बेगूसराय : सौहार्द पुर मुहर्रम मनाने को लेकर प्रशासनिक बैठक कर दिया गया दिशा निर्देश। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 15 सितंबर 2018

बेगूसराय : सौहार्द पुर मुहर्रम मनाने को लेकर प्रशासनिक बैठक कर दिया गया दिशा निर्देश।

meeting-for-moharram-begusaray
बेगूसराय (अरुण कुमार) बेगूसराय-मुहर्रम पर्व सौहार्दपूर्ण मनाने को लेकर जिलाधिकारी राहुल कुमार तथा पुलिस कप्तान आदित्य कुमार की अध्यक्षता में कारगिल विजय भवन में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई।जहाँ जिलाधिकारी ने अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।आगे आपको बताते चलें कि ये मुहर्रम का त्योहार मोमिनों के लिये खुशी की नहीं बल्कि मातम का त्योहार है।इस्लामी मज़हबों के अनुसार यह मुहर्रम का महीना पाक महीना माना जाता है।इस्लामी कैलेण्डर हिजरी के अनुसार मोहर्रम साल का पहिले महीने के नाम से जाना और माना जाता है।इस्लाम के चार सबसे पाक महीनों में से एक है यह मुहर्रम का महीना।दिन,तिथि आदि के अनुसार इसके भी तारीख बदलते रहते हैं।जैसे कि इस वर्ष 2018 में मुहर्रम का महीना 12 सितम्बर से शुरू हो रहा है,इस महीने में भी इस्लाम को माननेवाले रोजा रखते हैं,मगर ये रोजा रमजान की तरह रोज रखने वाले नहीं हैं अंतिम के एक/दो रोजा रख लें तो भी कोई बात नहीं।12 सितम्बर से शुरू होनेवाला मुहर्रम 21 या 22 सितम्बर को मनाया जाएगा विओ भी खुशियों की तरह नहीं मातमों कि तरह।आइये जाने की इसे मातम के रुप में क्यों मनाया जाता है।इस मुहर्रम को आशूरा कहते है आशूरा का मतलब ही मातम होता है जो कि 22 सितम्बर को मनाया जाएगा।देखते हैं कि यह त्योहार मातम का कैसे हुआ।दरअसल में आशूर के दिन,जो कि महीने के दसवें दिन मनाया जाता है यह दसवें दिन इस्लामिक इतिहास का सबसे निन्दनीय दिनों में से एक है।आशूर के दिन (मोहर्रम के 10 तारीख को) कर्बला के मैदान में हज़रत सल्लल्लाहो वसल्लम के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके बेटे को शहीद कर दिया गया था।इसीलिये इस पाक महीने के दसवें तारीख को मातम के रुप में मनाते आ रहे हैं। मौके पर ए डी एम ओमप्रकाश प्रसाद,ए एस पी मिथलेश कुमार,डी सी एल आर सचितानंद सुमन,सदर अनुमंडलाधिकारी संजीव कुमार चौधरी,लोजपा जिलाध्यक्ष प्रेम पासवान,जदयू जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय,दिलीप सिन्हा, उपमेयर राजीव रंजन सहित अन्य उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: