पटना 20 जनवरी 2019 भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने विगत 7 जनवरी से रसोइया संगठनों के संयुक्त आह्वान पर जारी विद्यालय रसोइयों की हड़ताल का समर्थन किया है और स्कीम वर्करों के प्रति कंेद्र व बिहार सरकार के उदासीन रवैये की कड़ी आलोचना भी की है. उन्होंने कहा कि अभी हाल में आशा कार्यकर्ताओं ने लड़कर सरकार को झुकाया है, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने भी आंशिक जीत दर्ज की है और हमें उम्मीद है कि विद्यालय रसोइया भी सरकार को झुका कर ही दम लेंगी. उन्होंने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण व सामाजिक न्याय की बात करते थकती नहीं लेकिन महिला श्रम का इतना बडा हिस्सा लगभग बेगार काम करता है और उसका वाजिब हक उसे नहीं मिल रहा है. रसोइयों की वजह से न सिर्फ विद्यालयों में ड्राप आउट घटा अपितु बच्चों के स्वास्थ्य में भी बेहतरी दर्ज की गई और साक्षरता दर भी बढ़ी है लेकिन सरकार उनकी मांगों के प्रति उदासीन और संवेदनहीन बनी हुई है. हम विद्यालय रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, मानदेय बढ़ाकर 18000 रु. करने, 3 हजार रु. प्रति माह पेंशन व ईपीएफ, इएसआई, बीमा, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, 10 महीने की बजाए 12 महीने नियमित भुगतान करने, मातृत्व व विशेष अवकाश प्रदान करने, उन्हें नियुक्ति पत्र अथवा चयन पत्र देने, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने सहित सभी 14 सूत्री मांगों का समर्थन करते हुए सरकार से इस पर अविलंब कार्रवाई की मांग करते हैं.
रविवार, 20 जनवरी 2019
रसोइयों की मांगे माने सरकार, हड़ताल समाप्त करवाये : माले
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