दरभंगा : "पौराणिक भारतीय गणितज्ञ और उनकी देन का महत्व "विषय पर हुआ राष्ट्रीय सेमिनार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 नवंबर 2018

दरभंगा : "पौराणिक भारतीय गणितज्ञ और उनकी देन का महत्व "विषय पर हुआ राष्ट्रीय सेमिनार

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क)  प्रोफेसर जयगोपाल , प्रति कुलपति , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा की अध्यक्षता में स्नातकोत्तर गणित विभाग के तत्वावधान में "पौराणिक भारतीय गणितज्ञ और उनकी देन का महत्व "विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के सभागार में आयोजन किया गया जिसके संयोजक स्वयं विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एन के अग्रवाल थे। बीज भाषण के लिये प्रोफेसर राधाकांत ठाकुर , राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, तिरुपति से पधारकर विषय से संबंधित सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए छात्रोंपयोगी भाषण से सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं को मुग्ध कर दिया ।अपनी सरल भाषाओ में उन्होंने जीरो के आविष्कार से लेकर इनफिनिटी तक कि विस्तार से चर्चा की , जिसका आविष्कार भारतीय प्राचीन गणितज्ञों द्वारा किया गया था। जीरो से नौ तक कि सांख्यकी के द्वारा सम्पूर्ण गणित का ज्ञान भारतीय बैज्ञानिकों द्वारा संभव हो सका। अपने भाषण के क्रम में उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे ज्ञान का कोई महत्व नही है जिसकी उपयोगिता सामान्य दैनिक जीवन मे सिद्ध ना हो। उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ के अनपढ़ महिला को भी गणित के माध्यम से दिन और दिशा का ज्ञान होता है,  जिसकी व्याख्या शब्दो मे नही की जा सकती है। विषय प्रवरर्तन करते हुये प्रोफेसर एन के अग्रवाल ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया और विषय के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। अपने भाषण के क्रम में प्रोफेसर अग्रवाल ने वैदिक काल से आजतक गणित के महत्व पर प्रकाश डाला और खासकर इस बात की चर्चा कि की हमारे भारतीय वैज्ञानिकों के आविष्कार का श्रेय अन्य देशों के गणितज्ञ ले जाते हैं जो सर्वथा अनुचित है। पुराने दिनों में विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण भारतीय वैज्ञानिकों का विस्तार आज के दिनों की अपेक्षा अधिक थी। आज भले ही वो क्षेत्र कोई और देश मे मिल गया हो , लेकिन आविष्कार के समय वह भारत ही था और वैज्ञानिक भारतीय ही थे। 
         
संकायाध्यक्ष वाणिज्य प्रोफेसर अजित कुमार सिंह ने गणित के आध्यात्मिक पक्ष की चर्चा की और अपने विश्लेषणात्मक उद्बोधन के क्रम में उन्होंने द्वेतवाद की चर्चा की और गुणात्मक शैली में गणित के धार्मिक और शैक्षिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए सबको आह्लादित किया। उन्होंने स्पष्टतः यह कहा कि वाणिज्य गणित प्रबंधन और अर्थशास्त्र का समेकित रूप है। इस अवसर पर प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ,अध्यक्ष, समाज शास्त्र विभाग विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे । मंचाचीन एवं मंच से इतर सभी अतिथियों का फिर से स्वागत करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय की तरफ से और वरिष्ठ अभिषद सदस्य के रूप में डॉ एन के अग्रवाल को साधुवाद दिया जिन्होंने लंबी अवधि के बाद गणित बिभाग के तत्वावधान में ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर सेमिनार आयोजित किया और विशिष्ट विद्वानों को आमंत्रित कर समारोह की सफलता को सुनिश्चित किया। वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एच के सिंह ने कहा कि गणित और वाणिज्य में अन्योन्याश्र संबंध है । विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास में वाणिज्य विभाग हमेशा अग्रसर रहा है। पुराने दिनों में अनुमान के माध्यम से गणित की गणना होती थी और व्यवसाय में भी लोग गणित का उपयोग करते थे। भले ही गणना का माध्यम अलग हो।
      
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर जयगोपाल ने इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए अन्य विभागों को भी इस तरह के आयोजन करने की सलाह दी। अधिक संख्या में छात्र छात्राओं की संख्या देख उन्होंने मुक्तकंठ से उसकी प्रशंसा की और प्रोफेसर अग्रवाल को इस तरह के आयोजन के लिये धन्यवाद ज्ञापन किया। मेंडल के सिद्धांत को  सरल भाषा में बताते हुए उन्होंने आज के मुख्य वक्ता प्रोफेसर राधाकांत ठाकुर के सरल और सर्व बोधगम्य भाषा की सराहना की। धन्यवाद ज्ञापन डॉ जयशंकर झा ने की। इस अवसर पर प्रोफेसर आई एन मिश्रा, निदेशक , बायोटेक्नोलॉजी, प्रोफेसर विजय मिश्र, निदेशक,पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान , प्रोफेसर बी बी एल दास, डॉ वाई एन मिश्रा, डॉ नारायण प्रसाद, डॉ मोइनुद्दीन अंसारी, डॉ एच सी झा, संकायाध्यक्ष डॉ शीला आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंच का संचालन डॉ आशीष कुमार ने किया।

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