बिहार : खुद्दार बनने के पहले भीखमंगा था रामचन्द्र महतो - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 13 मार्च 2019

बिहार : खुद्दार बनने के पहले भीखमंगा था रामचन्द्र महतो

  • तीनपहिया वाहन पर समान रखकर बेचते हैं समान

सामाजिक सुरक्षा पेंशन की मांग जन प्रतिनिधियों के द्वार पर जाकर दस्तक लगाकर थकहार जाने के बाद भीख मांगने लगे। जन प्रतिनिधि और उनके एजेंट आजकल कहकर टालते रहे। अंत में चारों तरफ का द्वार बंद होने पर कटोरा उठाकर भीख मांगना पड़ गया
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पटना,13 मार्च। जब रामचन्द्र को भीख मांगना पड़ा। यह हुआ कि दिव्यांग और बुजुर्ग हो गए हैं रामचन्द्र महतो। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की मांग जन प्रतिनिधियों के द्वार पर जाकर दस्तक लगाकर थकहार जाने के बाद भीख मांगने लगे। जन प्रतिनिधि और उनके एजेंट आजकल कहकर टालते रहे। अंत में चारों तरफ का द्वार बंद होने पर कटोरा उठाकर भीख मांगना पड़ गया। अपने बुजुर्ग पिता के साथ भरत महतो भी साथ जाने लगा। इसके कारण स्कूल जाना बंद हो गया।  बताते चले कि रामचन्द्र महतो विस्थाति हैं। अभी कुर्जी बिन्द टोली में रहते हैं। इनके साथ दीघा बिन्द टोली के सैकड़ों लोग पूर्व मध्य रेल परियोजना से विस्थापित हैं। सबके सब फिलवक्त कुर्जी बिन्द टोला में रहते हैं। बिहार सरकार के द्वारा दीघा बिन्द टोली के विस्थापित लोगों को कुर्जी बिन्द टोली में पुनर्वासित किया गया है। अभी तक किसी तरह की जमीन का पर्चा नहीं दिया गया है। जबकि सरकार के द्वारा पुनर्वासित करते समय आश्वासन दिया जा रहा था कि जल्द से जल्द जमीन का पर्चा दे देंगे। इस समय देश में लोक सभा का चुनाव होने वाला है। इसके कारण देश में आचार संहिता लागू है। इसके आलोक में अभी जमीन पर्चा नहीं मिल सकता है।  बताते चले कि कुर्जी बिन्द टोला में रहते हैं दिव्यांग रामचन्द्र महतो। एक तो दिव्यांग हैं द्वितीय बुजुर्ग भी हैं। तब भी इनको सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिलता है। बुजर्ग रामचन्द्र महतो कहते हैं कि उनकी पत्नी पारो देवी भी दिव्यांग हैं। वह मूक-वधिर है। रामचन्द्र और पारो के तीन संतान हैं। तीनों लड़का है। सूरज महतो, शत्रुध्न महतो और भरत महतो। केवल सूरज महतो का ही विवाह हुआ है। वह मां-बाप को देखते नहीं है। इसी कारण घर में परेशानी उठानी पड़ती है। इससे निपटने के लिए रामचन्द्र महतो को भीख मांगना ही पड़ा। बताते चले कि रामचन्द्र महतो भीख मांगकर परिवार की दो जून की रोटी जुगाड़ करते रहे। इसी क्रम में पैसा भी बचाते रहे। एक हजार रू. से समान खरीद किए। जो तीनपहिया वाहन में टांगकर बेच रहे हैं। आज दूसरा दिन है। एक सौ रूपए का समान बेच दिए थे। रामचन्द्र महतो के बेटा भरत महतो नारियल का पानी पीना चाहा रहा था तो उसको  रोक रहे थे। कुछ और बिक्री होने दो। इसके बाद नारियल पानी पीना।

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