नयी दिल्ली, 26 जनवरी सत्तरवें गणतंत्र दिवस के मौके पर शनिवार को राजपथ पर सामरिक शौर्य, सुरक्षा, सभ्यता और संस्कृति का अद्भुत संगम तथा विभिन्न लोक कलाओं का अनूठा नजारा देखने को मिला। इस बार की झांकियां राष्ट्रपति महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित रहीं। राजपथ पर सबसे पहले सिक्किम की झांकी निकली, जिसमें बापू की कल्पनाओं एवं दृष्टिकोण के अनुरूप राज्य में होने वाली शत-प्रतिशत जैविक खेती को दर्शाया गया। इसे लोगों ने काफी सराहा और कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए तालियां बजाई। महाराष्ट्र की झांकी में महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाये गये भारत छोड़ो आंदोलन की झलक दिखायी गयी, इससे लोगों के दिमाग में देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियां ताजी हो गयीं और लोगों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में उठ खड़े हुए और तालियां बजाकर उनके प्रति आदर प्रकट किया। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की झांकी में बापू द्वारा वहां के सेलुलर जेल में कैदियों के साथ बिताये गए लमहों को दिखाया गया। इस दौरान लोग शांत होकर गांधी जी की कैदियों को दी जाने वाली प्रेरणा सुनी और इस उनके सम्मान में तालियां बजायीं। असम की झांकी में कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के सपनों के साथ बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए बापू के चलाये गये राष्ट्रीय आंदोलनों को दर्शाया गया, जिसे असम के लोगों ने काफी ध्यान से देखा और उनके सम्मान में तालियां बजायीं। त्रिपुरा की झांकी में गांधी जी के सिद्धांतों पर आधारित समतावादी और एथनिक संस्कृतियों को दर्शाया गया, जिसे लोगों ने काफी सराहा।
गोवा की झांकी में गांधी जी के सिद्धांत ‘सर्व धर्म सम्भाव’ का अनुसरण करने वाले अहिंसापूर्ण-सह-अस्तित्व की दीर्घकालीन परंपरा को दर्शाया गया, इस दौरान दर्शकों ने खड़े होकर बापू के सम्मान में तालियां बजायीं। सूर्योदय की धरती अरुणाचल प्रदेश की झांकी में गांधी के मूल मंत्र स्वच्छता पर आधारित स्वच्छ मोंपा गांव की शांतिपूर्ण सांस्कृतिक जीवन को दिखाया गया, जिसे देखकर लोग काफी प्रभावित हुए और आपस में सफाई की बात करते हुए दिखाई दिये। पंजाब की झांकी में 13 अप्रैल 1919 में घटित हुई जालियांवाला बाग के उस हृदय विदारक घटना को दर्शाया गया, जिसमें ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड एडवर्ड हैरी डायर की अगुवाई में ब्रिटिश सेना ने आजादी के मतवालों पर गोलियां बरसायी थीं। इस दौरान दर्शक अंग्रेजों की क्रूरता की निंदा और इस घटना में शहीद हुए देश के सपूतों को सलाम करते हुए दिखायी दिये। तमिलनाडु की झांकी में किसानों की दशा को देखकर महात्मा गांधी के पहनावे में आये बदलाव को दिखाया गया। 21 सितंबर 1921 में तमिलनाडु के मदुरै दौरे पर गये बापू किसानों की दुर्दशा को बहुत दुखी हुए थे। उन्होंने देखा कि किसानों के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं है। उनके बदन पर पुराने, फटे तथा नाममात्र के कपड़े थे। इसको देखकर बापू ने बदन को ढकने के लिए सिर्फ धोती पहने का फैसला ले लिया। इस दौरान लोगों ने बापू के सम्मान में तालियां बजायीं।

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