परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय योग शिविर का समापन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 11 सितंबर 2018

परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय योग शिविर का समापन

योग शिविर में भारतीय योग संस्थान के माध्यम से आये सैकड़ों योगी , प्रार्थना और प्रेरणा का केन्द्र है परमार्थ, समाज के लिये उपयोगी बने; सहयोगी बने और उद्योगी बने यही है सच्चा योग-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी
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ऋषिकेश, 11 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय योग शिविर का समापन हुआ। भारतीय योग संस्थान के माध्यम से आये शिविरार्थियों ने योग एवं ध्यान की विभिन्न विधाओं को आत्मसात किया। साथ ही परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती एवं सायंकालीन बेला में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और साध्वी भगवती सरस्वती जी के सत्संग एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शन का लाभ लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने तीन दिवसीय योग शिविर में आये योगियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आप योग एवं ध्यान की विधाओं को आत्मसात करने हेतु परमार्थ निकेतन ऋषिकेश आये यह भगवान नीलकंठ की, ध्यान की धरती है। सागर मंथन के समय सागर ने विष उगला तब भगवान नीलकंठ ने उस विष का शमन किया। जहर जो कहर बन सकता था उसका शमन किया। जीवन में भी कई बार कई तरह के विष पीने पड़ते है उनका भी शमन करने का एक ही तरीका है हम ध्यान करे; योग करे। स्वामी जी महाराज ने योग की धरती में सभी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि हम कई बार आसन तो करते है सर्पआसन करते है लेकिन अब समय आ गया है सर्व आसन करे अर्थात सब के लिये आसन। आसनों से जो शक्ति प्राप्त हो उस शक्ति को हम समाज में लगाये। समाज के लिये उपयोगी बने; सहयोगी बने और उद्योगी बने यही है सच्चा योग। स्वामी जी महाराज ने कहा कि ऋषियों ने सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्र दिये है सब को साथ-साथ लेकर चलने के मंत्र दिये है इसलिये सर्पासन तो करे सार्थ ही सर्वासन भी करे। भुजंगासन तो करे साथ ही भूख आसन भी करे ताकि किसी की भूख भी मिट सके; किसी का भय मिटाने वाला आसन भी करे। भुजंगासन उदर विकारों एवं जीर्णमंदाग्नि को ठीक करता है  आज समाज में भी ऐसी अनेक भूख है; भय है जिसका समाधान करना भी हम सभी का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि हम सभी लोगों तक तो नहीं पहुंच सकते लेकिन हमारे सम्पर्क में आने वाले कुछ लोगों की तो सेवा कर ही सकते है। प्रकृति के विषय में चर्चा करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि अब पर्यावरण योगी बनने का समय है ’’हर योगी बने पर्यावरण योगी।’’ ताड़ आसन करे साथ ही पेड़ आसन भी करे अर्थात पेड़ों का रोपण करे। स्वामी जी ने कहा कि योगी वहीं जो सदा सन्तुष्ट रहता है और अपनी बुद्वि को परमात्मा और परमात्मा की स्वरूप जो जनता है उनकी सेवा में निस्वार्थ भाव से अपने को लगाये रखता है। जो निष्काम भाव से सेवा करे वहीं सच्चा योगी है। हम किसी दिन योग न करे पाये कोई बात नहीं परन्तु सहयोग जरूर करे। कई बार लोग सहयोग नहीं बल्कि दूसरों का उपयोग करते है, लोगों का उपयोग नहीं बल्कि सहयोग करे यह भी एक योग है। सभी योग शिविर के सहभागियों ने कहा कि हम परमार्थ क्या आ गये स्वर्ग आ गये हम जब भी यहा आते है यहां की दिव्यता और आध्यात्मिक वातावरण हमें मंत्रमुग्ध कर देता है। उन्होने कहा कि प्रार्थना और प्रेरणा का केन्द्र है परमार्थ। स्वामी जी महाराज ने सभी योगियों को वृक्षारोपण का संकल्प कराया और कहा की सभी अपने अपने गंतव्य जाकर आस पास की गलियों और पार्को का भी स्वच्छता एवं हरियाली से श्रंगार करे। भारतीय योग संस्थान के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में आये योगियों ने दोनों हाथ उठाकर जल बचाने व प्रदूूषित न करने का संकल्प किया तथा स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। इस अवसर पर आचार्य श्री विजय जी, शिविर संयोजक श्री अशोक शास्त्री जी, महामंत्री श्री देवेन्द्र हितकारी जी, अध्यक्ष श्री के के अरोड़ा जी एवं अनेक योगी उपस्थित थे।

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