बिहार : जन आधारित संगठनों के द्वारा चुनौती ग्रहण कर कार्य अंजाम देने में लगे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 17 मार्च 2019

बिहार : जन आधारित संगठनों के द्वारा चुनौती ग्रहण कर कार्य अंजाम देने में लगे

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समेली, 17 मार्च। समेली प्रखंड में है डूमर ग्राम पंचायत। यहां पर बकिया पश्चिमी मुसहरी है। यहां के 12 आवासीय भूमिहीनों को जमीन मिली। जो लगभग पूर्णतः गड्ढे में जमीन है। जमीन मालिक के मालिक ने जमीन बेचने के पूर्व मिट्टी काटकर बेचे और बाद में उक्त जमीन को बेच दी। महादलितों को रजिस्ट्री कराते समय जमीन नहीं दिखायी गयी। अंचल पदाधिकारी को ऊंची स्तर की जमीन दिखाकर नीचली सतह की जमीन दी गयी। कई साल बीत जाने के बाद भी सीमांकन नहीं होने पर आवेदन सीओ कार्यालय में दिया गया। देरी होने पर आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना मांगी गयी। आखिरकार, आवेदन के तीन महीने बाद सीमांकन नहीं किया गया।

बिहार सरकार की संकल्प संख्या 01(8) रा.01.01.2010 से निर्गत बिहार महादलित विकास योजनान्तर्गत रैयती भूमि की क्रय की नीति,2000 के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा 3 डिसमिल (तीन) डिसमिल जमीन स्थायी बंदोबस्ती करके विक्रेता प्रथम पक्ष श्री प्रसन्न झा पिता स्व. गंगाधर झा सा. सलेमपुर,थाना फलका,जिला कटिहार।क्रेता द्वितीय पक्ष राजीव नयन पांडेय,अंचल पदाधिकारी,समेली,कटिहार। क्रेता तृतीय पक्ष झबरी देवी पति मुकेश ऋषि, अनीता देवी पति अरूण ऋषि, ममता देवी पति मुकेश ऋषि,डोली देवी पति अशोक ऋषि,गीता देवी पति सुधीर ऋषि, मुस्मात रेखा देवी पति स्व. बौकु ऋषि, अझीया देवी पति बहादूर ऋषि,अभुनिया देवी पति संतोष ऋषि,चंचल देवी पति राधे ऋषि,लगिया देवी पति खनतर ऋषि, नाजो देवी पति कारेलाल ऋषि और लुखड़ी देवी पति हीरालाल ऋषि को 0.03 डिसमिल जमीन दी गयी। इसके बाद सभी महादलित मालगुजारी रसीद कटवाते हैं। मौजा बखरी, थाना नं.262,खाता नं. 93,खेसरा 358, रकवा 0.03 डिसमिल और थाना कोढ़ा है। अभी तक सीमांकन नहीं किया गया है।

यह मामला कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड-सह- अंचल कार्यालय से संबंधित है। यह दक्षिणी मुरादपुर ग्राम पंचायत में पड़ता है। सभी 45 महादलितों गंगा नदी से विस्थापित हैं। इन महादलितों को तीनघरिया में पुनर्वासित किया गया। दुर्भाग्य है इन 45 महादलितों को जरूर पुनर्वासित किया गया। सीमांकन भी करके विस्थापितों भूमि को भूमि हवाले कर दिया। इस आवासीय भूमि पर सरकारी योजना से मकान भी बना दिया। मगर वासगीत पर्चा नहीं दिया। वासगीत पर्चा नहीं रहने के कारण सरकारी दफ्तरों से प्रमाणित प्रमाण-पत्र बनाने में दिक्कत उठानी पड़ती है।

गंगा नदी से विस्थापित महादलितों को तीनघरिया में पुनर्वासित कर वासगीत पर्चा देने हेतु सूची बनायी गयी। उक्त सूची को विस्थापितों को हाथ में थमा दिया गया। कुर्सेला अंचल कार्यालय से निर्मित सूची के अनुसार सामुदायिक भवन,मुस्मात एकामा देवी, अरविन्द राम, दीलिप कुमार राम, मुस्मात चम्पा देवी, मुस्मात कैली देवी, बनारसी राम, मुस्मात चांदनी देवी, योगेन्द्र राम, सुशील राम, सिकन्दर राम, अशोक राम, द्रोपति देवी, अनिल राम, मुस्मात मीरा देवी, किशन मंडल, पांचू मंडल, मुस्मात सुमित्रा देवी, कामक्षी ततमा, मुस्मात डोमनी देवी, मुस्मात रजिया देवी, दिनेश राम, रघुनाथ राम, सुलेश्वर राम, घनश्याम राम, कन्हैया राम, विन्देश्वरी राम, फकीर चन्द्र राम, गोपाल राम, लुल्ही राम, बबलू राम,मुस्मात अमरिका देवी, बबलू राम, बहादूर राम, मुस्मात मंजू देवी, धवन राम,शंकर राम,ललन कुमार राम, लक्ष्मी राम, मुस्मात खोखो देवी,सुधा देवी,ठाकुर राम, नागो राम और उपेन्द्र राम का नाम है। कई बार अंचल कार्यालय में आवेदन देकर अंचल पदाधिकारी से वासगीत पर्चा देने  किया गया। मगर अभी तक आनाकानी ही की जा रही है।

 बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को ई-मेल किया गया। उनके द्वारा तिनघरिया की समस्या को बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का कार्यालय, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनन्य पंजीयन संख्या 999937908011900328 परिवाद प्राप्ति की तिथि 08.01.2019 पर कार्रवाई करने के लिए परिवाद की सुनवाई और निवारण की नियत तिथि 18.01.2019 को 11 बजे तय किया गया। कमरा  संख्या-133,द्वितीय तल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग,मुख्य सचिवालय में सुनवाई हुई। कार्यक्षेत्र पटना से बाहर कटिहार का होने के कारण मसला को कटिहार भेजा गया। 4 फरवरी 2019 को अपर समाहर्ता कमलेश कुमार सिंह,कटिहार के समक्ष सुनवाई हुई। इस अवसर पर गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कुर्सेला प्रखंड के समन्वयक प्रदीप कुमार, संस्था द्वारा निर्मित सी.बी.ओ. के अध्यक्ष अनिल राम और वार्ड सदस्य मुनिलाल मौजूद थे।

डुमर ग्राम पंचायत के बकिया मुसहरी में रहते है झुमरू ऋषि और झपटलाल ऋषि । बिहार भूदान यज्ञ समिति द्वारा दोनों को जमीन मिली। लेकिन दाखिला खारिज नहीं किया गया है। इस बीच दोनों की मौत हो गई। अब इन दोनों के बेटे जमीन को खारिज करना चाहते हैं। एक दिन, ग्रामीण बैठक में कार्यकर्ताओं ने सरकार की शक्तियों के बारे में जानकारी दी। इसलिए दोनों के बेटे ने फैसला किया कि सार्वजनिक सेवाओं के तहत बिहार लोक सेवाओं के अधिकारों का प्रयोग किया जाना चाहिए। फिर आवेदन तैयार किया गया। समेली प्रखंड में आवेदन प्रस्तुत किया गया। तय समय में जवाब नहीं दिया। सार्वजनिक सेवाओं के अधिकार निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद भी, आवेदक को उप समाहर्ता भूमि सुधार के पास अपील करने का अधिकार है। दोनों के पुत्र ने अपना आवेदन उप समाहर्ता भूमि सुधार, कटिहार के कार्यालय में जाकर दिया। कर्मचारी ने कहा कि यह जमीन सरकार की है। अतः आवेदन के उपरांत सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आएगा। तो दोनों आवेदन पर फोलोअप करना बंद कर दिए।

अपने दोनों प्रखंडों के कार्य क्षेत्र की समस्याओं का आकलन किया गया। उसके बाद उन समस्याओं को लिखा गया। उन समस्याओं को आवेदन के रूप में समस्याओं को ब्लॉक सह आॅफिस में प्रेषित किया गया। उन समस्याओं को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आईडी पर मेल किया जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संबंधित कार्यालय में अग्रसारित किया जाता है। वर्क की जानकारी क्षेत्र के लोगों को दी जाती है। ताकि लोगों को वर्क पर होने वाली कार्रवाई के बारे में पता चल सके। उन समस्याओं का दस्तावेज भी बनाया जाता है। इससे व्यापक जन जागरूकता पैदा किया जाता है। सरकारी कार्यालय में देरी से कार्य करने एवं परिणाम प्राप्त करने की जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त की जाती। लोक सेवाओं का अधिकार और लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून का प्रयोग किया किया जाता है। इसके अलावे जो जन आधारित संगठन निर्माण किया गया है। उनसे भी सहयोग लिया जाता है। पहले सहयोग नहीं देते थे। जब उनकी भागीदारी कार्यक्रमों में की जाने लगी थी तो खुलकर सहयोग देने लगे। सीमांकन नहीं होने वाली समस्या और वासगीत पर्चा निर्गत करने की मामले का खुद समाधान करने में लगे हैं।

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