कालीन लोकसभा सदस्य माधुरी सिंह ने भी संस्था को काफी सहयोग दिया। संस्था का निबंधन कराने के पश्चात प्रबंध समिति के मुख्य संरक्षक अध्यक्ष जिला पदाधिकारी को उपाध्यक्ष उप विकास आयुक्त समेत अनुमंडलाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी को तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी को सदस्य बनाया गया था। वहीं कोसी प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त ने जिसने विभागीय अनुमति प्रदान की थी। इसके बाद 11 फरवरी 1987 को तत्कालीन कोशी प्रमंडल आयुक्त एमके मंडल ने भवन निर्माण का शिलान्यास किया था। जबकि संस्थान चालू होने के बाद कल्याण विभाग ने दो दो किश्तों में 15-15 हजार रुपए दिए थे। अपेक्षित सरकारी सहयोग नहीं मिल पाने के कारण यह संस्था अक्टूबर 1998 से बंद है। हालांकि संस्थान के संस्थापक सचिव सह एमएल आर्य कॉलेज के समाजशास्त्र के नेत्रहीन प्राध्यापक डॉ अनिल कुमार ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर सहयोग की अपील की थी। इस पत्र के आलोक में बिहार सरकार समाज कल्याण विभाग के उत्तम वर्मा, निर्देशक समाज कल्याण के पत्रांक 10/संख्या/11/2007-944 में कहा गया कि प्रस्ताव के अनुशंसा पत्र में जिस राशि का प्रावधान किया गया है उस लागत राशि का 10 फीसदी खाते में नहीं रहने के कारण यह संस्थान बंद है। बकौल डॉ अनिल कुमार ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली संस्थान के कानूनों में बदलाव की जरूरत है या फिर सरकार खुद यह संस्थान चलाएं। श्री कुमार ने कहा कि एक तरफ सरकार कानून बनाकर शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल कर 14 वर्षों तक के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य बना दिया है। वहीं विकलांग बच्चे शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार से वंचित हैं। फिलहाल मामला चाहे जो भी हो या फिर जिस कारणों से भी संस्थान बंद पड़ा हो लेकिन सीमांचल के तकरीबन चार लाख से ज्यादा दिव्यांग सामान्य शिक्षा से वंचित हैं।

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