पटना,19 फरवरी। देश-विदेश-प्रदेश में विख्यात गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल ने कहा कि अगर सी.एम.नीतीश कुमार जी चाहे तो क्षण भर भूमि समस्या का समाधान हो जाए। उन्होंने कहा कि आगे भूमि समस्या का हल,पीछे वोट ..नहीं हल तो नहीं वोट का नारा बुलंद किया। आज सोमवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जन संगठनों का दम दिखा। जन संगठनों के द्वारा ग्रासरूट में कार्य किया जाता है। विभिन्न अंचलों में गैरबराबरी के खिलाफ संवाद व संघर्ष करने वाले गरीब ग्रामीणों ने अपने तमाम भूमि अधिकारों के मसले को लेकर प्रभावशाली समावेश किया।
कैसे और कहां से आए?
पश्चिमी चम्पारण जिले में स्थित भितिहरवा गांधी आश्रम से 4 फरवरी को चले थे। 17 फरवरी को सत्याग्रह संवाद पदयात्रा में शामिल पदयात्री तरूमित्र आश्रम,दीघा में अंतिम रात्रि पड़ाव रहा। सुबह में सत्याग्रही बिहार भूमि अधिकार जन जुटान रैली 18 फरवरी में शामिल हुए. सिस्टर फ्लोरा व सिस्टर ज्योति शामिल थीं। नेतृत्व पंकज जी ने किया। तरुमित्र आश्रम, दीघा में इस बीच अन्य जिलों के अनेक साथी आ गये। दैनिक अखबार हिंदुस्तान से जुड़े रहे थे पत्रकार हेमंत, घनश्याम, कौशल गणेश आजाद, उमेश (मुज.) आदि।
पूरे प्रदेश में 35 लाख आवासीय भूमिहीन हैं
केंद्र एवं राज्य सरकार ने जनहित में अनेकों कानून एवं योजनाएं बनायी हैं। सारी बाधाओं को पारकर उसका क्रियान्वयन कमोवेश बेहतर ढंग से हो रहा है। मगर कुछ शेष है उसको लेकर जन संगठन प्रतिनिधि चिंतित रहते हैं। इस समय अहम मुद्दा यह है कि बिहार में भूमि सुधार कानून का अनुपालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। एक अनुमान के अनुसार बिहार में 35 लाख परिवारों के पास आवास भूमि नहीं है। घर की वैध जमीन,प्रामाणिक पते के अभाव के कारण ऐसे ग्रामीण तो ग्रामीण विकास की योजनाओं से भी वंचित हो जाते हैं।
जमीन से बेदखल
बिहार के लाखों परिवार कानूनी कागजात होने के बावजूद जमीन से बेदखल हैं।ऑपरेशन दखलदिहानी के तहत 17 लाख दावेदारे चिन्हित हैं। सबसे बड़ी संख्या पश्चिमी की है और वे बरसो से संघर्षरत हैं। इन 17 लाख प्रामाणिक दावेदार को उनकी आधिकारिक जमीन पर कब्जा दिलाने और गैरकानूनी कब्जाधारियों को बेदखल कर उनपर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गयी।
वनाधिकार कानून को बेहतर ढंग से क्रियान्वयन नहीं
वनभूमि पर स्वामित्व प्रदान करने वाले वनाधिकार कानून पर अमल के मामले भी बिहार बदतर प्रांतों में है। सूबे में वनरक्षक व वन विभाग की विनाशक भूमिका के कारण 20 लाख एकड़ वनभूमि उजाड़ हाल में है। इनके 5 प्रतिशत पर यानी एक लाख एकड़ पर इस कानून के तहत एक लाख परिवारों का वाजिब दावा बनता है।
इन जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने विचार रखे
एकता परिषद, जन मुक्ति वाहिनी (जसवा), दलित अधिकार मंच, लोक समिति, लोक मंच, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, लोक परिषद, शहरी गरीब विकास संगठन,मुसहर विकास मंच,भूमि सत्याग्रह अभियान, कोशी नवनिर्माण मंच व लोक संघर्ष समिति। भूमि अधिकार जन जुटान के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने सभा की अध्यक्षता की। सभा का संचालन चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी ने किया। हर जन संगठन के से दो प्रतिनिधि मंच पर उपस्थित रहे और सभा को सम्बोधित किया। इनके अलावे गिरजा सतीश,ज्ञानेंद्र कुमार,शिवानंद तिवारी,पंकज,विजय प्रताप,कंचन बाला,ज्ञांति देवी आदि ने विचार पेश किए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें