राजपथ पर पहली बार दिखे आजाद हिंद फौज के सेनानी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 जनवरी 2019

राजपथ पर पहली बार दिखे आजाद हिंद फौज के सेनानी

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नयी दिल्ली, 26 जनवरी, इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में बहुत कुछ नया और पहली बार देखने को मिला। शनिवार को राजपथ पर पहली बार जहां आजाद हिंद फौज (आईएनए) के चार सेनानी परेड का हिस्सा बने तो 183 साल पुरानी असम राइफल के महिला दस्ते ने अपना दमखम दिखाया। वहीं पहली बार भारतीय वायुसेना के एक विमान ने उड़ान के लिये पारंपरिक एवं जैव ईंधन के मिश्रण का इस्तेमाल किया। हाल में अमेरिका से खरीदी गयी अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप एम777 और सेल्फ प्रोपेल्ड तोप के-9 वज्र भी इस साल झांकी का हिस्सा बनीं। आईएनए के चार पूर्व सेनानी एक खुली जीप में सवार थे। सेनानियों की उम्र 90 साल से ज्यादा है। उनकी जीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की श्वेत श्याम तस्वीर लगी थी। आजाद हिंद फौज के सेनानियों परमानंद, ललित राम, हीरा सिंह और भागमल के राजपथ से गुजरते समय वहां मौजूद दर्शकों ने तालियों के साथ उनका स्वागत किया। आजाद हिंद फौज एक सशस्त्र बल था जिसकी स्थापना 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया में राष्ट्रवादी रास बिहारी बोस ने की थी। बाद में ब्रिटिश सेना के खिलाफ जंग में नेताजी ने आजाद हिंद फौज का कार्यभार संभाला। दिल्ली क्षेत्र मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजपाल पुनिया ने कहा कि आईएनए के सेनानी पहली बार परेड का हिस्सा बने। 70वें गणतंत्र दिवस परेड में असम राइफल की महिला टुकड़ी के नेतृत्व में ‘नारी शक्ति’ का भी गौरवशाली प्रदर्शन देखने को मिला, जिसने पहली बार राजपथ पर कदमताल कर इतिहास रच दिया। एक बच्चे की मां 30 वर्षीय मेजर खुशबू कंवर के नेतृत्व में देश के सबसे पुराने अर्द्धसैनिक बल असम राइफल की महिला टुकड़ी ने राजपथ पर नारीशक्ति का गौरव पेश किया।

मेजर खुशबू कंवर ने कहा, ‘‘असम राइफल की महिला टुकड़ी का नेतृत्व करना मेरे लिये बेहद सम्मान और गर्व की बात है। हमने कठिन अभ्यास किया था... मैं राजस्थान से एक बस कंडक्टर की बेटी हूं और अगर मैं ऐसा कर सकती हूं तो कोई भी लड़की अपना सपना पूरा कर सकती है।’’  हालांकि ऐसा नहीं था कि राजपथ पर सिर्फ इन्हीं महिलाओं ने अपना दमखम दिखाया बल्कि सिग्नल कोर की कैप्टन शिखा सुरभि ने अपने साथी जांबाज पुरूष के साथ बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाये। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि आसमान में भी पहली बार इतिहास रचा गया। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि फ्लाईपास्ट झांकी के दौरान भारतीय वायुसेना के एक एएन-32 विमान में पहली बार पारंपरिक एवं जैवईंधन के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था। वायुसेना ने बताया कि इस जैवईंधन का निर्माण जट्रोफा पौधे के बीज और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) तथा भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून की पेटेंट प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हुआ है। परेड के दौरान पहली बार भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित तैयार धुन ‘शंखनाद’ भी बजायी गयी जो महार रेजिमेंट के एक पूर्व सैनिक द्वारा रचित कविता पर आधारित है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने गेंदा, चमेली और गुलाब जैसे फूलों की झांकी से सबका मन मोह लिया। फूलों की इस झांकी को बनाने में करीब तीन लाख फूलों का इस्तेमाल हुआ। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित इस साल की थीम को ध्यान में रखते हुए सीपीडब्ल्यूडी ने राष्ट्रपिता को समर्पित उनकी फूलों की प्रतिमा बनाकर यह झांकी तैयार की थी जिसमें गांधी के ‘दांडी मार्च’ का चित्रण किया गया था।

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