मोदी बोले - ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

मोदी बोले - ‘मिच्छामि दुक्कडम्’

modi-in-udaypur
उदयपुर: 15 फरवरी 2019। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 16वीं लोकसभा के आखिरी भाषण में सदन के नेता के रूप में सदन के सभी सदस्यों की ओर से किसी भी प्रकार की गलती के लिए जैन धर्म के, प्राकृत भाषा के ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ शब्द का प्रयोग करके माफी मांगी। जब अनेक सदस्य इस शब्द का अर्थ नहीं समझ पाए तो श्री मोदी ने कहा कि क्षमा प्रार्थना के लिए जैन धर्म के पर्युषण पर्व में ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ एक बहुत बड़ा सन्देष देने वाला शब्द है। उस भावना को मैं प्रकट करता हूँ।  श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय में प्रवासरत श्रमण डाॅ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह शब्द प्रयोग करके भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग दर्षाया है। उन्होंने कहा कि इससे यह प्रेरणा मिलती है कि हमें हमारे वचन व्यवहार में भारतीय भाषा का प्रयोग करना चाहिये। अंतरराष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन व शोध केन्द्र के निदेषक डाॅ. दिलीप धींग ने इसे प्राकृत भाषा का सम्मान बताया है। उल्लेखनीय है कि 2014 में गुजरात विधानसभा से विदाई के वक्त भी श्री मोदी ने ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ कहकर क्षमायाचना की थी।  

कोई टिप्पणी नहीं: