बिहार : अब पता चलेगा अनाड़ी और खिलाड़ी का देखें किस में कितना है दम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 14 मार्च 2019

बिहार : अब पता चलेगा अनाड़ी और खिलाड़ी का देखें किस में कितना है दम

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। लेकिन बीजेपी के सांसद अपने क्षेत्र में रहने के बजाए दिल्ली और पटना की दौड़ लगा रहे हैं। कई सीटिंग सांसदों को डर है कि उनका अंतिम समय में पत्ता साफ न हो जाए। लिहाजा वे कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इसका सबूत तब मिल गया जब पटना की मीटिंग खत्म होते ही कई सांसद जिन्हें टिकट कटने का भय था वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए। संभावना है कि अब वे टिकट लेकर या बेटिकट ही वापस लौटेंगे।

चुनाव समिति के बैठक के बाद सभी नेता पकड़े दिल्ली की राह।
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बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित चुनाव समिति की बैठक में पार्टी के अधिकांश सांसद मौजूद थे। बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव के समक्ष सभी सांसदों ने अपनी मजबूत दावेदारी रखी। कई सांसदों ने टिकट कटने की चिंता भी जाहिर की है। नेताओं ने टिकट को केंद्रीय नेतृत्व के पलने में डाल दिया है। चुनाव समिति की बैठक में निश्चित आश्वासन नहीं मिलने के बाद बैठक खत्म होते ही करीब 10 सांसद और टिकटार्थी दिल्ली निकल गए हैं। उन्हें डर हैं कि कही अंतिम समय में उनका पत्ता ही न साफ हो जाए। लिहाजा सांसद कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। इसलिए बैठक के बाद टिकटार्थी हवा में उडकर दिल्ली पहूंच गए हैं। इसका वजह है कि बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच अभी तक सीटों के बंटवारे पर मुहर नहीं लग पाई है। जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद बीजेपी के सीटिंग सांसद काफी परेशान हैं। पार्टी के कई सांसदों की नींद तो उस दिन ही उड़ गई थी,जब बीजेपी और जदयू ने बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था। इस निर्णय से कई सांसदों का टिकट कटना तो तय ही था कि एक ओर फैसले ने सीटिंग सांसदों के लिए आग में घी का काम किया है। दरअसल पार्टी नें अपने सांसदों का अंदरुनी ऑडिट कराया था। इसके तहत पार्टी नें पुअर परफांरमेंस वाले सांसदों का टिकट काटने का फैसला भी ले लिया है। बीजेपी के जानकार बताते हैं कई सांसदों का टिकट कटना पक्का है। बीजेपी के कई सांसदों को तो यह आभास हो गया है कि उनका टिकट पर ग्रहण लगनेवाली है। अपनी सीट जानें का खौफ बीजेपी के कई सांसदों के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है। अब अगर हम बेगूसराय की ही बात करें तो यहाँ जेएनयू पूर्व अध्यक्ष सबों पर भारी पड़ते नजर आ रहा है।भाकपा से कहीं कन्हैया कुमार का लड़ना तय हुआ जो कि अभी भी विचाराधीन है तब तो यहाँ से कन्हैया को टक्कर देने के लिये भाजपा को सोचनीय मुद्दा खड़ा धोनेवाला है।क्योंकि कन्हैया के मुकाबले अभी जिन जिन रथियों का नाम आ रही है वो कनैया के सामने शायद ही टिक पायें।ऐसी अवस्था में सोचना तो पड़ेगा ही।मैं नाम नहीं बताना चाहता मगर इशारा मेरा समझने में किसी तरह कोई परेशानी पाठकों को नहीं होगी ऐसा मेरा विस्वास है।

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बेगूसराय के संभावी उमीदद्वारों में सर्वप्रथम तो इतना ही कहना चाहूँगा जो कि आम मतदाताओं की ओर से सुनने को आ रही है कि हमें स्थानीय नेता चाहिये और स्थानीय नेता में भी जो सहज और सुलभ हों मिलने में कोई परेशानी नहीं हो।अब स्व० सांसद डॉ०भोला सिंह के बाद तो कोई नजर ही नहीं आ रहे हैं।कुछ ऐसे नेता हैं जो अपने कारोबार में इतना व्यस्त रहनेवाले हैं जिन्हें दिल्ली,मुम्बई,चेन्नई आदि से फुरसत ही नहीं मिलेगा जो आम जनता की सुनने के लिये ना तो यहाँ रहेंगे और ना ही किसी से मिलेंगे।कुछ ऐसे नेता उम्मीदवारी के पंक्ति में हैं जो यहाँ रहेगे भी तो उनसे मिलने के सोचना पड़ेगा,हैं तो क्या कर रहे हैं क्या नहीं कर रहे हैं,मिलने के मूड में हैं या नहीं,उनका आदमी आएगा पूरा व्योरा लेगा फिर उन्हें जाकर बताएगा फिर कुछ देर में उन्हें अतिथि कक्ष में बिठाया जाएगा वो भी अगर अतिथि कक्ष में बैठने योग्य हैं तो नहीं तो जवाब आएगा कि एक/दो गजन्ते बाद आइये अभी साहब व्यस्त हैं कोई मीटिंग चल रही है।कुछ नेता जमींदार ज्यादा नेता कम हैं और दावेदारी नेता होने की कर रहे हैं,कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्हें राजनीति की अ, आ नहीं मालूम है और नेता का दम्भ भरने से बाज नहीं आ रहे हैं।कुछएक नेता वाकई लोक सभा के योग्य हैं किंतु उनकी कोई पूछ ही नहीं है वे अपना बोरिया विस्तार समेटकर चुपचाप आराम फरमा रहे हैं।अब ऐसे में बेगूसराय का क्या होगा कहना मुश्किल है।

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