बिहार : राज्य स्तरीय भूमि अधिकार एवं भूमि आधारित आजीविका पर संवाद संपन्न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 19 जनवरी 2019

बिहार : राज्य स्तरीय भूमि अधिकार एवं भूमि आधारित आजीविका पर संवाद संपन्न

भूमि एवं भूमि आधारित आजीविका का फोरम बनाने पर मतैक्य समान विचार वालों के लिए द्वार खुला 
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पटना,19 पटना। गैर सरकारी संस्था है प्रगति ग्रामीण विकास समिति। आज शनिवार को ए.एन. सिन्हा इंस्टीच्यूट में राज्य स्तरीय भूमि अधिकार एवं भूमि आधारित आजीविका पर संवाद आयोजित किया। इसमें समाज के किनारे रहने वाले दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाली विभिन सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। पहली बार एन.जी.ओ. और डोनर के प्रतिनिधियों का संगम हुआ।  बिहार विघापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश,आई.ए.एस. ने कहा है कि बड़े जानवरों पर अमीर लोगों का वर्चस्व है। इसके कारण बड़े लोगों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास होते रहे है। अब जरूतर है कि गरीब लोग छोटे जानवरों पर एकाधिकार कायम करें। ऐसा करने से सामाजिक एवं आर्थिक विकास संभव हो पाएगा। एक बार फिर मुसहर समुदाय को चूहा पालन करने पर बल दिया। कई जगहों पर दुकान है जहां पताल बगेड़ी मांगने पर चूहों की मीट परोस देंगे। मुर्गी से अधिक प्रोटीनयुक्त है चूहों की मीट के अंदर। मुर्गी में प्रोटीन है तो चूहों में प्रोटीन और कार्बोहाइडेट भी है।   आगे बिहार विघापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश ने कहा कि हम गरीबों के अधिकार के बारे में बात करते हैं। मगर उनको अधिकार दिलवाने में प्रयास नहीं करते हैं। उनके कार्य को हमलोग व्यवसायीकरण करने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। गरीब लोग कड़ी मेहनत करते हैं। कुछ कार्यों में उनका एकाधिकार है। उक्त एकाधिकार कार्य का प्रमाण-पत्र देकर व्यवसायी का गुणगान करते हैं तो उक्त कार्य का सम्मान मिलने लगा। जो कार्य कर रहा है उसके काम का दाम मिलने लगेगा। उन्होंने स्मॉल एनिमल स्मॉल फार्म की वकालत किए। इस पर चलना शुरू कर दिया गया है। बिहार विघापीठ में 500 स्कावर फीट में मुर्गी पालन कर रहे हैं। तीन लाख रू.लागत से 6 से 7 हजार रू. रोजाना आमदनी हो रहा है।  आगे बिहार विद्यापीठ और बिहार सरकार में वरिष्ठ पद पर रहे विजय प्रकाश ने कहा कि आज का जो मुद्दा है वो सबसे गरीब तबके से जुड़ा है। पिछले तीस-चालीस वर्षो से राजनीतिक इच्छाशक्ति कीे कमी के चलते भूमि का मुद्दा गौण हो गया और हमारा ध्यान सिर्फ सड़क निर्माण, पुल निर्माण की तरफ गया और इन सब के बीच भूमिहीन किसानों की तकलीफ को समझने की किसी ने भी कोशिश नहीं की। भूमिहीन किसानों के अंतर्गत मुसहर जाति के लोग भी आते हैं। आज आप कितनी भी जमीन की बात कर लीजिए आपकी बात सरकार नहीं मानेगी। आपको अपनी बात कहने के लिए स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ेगी। सबसे पहले तो आप लोगों को एक पीआईएल दर्ज करना होगा। क्योंकि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति समाप्त हो जाती है, तब कोर्ट ही न्याय करता है। उन्होंने कहा कि भूमिहीन होने की वजह से उनके एड्रेस में स्थायित्व नहीं होता। इसलिए एक परमानेंट एड्रेस होना भी बेहद जरूरी है। बिना खूंटी के गाय भी भटकती है, वैसी ही हालत मनुष्य की भी है। निश्चित पता होने पर व्यक्ति भी अनुशासित हो जाता है।

लैंडलेसा के विनय ओहदार ने कहा कि विगत कुछ दशकों से सरकार के द्वारा षिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, काम मांगने का अधिकार दी है। मगर भूमि का अधिकार नहीं मिला है। इसके कारण लोगों अपने पास रहने के लिए जमीन नहीं है। आशियाना बसेरा कार्यक्रम लाया गया इसमें 23 हजार लोगों को जमीन दी गयी। लोगों को जमीन नहीं मिली परन्तु पर्चा मिला। जमीन पर दखल भी नहीं है।  प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी हैं। गांधीवादी इस संस्था के द्वारा प्रारंभ में पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, नालंदा, नवादा,बक्सर और जमुई में समाज के किनारे रह जाने वाले लोगों के सर्वाग्रीण विकास करने का कार्यक्रम किया जाता रहा।  अब भोजपुर, पटना, अरवल, जहानाबाद, गया, मुंगेर, बांका और कटिहार जिले में कार्य किया जा रहा है। इस समय कटिहार जिले के समेली और कुर्सेला प्रखंड के दस-दस गांवों में भूमि एवं भूमि आधारित आजीविका के अधिकार पर कार्य किया जा रहा है। आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन, जिनको पर्चा मिला है परन्तु कब्जा नहीं मिला है उनको संबंधित पदाधिकारियों से मिलकर सौहार्दपूर्ण वार्ता करके कब्जा दिलवाना। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना। जैविक खेती को प्रोत्साहित करना। दैनिक आहार का स्तर उन्नत करने का सुझाव, सामाजिक सुरक्षा पेंशन,शुद्ध पेयजल, महात्मा गांधी नरेगा से ग्रामीणों को जोड़कर आय वर्द्धन करवाना। 

कुछ दिक्कत : कुर्सेला प्रखंड के तिनद्यरिया दलित टोला में रहने वाले 44 लोगों को पुनर्वासित किया गया। मगर एक दषक से वासगीत पर्चा नहीं मिल रहा है। अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति और पिछड़ी जाति के लोगों को लाल कार्ड के माध्यम से आवासीय और खेती योग्य जमीन का पर्चा मिला है परन्तु लोगों को जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। सबसे बुरी हालत है कि बिहार भूदान यज्ञ समिति के द्वारा मिली जमीन का दाखिल खारिज नहीं हो पा रहा है। अगर जमीन पर कब्जा नहीं है तो उक्त जमीन को सरकारी कब्जा में दिया गया है। आवासीय भूमिहीन 12 महादलितों को सरकार के द्वारा जमीन खरीदकर दी गयी है। वह जमीन पूर्णतः गढ्डे में है। उक्त जमीन पर जलजमाव होने से जमीन का सीमांकन करना मुश्किल है।  बिहार के समान विचार रखने वालों को फोरम बनाने पर मतैक्य बना। केवल भूमि से ही आजीविका को न जोड़ने पर सहमति बनी। आजीविका से संबंधित नवाचार को अपनाने पर बल दिया गया। आई.जी.एस.एस.एस. के एडविन चाल्र्स का कहना है कि यह केवल सहायता पाने वालों का फोरम नहीं होगा वरण सभी लोगों के लिए द्वार खोलकर रखा जाएगा।  आई.जी.एस.एस.एस. के एडविन चाल्र्स, लैंडलेसा के विनय ओहदार, प्रयास ग्रामीण विकास समिति के कपिलेष्वर राम, प्रदान की सहाना परवीन,ईजाद की अख्तरी बेगम, प्रगति ग्रामीण विकास समिति की सिंधु सिन्हा, प्रैक्सिस के अंनदो बार्नजी, मंजू डू्रगडूंग, पंकज आदि ने संबोधित किया। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्षी ने संवाद का संचालन किया।

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