कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल के एक वर्ष पूरे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 17 दिसंबर 2018

कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल के एक वर्ष पूरे

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नयी दिल्ली 16 दिसम्ब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शानदार प्रदर्शन के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में श्री राहुल गांधी के एक वर्ष रविवार को पूरे हुए।  श्री गांधी ने ट्वीट किया , “ कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने के पहली वर्षगांठ पर कांग्रेस को मजबूत और जाेशपूर्ण बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता हूं।” पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक वर्ष पूरे करने के मौके पर मिली बधाईयों की प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा, “ मुझे आज बधाईयां और संदेश मिले हैं , उससे मैं बहुत अभिभूत हूं । आप सभी के समर्थन और हौसलाअफजाई के लिए हरेक का शुक्रिया।” अड़तालीस वर्षीय श्री गांधी वर्ष 2013 में कांग्रेस के उपाध्यक्ष नियुक्त किये गये थे और इसके बाद 16 दिसम्बर 2017 को उन्होंने अपनीं एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी से कांग्रेेस अध्यक्ष का पदभार लिया था। वह देश की आजादी के बाद से सबसे पुरानी पार्टी के 16वें अध्यक्ष एवं गांधी-नेहरु परिवार से पांचवें अध्यक्ष हैं। श्री गांधी के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के एक साल बाद ही 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर से भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को जहां 282 सीटें मिली , वहीं कांग्रेस 44 सीटों पर ही सिमट गयी। श्री गांधी की मेहनत दिन-प्रतिदिन बढ़ती गयी और तीन साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए । इस चुनाव में कांग्रेस जीत हासिल तो नहीं कर सकी , लेकिन भाजपा को पूर्व के 115 सीटों की तुलना में 99 सीटों में ही सिमटा दिया।  इसके एक माह बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष बने और राजस्थान के अलवर और अजमेर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली। इसी प्रकार गत मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जनता दल सेक्युलर से गठबंधन किया। गठबंधन की जीत के साथ ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का पद भी जद(एस) को दे दिया । इस घटनाक्रम को राज्य से भाजपा को सत्ताच्युत करने के लिए एक राजनीतिक चतुराई के रूप में देखा गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्री गांधी ने हतोत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं का न केवल उत्साहवर्धन किया , बल्कि राजनीतिक भूगोल में भाजपा के हृदयस्थल माने जाने वाने तीन राज्यों में हालिया जीत के जरिए यह भी साबित किया है कि वह मोदी-अमित शाह के बल को कमजोर भी कर सकते हैं।

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