बिहार : आवेदन देने के 275 दिनों के बाद भी जमीन का सीमांकन नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 2 मार्च 2019

बिहार : आवेदन देने के 275 दिनों के बाद भी जमीन का सीमांकन नहीं

अब यह देखा जा रहा है कि अगर आप ई-मेल से सूबे के किसी मंत्री महोदय को परेशानी अग्रसारित करते हैं तो मंत्री महोदय स्वयं आदेश देने के बदले बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अथवा बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार के दायरे में अग्रसारित करके पल्ला झार देते हैं। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के पास 12 महादलितों का मसला अग्रसारित ई-मेल से किया गया था तो बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के पास प्रेषित कर दिए। 
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डूमर,02 मार्च। कटिहार जिले के समेली प्रखंड में है डूमर ग्राम पंचायत। इस पंचायत में है बकिया पश्चिमी मुसहरी। यहां के 12 आवासीय भूमिहीन महादलितो को 2007 में जमीन मिली है। जो जमीन पूर्णतः गड्ढे में है। दुर्भाग्य है कि उक्त जमीन का सीमांकन 11 साल के बाद भी नहीं हुआ। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा गठित कम्युनिटी बेस आॅर्गनाइजेषन (सीबीओ) की बैठक में जमीन का सीमांकन नहीं होने का दलितों ने मुद्दा उठाया। इसके बाद समेली प्रखंड सह अंचल कार्यालय में 13 जून 2018 को 12 आवासीय भूमिहीनों ने सीमांकन करवाने का आवेदन तैयार करके दिया। 

बकिया पष्चिमी मुसहरी के 12 आवासीय भूमिहीनों की जमीन गड्ढे में 
डूमर पंचायत के वार्ड नम्बर-12 के वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि कहते हैं कि हम महादलितों को जमीन मालिक ने जमीन की मिट्टी काटकर मिट्टी बेचने के बाद जमीन बिक्र की थी। महादलितों का आरोप है कि जमीन की रजिस्ट्री करते समय जमीन नहीं दिखायी गयी। अंचल पदाधिकारी को ऊंची स्तर की जमीन दिखाकर नीचली सतह की जमीन दी गयी। अब माथा पकड़कर महादलित कहते हैं कि उक्त जमीन पर मिट्टी भरवाते-भरवाते मर जाएंगे। तब भी मिट्टी नहीं भरवा पाएंगे। सरकार महात्मा गांधी नरेगा से मिट्टी भरवाकर प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान बनवा दें। 

बिहार महादलित विकास योजनान्तर्गत रैयती भूमि की क्रय 
बिहार सरकार की संकल्प संख्या 01(8) रा.01.01.2010 से निर्गत बिहार महादलित विकास योजनान्तर्गत रैयती भूमि की क्रय की नीति,2000 के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा 3 डिसमिल (तीन) डिसमिल जमीन स्थायी बंदोबस्ती करके विक्रेता प्रथम पक्ष श्री प्रसन्न झा पिता स्व. गंगाधर झा सा. सलेमपुर,थाना फलका,जिला कटिहार।क्रेता द्वितीय पक्ष राजीव नयन पांडेय,अंचल पदाधिकारी,समेली,कटिहार। क्रेता तृतीय पक्ष झबरी देवी पति मुकेष ऋषि, अनीता देवी पति अरूण ऋषि, ममता देवी पति मुकेष ऋषि,डोली देवी पति अषोक ऋषि,गीता देवी पति सुधीर ऋषि, मुस्मात रेखा देवी पति स्व. बौकु ऋषि, अझीया देवी पति बहादूर ऋषि,अभुनिया देवी पति संतोष ऋषि,चंचल देवी पति राधे ऋषि,लगिया देवी पति खनतर ऋषि, नाजो देवी पति कारेलाल ऋषि और लुखड़ी देवी पति हीरालाल ऋषि को 0.03 डिसमिल जमीन दी गयी। इसके बाद सभी महादलित मालगुजारी रसीद कटवाते हैं। मौजा बखरी, थाना नं.262,खाता नं. 93,खेसरा 358, रकवा 0.03 डिसमिल और थाना कोढ़ा है। अभी तक सीमांकन नहीं किया गया है। 

