पूर्णिया : नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से सिंचाई कार्य बाधित, मखाने की खेती पर पड़ रहा प्रतिकूल असर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

पूर्णिया : नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से सिंचाई कार्य बाधित, मखाने की खेती पर पड़ रहा प्रतिकूल असर

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पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सभी पंचायतों में नहर विभाग की लापरवाही के कारण आज तक सिंचाई योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पाया है। सिंचाई के अभाव में मखाने की खेती चौपट होने के कगार पर है। किसान ज्यादा कीमत पर डीजल खरीदकर पंपसेट से पटवन करने को मजबूर हैं। पटवन करने के दो तीन दिन बाद से ही पानी सूखने लगता है। जबकि मखाने की खेती में लगातार तीन महीने तक पटवन करना अनिवार्य बताया जाता है। जो कि किसानों के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। किसान कपिलदेव दास, नेपाली दास, विशुनदेव दास, रामजी महतो, राजकुमार महतो एवं दर्जनों लोगों ने बताया कि बगल में नहर रहने के बाद भी नहरों में 10 वर्ष पूर्व से ही पानी नहीं छोड़ा गया है। जिससे इस क्षेत्र के किसानों के लिए नहर एक सोभा की वस्तु बनी है। इन इलाकों के हजारों किसानों ने कहा कि नहरों में पानी नहीं रहने से सिंचाई में काफी पूंजी निवेश करने के बावजूद भी अच्छी तरह उपज नहीं हो पाती है। सिंचाई के क्षेत्र में श्रीनगर के हजारों किसान अभी तक पिछड़े हुए हैं। प्रखंड क्षेत्र के पंचायत झुन्नी कलां, गढ़िया बलुआ, जगैली, चनका, हसैली खुट्टी, खुट्टी धुनैली, खोखा उत्तर, खोखा दक्षिण इन इलाकों में निचली जमीन पर मखाने की खेती अधिक मात्रा में की जाती है। मखाने की खेती में सिंचाई का लाभ किसानों को नहीं मिलने से किसानों में काफी रोष व्याप्त है। किसानों ने बताया कि सिंचाई में अत्यधिक पूंजी लग जाने से मखाने की खेती में मुनासिब लाभ नहीं मिल पाता है। मखाने की खेती से किसानों की लागत पूंजी भी नहीं निकल पाती है। किसानों ने कहा कि 5 साल पूर्व बड़ी नहर से छोटी नहर का निर्माण कराया गया था लेकिन बदहाली के कारण उसमें भी आज तक पानी नहीं छोड़ा गया है जो कि किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है। जबकि अन्य पंचायतों के खेत में लगे स्टेट बोरिंग भी रखरखाव के अभाव में खराब पड़ा है। अगर नहर में पानी छोड़ा जाए तो बेशक इस क्षेत्र के हजारों किसानों को सिंचाई योजना का भरपूर लाभ मिलेगा। अन्य फसल में लागत से अधिक उत्पादन में वृद्धि होगी।

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