चिदंबरम, उनके पुत्र की गिरफ्तारी पर लगी रोक छह मई तक बढ़ी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

चिदंबरम, उनके पुत्र की गिरफ्तारी पर लगी रोक छह मई तक बढ़ी

chidambaram-his-son-s-arrest-on-hold-increased-till-may-6
नयी दिल्ली, 26 अप्रैल, राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को एयरसेल मैक्सिस डील मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर लगी रोक छह मई तक बढ़ा दी। इससे पहले कार्ति चिदंबरम को काले धन को वैध बनाने के मामले (मनी लांड्रिंग) में इस वर्ष फरवरी में गिरफ्तर किया गया था लेकिन बाद में उनकी जमानत मंजूर कर ली गयी थी। दरअसल एयरसेल मैक्सिस डील टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले से संबद्व हैं और इसमें विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड (एफआईबीआर) की ओर से मेसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेज लिमिटेड को एक भुगतान किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि एफआईपीबी ने मार्च 2006 में एयरसेल को भुगतान की मंजूरी दी थी और ऐसा करने तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के अधिकार क्षेत्र से बाहर था क्याेंकि वह 600 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को ही मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे और इससे अधिक के भुगतान के लिए मंत्रिमंड़ल मामलों की आर्थिक समिति की मंजूरी आवश्यक थी। प्रवर्तन निदेशालय ने 25 अक्टूबर को दायर आरोप पत्र में अदालत के समक्ष कहा था कि एफआईपीबी की ओर से मंजूरी मिलने के कुछ ही दिनों बाद एयरसेल टेलीवेंचर्स लिमिटेड ने एएससीपीएल को 26 लाख रुपए का कथित तौर पर भुगतान किया था। यह कंपनी कथित तौर पर कार्ति चिदंबरम से संबद्व थी। प्रवर्तन निदेशालय उन परिस्थितयों की जांच कर रही है जिनमें श्री चिदंबरम की ओर से एफआईपीबी की मंजूरी दी गयी थी। श्री चिदंबरम को इस मामले में अारोपी नंबर एक बनाया गया है और यह कहा गया है कि यह मंजूरी एक तरह से अवैध थी।  केन्द्रीय जांच ब्यूराे ने आरोप लगाया है कि श्री कार्ति चिदंबरम की दो कथित कंपनियाें चेस मैनेजमेंट और एडवांटेज स्ट्रेटेजिक को एफआईपीबी मंजूरी के लिए दो अवैध भुगतान क्रमश: 26 लाख रूपए और 87 लाख रुपए किये गये थे। इसमें यह भी कहा गया था कि उस दौरान उनके पिता वित्त मंत्री पद पर थे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता ने अदालत से आग्रह किया कि सबूत जुटाने के लिए संस्था को और थोड़ा समय दिया जाए। अभियोजन पक्ष की कुछ समय की मांग पर विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने मामले की सुनवाई छह मई तक स्थगित कर दी। इसका अर्थ है कि श्री चिदंबरम और उनके पुत्र की गिरफ्तारी पर छह मई तक रोक लगा दी गई है।

कोई टिप्पणी नहीं: