हरेकृष्ण झा को प्रबोध साहित्य सम्मान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 1 जनवरी 2019

हरेकृष्ण झा को प्रबोध साहित्य सम्मान

वर्ष 2019-के लिए मैथिली भाषा और साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार ‘प्रबोध साहित्य सम्मान’ वरिष्ट मैथिली कवि-अनुवादक-चिन्तक श्री हरे कृष्ण झा को दिया जायगा। यह निर्णय आज विख्यात भा- विज्ञानी, कवि-नाटककार और एमिटी विश्वविद्यालय के चेयर-प्रोफेसर एवं कला संकाय के डीन प्रो: उदय नारायण सिंह ‘ नचिकेता ’ की अध्यक्षता में मैथिली के मूल एवं अनुवाद साहित्य में इनका आजीवन योगदान के आधार पर लिया गया है। प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति  पत्र के साथ एक लाख की रुपये की राशि का यह पुरस्कार श्री हरेकृष्ण झा को रविववार, 24 फरबरी 2019-के दिन पटना में प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रति-वर्ष ‘प्रबोध साहित्य सम्मान' मैथिली आंदोलन के अग्रणी नेता,  विशिष्ट विद्वान, संस्कृत-फारसी-पाली-मैथिली और हिन्दी के मूर्धन्य भाषा-शास्त्री एवं  कलकत्ता विश्वविद्यालय के भूतपूर्व हिन्दी विभाग्याध्यक्ष  डॉ. प्रबोध नारायण सिंह के  सम्मान में स्वस्ति फाउंडेशन द्वारा २००४ ई. से प्रदान किया जा रहा है।


हरेकृष्ण झा मैथिली और हिन्दी के चर्चित कवि और विचारक रहे हैं । मानवीय संवेदना और एक सभ्य समाज की तलाश में हरेकृष्ण जी अलग अलग समय में तकनिकी शिक्षा से लेकर अंग्रेजी साहित्य की पारंपरिक शिक्षा लेने की ओर कदम तो बढ़ाया पर कुछ रास नहीं आया । वामपंथ की ओर कुछ रुझान रहा इसलिए अभियंत्रगनक का अध्ययन को उन्होंने बिच में ही छोड़ दिया और मार्क्सवादी राजनीति में सक्रीय हो गए । 70 की दशक में नक्सली आंदोलन की ओर आकृष्ट होकर अपनी औपचारिक शिक्षा छोड़ दिया था पर मूल रूप से हरे कृष्ण जी हिंदी और मैथिली में मानवतावादी कवी के रूप में उभरकर आये हैं । मिथिला की संस्कृति और सभ्यता का उन्होंने गहन अध्ययन किया है ।  पिछले करीब चालीस सालों से कविता लेखन के अलावा उन्होंने अनुवाद को अपने जीवन यापन का साधन बनाया । विश्व के अनेक संस्थानों के लिए आपने अनुवाद करते रहे हैं । संकलित रूप से उनकी रचनाएँ ज्यादा नहीं मिलती पर उनके सुपरिचित काव्य-संग्रह का नाम है : 'ऐना त नहि जे ' (2006) उसके दस साल बाद उनकी पुस्तक 'ई थिक जीवन ' प्रकाशित हुई । इस  संग्रह में उन्होंने अंग्रेजी के कवि वाल्ट व्हिटमैन की कुछ चुनी हुई कविताओं का अनुवाद किया है । साहित्य अकादमी के लिए इन्होंने 'राजस्थानी साहित्य का विकास' का मैथिली अनुवाद किया । श्रीकृष्ण झा का जन्म 28 मार्च 1949 में कोइलख दरभंगा में हुआ था और वे रखुनाथ टोला अनीसाबाद, पटना में रहते हैं।

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