नई दिल्ली, 12 अक्टूबर, गरीब, वंचित, शोषित, समाज के दबे-कुचले व्यक्ति की गरिमा को बनाये रखने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि टिकाऊ विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आज सरकार जो भी प्रयास कर रही है, उसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। एनएचआरसी के 25वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मानव अधिकारों के प्रति इसी समर्पण ने देश को 70 के दशक में बहुत बड़े संकट से उबारा था। ’’ उन्होंने कहा कि आपातकाल के उस काले कालखंड में जीवन का अधिकार भी छीन लिया गया था, बाकी अधिकारों की तो बात ही क्या थी। लेकिन भारतीयों ने मानवाधिकारों को अपने प्रयत्नों से फिर हासिल किया ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 4 वर्षों की यह बहुत बड़ी उपलब्धि रही है कि इस दौरान गरीब, वंचित, शोषित, समाज के दबे-कुचले व्यक्ति की गरिमा को, उसके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए गंभीर प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ बीते 4 वर्षों में जो भी कदम उठाए गए हैं, जो योजनाएं बनी हैं, उनका लक्ष्य यही है और हासिल भी यही है ।’’ मोदी ने कहा कि सरकार का ध्यान इस बात पर रहा है कि सामान्य लोगों की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति उसकी जेब की शक्ति से नहीं, बल्कि सिर्फ भारतीय होने भर से ही स्वभाविक रूप से हो जाए। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को सेवा का माध्यम मानती है। सबको कमाई, सबको पढ़ाई, सबको दवाई और सबकी सुनवाई के लक्ष्य के साथ ऐसे अनेक काम हुए हैं, जिससे करोड़ों भारतीय भीषण गरीबी से बाहर निकल रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश बहुत तेज़ गति से मध्यम वर्ग की बहुत बड़ी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है । उन्होंने कहा कि गरीब को खुले आसमान के नीचे, मौसम के थपेड़े सहने पड़े, ये भी तो उसके अधिकार का हनन ही है। इस स्थिति से उसको बाहर निकालने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर बेघर-गरीब को आवास देने का अभियान चल रहा है।
मोदी ने कहा कि अब तक सवा करोड़ से अधिक भाई-बहनों को घर का अधिकार मिल भी चुका है । शौचालय न होने की मजबूरी में, जो अपमान वो गरीब भीतर ही भीतर महसूस करता था, वो किसी को बताता नहीं था। उन्होंने कहा कि विशेषतौर पर लाखों बहन-बेटियों के सम्मान से जीने के अधिकार का हनन तो था ही बल्कि जीने के अधिकार को लेकर भी गंभीर प्रश्न था । उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के अधिकार को बढ़ाने वाला दिव्यांग लोगों के अधिकार संबंधी कानून हो, उनके लिए नौकरियों में आरक्षण बढ़ाना हो या फिर ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की सुरक्षा वाला विधेयक हो....ये मानवाधिकारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का ही उदाहरण है । प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय पाने के अधिकार को और मजबूत करने के लिए सरकार ई अदालतों की संख्या बढ़ा रही है, राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड को सशक्त बना रही है । मुकदमों से संबंधित जानकारियां, फैसलों से जुड़ी जानकारियां ऑनलाइन होने से न्याय प्रक्रिया में और तेजी आई है और लंबित मामलों की संख्या में कमी हुई है । उन्होंने इस बारे में लोगों से सुझाव देने को कहा और जोर दिया कि देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरपल प्रतिबद्ध है।
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