नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर, उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकारों और उनके हितों का संरक्षण तथा उनका कल्याण सुनिश्चित करने वाला उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2016 लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि यह विधेयक 2015 में बनकर तैयार हो गया था। इसके लिए जानकार लोगों तथा उभयलिंगियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठनों से विचार-विमर्श कर उनके सुझावों को विधेयक में स्थान दिया गया है। विधेयक में कमी नहीं रहे इसके लिए इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर भी इसे डाला गया और इस संबंध में लोगों से राय ली गयी। विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा गया था और उसके 27 सुझावों को इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने विधेयक को पूरी तरह से उभयलिंगी व्यक्तियों के हितों को संरक्षित करने वाला करार दिया और कहा कि यह विधेयक उभयलिंगी व्यक्तियों के कल्याण के लिए जरूरी था। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान जिन सदस्यों ने इस पर अपने विचार रखे हैं उनके महत्वपूर्ण सुझावों को इसमें शामिल किया जाएगा ताकि यह कानून पूरी तरह से उभयलिंगी व्यक्तियों को सशक्त बना सके। इससे पहले विधेयक चर्चा के लिए प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा था कि लंबे समय से संबंधित व्यक्ति एवं संगठन उभयलिंगी लोगों के अधिकारों के संरक्षण का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। अप्रैल 2014 में उच्चतम न्यायालय का एक निर्णय भी इस बारे में आया। उसके बाद सरकार ने विभिन्न पक्षों से विचार मंत्रणा करके एक विधेयक तैयार किया था। इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया था। समिति ने अनेक सुझाव दिये जिनमें से 27 को स्वीकार करके सरकार इस विधेयक में 27 संशोधन प्रस्ताव लायी है। विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए उन्होंने विपक्ष से अनुरोध किया था कि चूंकि विधेयक पर पहले ही सदन में काफी चर्चा हो चुकी है इसलिए इस पर ज्यादा समय नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर निजी विधेयक के माध्यम से भी काफी चर्चा सदन में हो चुकी है।
सोमवार, 17 दिसंबर 2018

उभयलिंगी अधिकार संरक्षण विधेयक पारित
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