पत्रकारों की हत्या सामान्य घटनाक्रम नहीं बनना चाहिए- संरा महासचिव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 3 नवंबर 2018

पत्रकारों की हत्या सामान्य घटनाक्रम नहीं बनना चाहिए- संरा महासचिव

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संयुक्त राष्ट्र, दो नवम्बर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि दुनियाभर में पत्रकारों की उनके काम करने की वजह से हत्या करने के मामले "घृणित" हैं और इसे " नया सामान्य" घटनाक्रम नहीं बनने देना चाहिए। गौरतलब है कि बीते एक दशक से अधिक समय में, खबरें देने का काम करते समय लगभग 1,010 पत्रकार मारे गए हैं, और 10 मामलों में से नौ मामलों में, अपराधियों को कभी न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा सका है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अकेले साल 2018 में ही कम से कम 88 पत्रकार मारे गए हैं। गुतारेस ने द इंटरनेशनल डे टू ऐंड इम्प्यूनिटी फॉर क्राइम्स अगेंस्ट जर्नलिस्ट्स के सालाना जलसे के मौके पर दिये जारी वीडियो संदेश में कहा, "हजारों लोगों को हमले का शिकार, उत्पीडि़त या फर्जी आरोप लगा कर बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए हिरासत या जेल में डाल दिया गया है।"  यह दिवस दो नवम्बर को मनाया जाता है।  महासचिव ने "धमकी और भय के बावजूद हर रोज अपनी नौकरियां करने वाले’’ संवाददाताओं को शुक्रिया अदा करते हुये अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि ‘‘पत्रकारों की रक्षा की जाए और उनके काम करने की आवश्यक शर्तों का निर्माण हो।"  इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर अवसर, संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) नौकरी के दौरान पत्रकारों के मारे जाने के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक पहल शुरू कर रहा है। इस पहला का नाम "सच कभी मरता नहीं" दिया गया है।  संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "सचाई कभी नहीं मरती और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी।"  वह इस बात पर प्रकाश डाल रहे थे कि जब पत्रकारों पर हमला किया जाता है तो "पूरा समाज इसकी कीमत चुकाता है।" 2017 में मीडिया में वैश्विक रुझानों संबंधी यूनेस्को के प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है कि पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दोषियों को दंड नहीं मिलना ही मानदंड बना हुआ है और अपहरण, गायब हो जाने और यातना देने की घटनाओं में 2012 से काफी बढ़ोतरी हुई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने सितंबर में एक प्रस्ताव अपनाते हुये अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया था कि ऐसी रणनीतियों को बढ़ावा दिया जाए जो पत्रकारों की रक्षा करती हैं और मीडिया के खिलाफ हिंसा करने वाले अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करती हैं। पत्रकारों के प्रति हिंसक घटनाओं में ताजा मामला पिछले महीने सऊदी मूल के असंतुष्ट पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का है। खशोगी की तुर्की के इस्तांबुल में बने सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी।

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