राजीव नयन पांडेय, तत्कालीन अंचल पदाधिकारी, समेली के कार्यकाल का अंजाम 
डूमर ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर-12 के वार्ड सदस्य हैं बहादूर ऋषि। 13 जून 2018 को वार्ड सदस्य बहादूर ऋषि ने आवेदन लिखकर अंचल पदाधिकारी को प्रेषित किया। इस आवेदन में 12 महादलितों को मिली जमीन का सीमांकन करने का आग्रह किया गया। इसमें वार्ड सदस्य की पत्नी अझीया देवी को भी जमीन मिली है। वार्ड सदस्य बहादूर ऋषि कहते हैं कि समेली अंचल में कर्मियों की संख्या कम है। यहां के अंचल पदाधिकारी राजेश कुमार को फरका अंचल का भी कार्यभार दिया गया है। एक अंचल पदाधिकारी को दो अंचल कार्यालय को संभालना पड़ रहा है। इसका प्रभाव पब्लिक वर्क पर पड़ रहा है। वार्ड सदस्य कहते हैं कि 13 जून 2018 को सीमांकन करवाने का आवेदन दिया गया था। 3 माह के बाद भी सीमांकन नहीं करवाया गया। 

वर्षाकालीन समय का वर्णन करना मुश्किल ही
जो जमीन महादलितों का मिली है वह पूर्णतः गड्ढे में है। सालों भर पानी जमा रहता है। इस गड्ढेनुमा जमीन पर चारों तरफ का पानी का जमावाड़ा होता रहता है। यह जमीन वर्षाकालीन समय में गंगा बन जाती है। कारण कि जमीन मालिक ने मिट्टी काटकर जमीन को गड्ढे में तब्दील कर रखा है। उस समय का हाल का वर्णन करना बेकार ही है। इसे केवल अनुमान लगाकर जमीन मालिक और अंचल पदाधिकारी को कोसा ही जा सकता है। सरकारी योजना को सत्यनाष करके रख दिया है। जमीन मालिक और राजीव नयन पांडेय, तत्कालीन अंचल पदाधिकारी, समेली ने तो महादलितों को धोखा दे रखा है। महादलितों ने सरकार सेे जांच करवाने की मांग कर दी है। 

275 दिनों के बाद भी सीमांकन नहीं होने पर आर.टी.आई.का सहारा 
वार्ड सदस्य बहादूर ऋषि ने 13 जून 2018 को सीमांकन करवाने का आवेदन अंचल पदाधिकारी को दिया था। 275 दिनों के बाद भी सीमांकन नहीं करवाया गया। तब 13 सितम्बर 2018 को सूचना का अधिकार का सहारा लिया गया। नन्दू कुमार ऋषि ने आवेदन लिखकर यह जानना चाहा कि कि 13.06.2018 को बकिया पश्चिमी मुसहरी की 12 भूधारी सामूहिक आवेदन पत्र अंचल पदाधिकारी को दिया था। इसमें सीमांकरन करने का आग्रह किया गया था। यह सूचना देने का आग्रह किया गया कि क्या जमीन का सीमांकन हो गया ? हां, तो 12 भूधारियों को सूचना दी गयी? अगर नहीं तो किस कारणों से जमीन का सीमांकन नहीं हो पा रहा है? मुख्य राजपथ की ऊंचाई से कितनी गहराई पर सीमांकन जमीन अवस्थित है? विस्तार से सूचना की जानकारी देंगे। बड़ा बाबू गुनेश्वर मंडल कहते हैं कि अंचल पदाधिकारी राजेश कुमार के पास समेली और फलका अंचल की जवाबदेही है। रामचन्द्र प्रसाद सिन्हा, कर्मचारी रिटायर 31.01.2019 को हो गए हैं। पत्रांक 206 दिनांक 06.02.2019 को जानकारी दी गयी कि 25 फरवरी 2019 को जमीन की मापी व चिन्हित की जाएगी। आज 02 मार्च 2019 तक राजस्व कर्मचारी जमीन मापी व चिन्हित कार्य नहीं कर पाएं हैं।

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