बिहार : मीडिया में ओबीसी हस्तक्षेप : हम मुर्दे की नहीं, मुद्दे की बात करते हैं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 सितंबर 2018

बिहार : मीडिया में ओबीसी हस्तक्षेप : हम मुर्दे की नहीं, मुद्दे की बात करते हैं

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‘वीरेंद्र यादव न्यूंज’ के तत्वावधान में आयोजित ओबीसी पत्रकारों की कार्यशाला को लेकर बहस तेज होती जा रही है। कुछ लोगों की शिकायत है कि यह मीडिया में जातिवाद का जहर फैलाने की साजिश है। पत्रकारों को जाति में बांटने का प्रयास है। इस तरह की शिकायत करने वाले सभी जातीय वर्ग से जुड़े हुए हैं। हम उनकी शिकायत या चिंता का सम्मान करते हैं। उनकी चिंता जायज भी हो सकती है या नाजायज भी।

हमने अपनी जिदंगी का आधा हिस्सा तो अखबार या चैनलों के कार्यालय, पार्टियों के कार्यालय और राजनीतिक बहसबाजी में ही गुजार दिया। मीडिया हाउस के डेस्क से लेकर रिपोर्टिंग तक को करीब से देखा है। मीडिया की छोटी गुमटी से लेकर बड़ी हवेली तक में लंबे समय तक काम किया है। हमने उन परिस्थिति का भी सामना करना पड़ा है, जब इंटरव्यू लेने वाले एचआर को हमें यह कहना पड़ा था कि जरूरत पड़ी तो आपको भी पीट सकता हूं। हुआ यूं कि एक अखबार के लिए इंटरव्यू देने गया था। उन्होंने पूछा आप क्यां कर सकते हैं। हमने कहा कि खबर लिख सकते हैं, खबर ला सकते है, पेज बना सकते हैं। लेकिन उनका और, और, और लंबा होता जा रहा था। आखिर में हमें कहना पड़ा कि जरूरत पड़ने पर किसी को पीट भी सकते हैं और आपको भी।

हम अपने मुद्दे पर वापस आते हैं। हमारा यह आयोजन किसी के खिलाफ नहीं है और न जातिवाद का जहर फैलाने का मकसद है। मीडिया में कोई जातिवाद है ही नहीं। किसी भी हाउस का चपरासी से लेकर ‘महासंपादक’ तक सभी मालिक के नौकर होते हैं। समाज या बाजार चपरासी से लेकर संपादक तक को उसके काम से नहीं,‍ बल्कि अखबार या चैनल के नाम से पहचानता है। इसमें जाति कहीं नहीं आती है। अखबार या मीडिया हाउसों में जातिवाद के नाम पर जो दिखता है या सुनायी पड़ता है, वह नौकरी देने या लेने वाले, सीनियर या जूनियर, बहाली या छंटनी, वफादारी या गद्दारी के नाम पर होने वाला व्यवहार है, जिसे जरूरत के हिसाब से जाति के आवरण में लपेट दिया जाता है।
      
‘वीरेंद्र यादव न्यपजू’ का मकसद ओबीसी पत्रकारों के साथ खबरों के सामाजिक सरोकार पर‍ विमर्श करना है। राजधानी पटना से लेकर प्रखंड मुख्यालयों तक कार्यरत पत्रकारों के अनुभव साझा करने का प्रयास है। खबरों के सामाजिक परिप्रेक्ष्य और सामाजिक दायित्व को बताने का प्रयास करना है। वीरेंद्र यादव न्यूज का मुद्दा रहा है- खबरों का सामाजिक सरोकार। इस सरोकार पर व्यापक फलक में हम बहस करना चाहते हैं। हम मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं, जो अपने मुद्दों पर मुर्दा बने हुए हैं, वे न हमारा विषय है और न टारगेट। अत: हम अपने शुभेच्छुओं से आग्रह करेंगे कि वे हमारे प्रयास को सकारात्मक परिप्रेक्ष्य में देंखे। इसमें नकारात्मकता तलाशने की कोशिश अस्वाभाविक नहीं है और हम उसका भी सम्मान करते हैं। धन्यवाद।

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