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बुधवार, 9 जनवरी 2019

सभी मानवरहित फाटक खत्म, बस एक ही ऐसा फाटक बचा

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नयी दिल्ली, नौ जनवरी, भारतीय रेलवे ने अपने नेटवर्क से मानवरहित फाटकों को खत्म करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है, बस इलाहाबाद संभाग का एक फाटक इसका उपवाद है। पिछले साल 3,478 मानवरहित फाटक खत्म किये गये। खत्म किया जाने वाला अंतिम मानवरहित फाटक जोधपुर संभाग में बाड़मेर-मुनाबाओ खंड में था जिसे मानवयुक्त बनाया गया। रेलवे ने उन मानवरहित फाटकों को बंद कर दिया जहां बहुत कम ट्रेनें गुजरती हैं या फिर उन्हें समीप के मानवयुक्त फाटक से संलग्न कर दिया। कुछ स्थानों पर उसने रेलमार्ग के नीचे से गुजरने वाली सड़क या सबवे बनाया तो कुछ स्थानों पर उसने उन्हें मानवयुक्त फाटक बना दिया। रेलवे के लिए इन मानवरहित फाटकों को खत्म करना उसके अपने नेटवर्क में सुरक्षा में सुधार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। वास्तव में, जब से रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस काम को प्राथमिकता बनाया तब से ऐसे फाटकों पर मौतों में भारी कमी आयी।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि ये (मानवरहित फाटक) मौत के भंवरजाल हैं। जिस रफ्तार से यह काम पूरा किया गया है, इसपर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। वर्ष 2009-10 में केवल 930 मानवरहित फाटक खत्म किये गये थे जबकि 2015-2016 में 1253 मानवरहित फाटक खत्म किये गये। पिछले साल सभी संभागों में 3,478 मानवरहित फाटक खत्म किये गये। पिछले सात महीने में यह काम पिछले सालों की तुलना में पांच गुणा तेजी से किया गया।’’  2014-2015 में मानवरहित फाटकों पर विभिन्न घटनाओं में 130 लोगों की जान चली गयी थी । 2015-16 में ऐसे फाटकों पर 58 लोगों और 2016-17 में 40 लोगों की मौतें हुईं। 2017-2018 में 26 लोग ऐसे फाटकों पर अपनी जान गंवा बैठे जबकि पहली अप्रैल, 2018 से 15 दिसंबर,2018 तक 16 लोग काल कवलित हो गये, उनमें 13 लोग कुशीनगर हादसे में मारे गये जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। पिछले साल अप्रैल में हुए कुशीनगर हादसे के बाद ही गोयल ने सभी मानवरहित फाटकों को खत्म करने की समय सीमा 2020 से घटाकर सितंबर, 2019 कर दी। ऐसा आखिरी मानव रहित फाटक उत्तर प्रदेश में है लेकिन इसे स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण खत्म नहीं किया जा सका है।अधिकारियों ने बताया कि इसे भी इस वर्ष तक खत्म कर दिया जाएगा।

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