मधुबनी (रजनीश के झा) 15 दिसंबर, CSTC के द्वारा मधुबनी जिले में आयोजित होने जा रहा मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. जानकारी हो कि CSTS द्वारा इस कार्यक्रम की जब से रूप रेखा का निर्धारण हुआ जिले नहीं सम्पूर्ण मिथिलांचल में एक उत्सवोंमुखी उल्लास का माहौल था, आयोजन के दिन की आती नजदीकियों से साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, पत्रकारिता के साथ साथ तमाम क्षेत्र से जुड़े लोगों में जिज्ञासा और उत्साह महसूस किया जा सकता है. लिटरेचर फेस्टिवल जिले के राजनगर में 19 दिसंबर से 21 दिसंबर को मनाया जाएगा, जिसकी तैयारी जोरों से चल रही है. इस कार्यक्रम में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिसमें देश विदेश के विश्व स्तरीय विद्वानों के साथ साथ कला संस्कृति को सहेजने वाली हमारी ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को भी नारी सशक्तिकरण के आइकोन के रूप में सामने लाया जाएगा !
CSTS की श्रीमती सविता झा खान ने कहा कि मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल एक बहुभाषिक समुदाय की अपने धरोहर को सचेतन को समेटने तथा समृद्ध साहित्य कला के उत्साह का उतसव साबित होगी। इसकी परिकल्पना विरासत, स्थानीयता और वैश्विक को एक सूत्र में बांधने का है। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को उनके समृद्ध संस्कृति से परिचय कराना एवं विस्थापन को रोकना है। इस फेस्टिवल का विषय क्षेत्र मिथिला के विशिष्ट अतीत और भविष्य का रेखांकन है। उन्होंने कहा कि राजनगर कभी मिथिला के सांस्कृतिक धरोहर का केन्द्र हुआ करता था। जिस कारण यहां लोककला, इतिहास, साहित्य और संस्कृति, बौद्धिक, दर्शन आदि धरोहरों का संरक्षण एवं नई पीढ़ी को इस अतीत से अवगत कराना आवश्यक है। इस फेस्टिवल में तंत्र शक्ति परंपरा, मैथिली भाषा साहित्य, उद्योग, जल संसाधन, कुटीर उद्योग, हस्तकला, मिथिला चित्रकला, भोजन-विन्यास, स्थापत्य, जीवन शेली, मैथिली रंगमंच, ध्रुपद संगीत, फोटोग्राफी आदि विषयों पर पैनल डिस्कशन, वार्ता, प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर के विद्वानों का समागम होगा। मिथला पर बहुभाषीय पुस्तक अहिवात का भी लोकार्पण किया जाएगा। इस फेस्टीवल का उद्घाटन पद्मश्री बौआ देवी करेंगी। तीन दिवसीय इस महोत्सव में प्रतिदिन मैथिली कवि गोष्ठी, मिथिला पें¨टग पर कार्यशाला, बाल रंगमंच शिविर, फोटोग्राफी, मैथिली गीतनाद प्रतियोगिता, अरिपन, हस्तकरघा, भारतीय पुरातत्व व मैथिली साहित्य प्रदर्शनी, गांधी कवि गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, पुस्तक मेला का भी आयोजन किया जाएगा।
पत्रकारों को राजनगर कालेज के प्राचार्य डॉ. हीरानंद आचार्य, अमित आनंद, कैलाश भारद्वाज ने भी संबोधित किया.
CSTS की श्रीमती सविता झा खान ने कहा कि मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल एक बहुभाषिक समुदाय की अपने धरोहर को सचेतन को समेटने तथा समृद्ध साहित्य कला के उत्साह का उतसव साबित होगी। इसकी परिकल्पना विरासत, स्थानीयता और वैश्विक को एक सूत्र में बांधने का है। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को उनके समृद्ध संस्कृति से परिचय कराना एवं विस्थापन को रोकना है। इस फेस्टिवल का विषय क्षेत्र मिथिला के विशिष्ट अतीत और भविष्य का रेखांकन है। उन्होंने कहा कि राजनगर कभी मिथिला के सांस्कृतिक धरोहर का केन्द्र हुआ करता था। जिस कारण यहां लोककला, इतिहास, साहित्य और संस्कृति, बौद्धिक, दर्शन आदि धरोहरों का संरक्षण एवं नई पीढ़ी को इस अतीत से अवगत कराना आवश्यक है। इस फेस्टिवल में तंत्र शक्ति परंपरा, मैथिली भाषा साहित्य, उद्योग, जल संसाधन, कुटीर उद्योग, हस्तकला, मिथिला चित्रकला, भोजन-विन्यास, स्थापत्य, जीवन शेली, मैथिली रंगमंच, ध्रुपद संगीत, फोटोग्राफी आदि विषयों पर पैनल डिस्कशन, वार्ता, प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर के विद्वानों का समागम होगा। मिथला पर बहुभाषीय पुस्तक अहिवात का भी लोकार्पण किया जाएगा। इस फेस्टीवल का उद्घाटन पद्मश्री बौआ देवी करेंगी। तीन दिवसीय इस महोत्सव में प्रतिदिन मैथिली कवि गोष्ठी, मिथिला पें¨टग पर कार्यशाला, बाल रंगमंच शिविर, फोटोग्राफी, मैथिली गीतनाद प्रतियोगिता, अरिपन, हस्तकरघा, भारतीय पुरातत्व व मैथिली साहित्य प्रदर्शनी, गांधी कवि गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, पुस्तक मेला का भी आयोजन किया जाएगा।
पत्रकारों को राजनगर कालेज के प्राचार्य डॉ. हीरानंद आचार्य, अमित आनंद, कैलाश भारद्वाज ने भी संबोधित किया.
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