दार्शनिक स्तर पर भारतीयता की तलाश का विराट प्रयास किया
दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह ने जुबली हॉल में विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्वावधान में आयोजित विवेकानंद जयंती समारोह के अध्यक्षीय आसन से उपर्युक्त उद्गार व्यक्त किया।प्रो सिंह ने नव निर्वाचित छात्र संघ के इस प्रथम आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें साधुवाद दिया।विवेकानंद ने जिस चारित्रिक दृढता की वकालत की,उसकी आवश्यकता आज की युवा पीढ़ी को सर्वाधिक है। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ• चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने विवेकानंद को भारतीय नवजागरण का अग्रदूत और नव वेदांत का अप्रतिम भाष्यकार कहा ।उन्होंने कहा कि विवेकानंद की दृष्टि में धर्म विज्ञान है और दान ही सबसे बड़ा धर्म है।विवेकानंद प्लेटो की तरह शंका पर बल देते थे,इसीलिए तो तीन वर्षों तक अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की परीक्षा लेते रहें।संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो अजित कुमार सिंह ने विवेकानंद के शिकागो में आयोजित सर्वधर्म सम्मलेन के प्रसंगों की चर्चा की।अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी ने विवेकानंद को युवा शक्ति के लिए अक्षय ऊर्जा का स्रोत कहा।एम॰बी॰ए॰ का छात्र शुभम कुमार ने स्वामी विवेकानन्द के बारे में अपने विचार रखा।कार्यक्रम में ,गणित विभागाध्यक्ष प्रो॰॰ नवीन कुमार अग्रवाल , अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो॰अरुणिमा सिंह , अर्थशास्त्र विभागाध्य़ डा॰ हिमांसु शेखर, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा॰निरजा मिश्रा , एन॰एस॰एस॰ समन्वयक डा॰ आनन्द प्रकाश गुप्ता , छात्रसंघ पुर्व अध्यक्ष श्री सूरज कुमार सहित कई पदाधिकारी , कर्मचारीगण एवं छात्रगण मौजूद थे ।कार्यक्रम का संयोजकत्व अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो॰ रतन कुमार चौधरी ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह एवं मंचासीन विद्वानों के दीप- प्रज्ज्वलन एवं विवेकानंद की तस्वीर पर पुष्पांजलि से हुआ।आगत अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन छात्र संघ महासचिव उत्सव कुमार परासर ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन छात्र संघ अध्यक्ष मधुमाला कुमारी ने किया।
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