शिलॉन्ग टाइम्स मामले में आई जे यू ने की कोर्ट के फैसले की भर्त्सना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 11 मार्च 2019

शिलॉन्ग टाइम्स मामले में आई जे यू ने की कोर्ट के फैसले की भर्त्सना

iju-condemn-court-verdict
हैदराबाद /  नई दिल्ली, आर्यावर्त संवाददाता,11,मार्च 2019, मेघालय राज्य सरकार द्वारा राज्य के अवकाश प्राप्त न्यायधीशों को दिए जाने वाले भत्ता एवं अन्य सुविधाओं को बंद किये जाने सम्बन्धी मामले में दिए गए मेघालय उच्च न्यायालय के फैसले को राजधानी शिलॉन्ग से प्रकाशित शिलॉन्ग टाइम्स में समाचार छापे जाने से नाराज न्यायालय द्वारा समाचार पत्र की संपादक पैट्रिसिया मुखिम और प्रकाशक शोभा चौधरी के खिलाफ की गयी कार्यवाई की इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने कड़ी भर्त्सना की है। प्रेस को भेजे गए सन्देश में यूनियन के अध्यक्ष अमर देवुलापल्ली और महासचिव सबीना इंद्रजीत ने मेघालय उच्च न्यायालय की पत्रकारों और समाचार पत्र के खिलाफ की गयी इस कार्यवाई को अभिव्यक्ति की आज़ादी और प्रेस पर सीधा हमला बताया है। उल्लेखनीय है कि मेघालय उच्च न्यायालय ने 10 दिसंबर 2018 को  शिलॉन्ग टाइम्स में अवकाश प्राप्त जजों के भत्ते और सुविधाओं से सम्बंधित छपे लेख पर आपत्ति दर्ज करते हुए संपादक और प्रकाशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था . 8 मार्च 2019 को इसी मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिसिया मूखीम और प्रकाशक शोभा चौधरी को कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक एक कोने में बैठने रहने  और दो दो लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया. जुर्माने की रकम अदा नहीं कर पाने की स्थिति में संपादक और प्रकाशक को छह महीने जेल की सजा का भी निर्देश दिया.इतना ही नहीं मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  मोहम्मद याकूब मीर की पीठ ने अख़बार पर प्रतिबन्ध की बात भी कही. पत्रकारों के हितों और सुरक्षा के लिए संघर्षरत देश की प्रमुख संस्था इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इसे अलोकतांत्रिक करार दिया है.यूनियन नेतृत्व ने शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक और प्रकाशक को भी सोशल मीडिया में किसी भी तरह की टिप्पणी की बजाय मामले से सम्बंधित प्रतिक्रिया समाचार पत्र में ही प्रकाशित करने की सलाह दी.

कोई टिप्पणी नहीं: