पूर्णियां : आम की उत्पादकता व आमद बढ़ाने के लिए जरूरी है बाग प्रबंधन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 मार्च 2019

पूर्णियां : आम की उत्पादकता व आमद बढ़ाने के लिए जरूरी है बाग प्रबंधन

  • - आम के बगीचे में जब मंजर आ जाएं तो बेशक बाग प्रबंधन की दिशा में कदम उठाने चाहिए : डॉ अभिषेक प्रताप सिंह 

mango-management
कुमार गौरव । पूर्णिया : आम के पेड़ फलन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पेड़ों में मंजर सघन हो चुके हैं और आम के छोटे छोटे दाने निकल आए हैं। बता दें कि देश के उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश के अलावे बिहार में आम का पैदावार बृहत पैमाने पर किया जाता है। बिहार में 150.64 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती होती है। जिससे 1479.58 हजार टन आम का उत्पादन होता है। सूबे में आम की उत्पादकता 9.82 टन प्रति हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय उत्पादकता से थोड़ा ज्यादा है। ऐसे में आम की खेती हर लिहाज से महत्वपूर्ण है। कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि आम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बाग प्रबंधन आवश्यक है और मंजर आने के बाद बाग का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन किया जाए तो आमद में बढ़ोत्तरी संभव है। 

...मंजर निकलने के साथ ही करें बाग प्रबंधन : 
कृषि वैज्ञानिक डॉ अभिषेक प्रताप सिंह कहते हैं कि आम के बगीचे में जब मंजर आ जाएं तो बेशक बाग प्रबंधन की दिशा में कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मंजर निकलने के साथ ही इमिडाक्लोरप्रिड 17.8 एमएल/1 मिलीलीटर दवा प्रति दो लीटर पानी में और घुलनशील गंधक चूर्ण, फफूंदनाशक दवा 80 डब्ल्यूपी प्रति दो ग्राम/लीटर पानी में घाेलकर छिड़काव करने से आम का मधुवा कीट व चूर्णिल आसिता रोग की उग्रता में कमी आती है। वहीं विकृत मंजर को तोड़कर बाग से बाहर ले जाकर जला देना चाहिए या जमीन में गाड़ देना चाहिए। मुख्य तने पर बोर्डो पेस्ट (एक किलोग्राम चूना, एक किलो तूतिया और दस लीटर पानी) से पुताई करनी चाहिए। सबसे प्रमुख बात यह है कि इस अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए नहीं तो फल झड़ने की संभावना बढ़ जाती है। 

...कृषि रसायन का न करें इस्तेमाल : 
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद फूल के अच्छी प्रकार से खिल जाने के बाद से लेकर फल के मटर के दाने के बराबर होने की अवस्था के मध्य किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नहीं तो फूल के कोमल हिस्से घावग्रस्त हो जाते हैं। जिससे फल बनने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है। मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद इमिडाक्लोरप्रिड 17.8 एसएल/01 मिली दवा प्रति दो लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल 01 ग्राम/दो लीटर पानी या डाइनोकैप 46 ईसी 01 मिली दवा प्रति एक लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा व चूर्णिल आसिता की उग्रता में कमी आती है। वहीं प्लानोफिक्स दवा 01 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए। जिससे बाग की मिट्‌टी में नमी बनी रहे। लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आसपास जलजमाव न हो। 

...मार्बल अवस्था (गुठली) में किए जाने वाले कृषि कार्य :
डॉ सिंह ने बताया कि आईआईएचआर बैंगलोर द्वारा विकसित मैंगो स्पेशल या सूक्ष्म पोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरोन की मात्रा ज्यादा हो प्रति 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है और फल की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है। बाग में हल्की हल्की सिंचाई करके मिट्‌टी को हमेशा नम बनाए रखना चाहिए। इससे आम की पैदावार अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि छिड़काव के अलावे बाग की सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। डाइक्लोरोवास 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर अच्छी तरह से छिड़काव करना चाहिए। इसी घोल से मुख्य तने का भी छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से आम के फल छेदक कीट की उग्रता से बच जाते हैं और पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है।

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