पूर्णिया : विकास की किरणों से दूर है समुदीरहिका गांव, गांव तक जाने का रास्ता तक नहीं है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

पूर्णिया : विकास की किरणों से दूर है समुदीरहिका गांव, गांव तक जाने का रास्ता तक नहीं है

- समुदीरहिका के ग्रामीणों को एक अदद सड़क नसीब नहीं, सर्वे नहीं होने से नहीं हो सकी जमीन आवंटित - लोगों का कहना है कि उन्हें एक अदद सड़क तक नसीब नहीं है और लोगों की खेतिहर जमीन से होकर व पगडंडियों के सहारे ही आना जाना करते हैं
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कुमार गौरव । पूर्णिया : केनगर प्रखंड के झुन्नी इस्तम्बरा पंचायत अंतर्गत समुदीरहिका आदिवासी टोला की 1000 से अधिक आबादी आज भी जीवट मानव सभ्यता जीने को मजबूर है। यहां के लोगों को चलने के लिए न तो सड़क है और न ही अन्य सुविधाएं। आलम यह है कि आजतक गांव तक जाने के लिए सड़क का न तो निर्माण कराया गया और न ही जमीन तक आवंटित की गई है जहां सड़क का निर्माण हो सके। वर्तमान मुखिया फौजिया बेगम ने बताया कि मेरे कार्यकाल में पहली बार यहां एक हजार मीटर लंबी ईंट सोलिंग सड़क का निर्माण मनरेगा व सात निश्चय योजना के तहत कराया गया है। लेकिन समस्या यह है कि गांव तक जाने के लिए जो सड़क बनाई जाएगी उसका सर्वे तक नहीं हो पाया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गांव के लोग किस तरह से आवागमन करते हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें एक अदद सड़क तक नसीब नहीं है और लोगों की खेतिहर जमीन से होकर व पगडंडियों के सहारे ही आना जाना करते हैं। 

...बरसाती दिनों गांव टापूनुमा इलाके में हो जाता है तब्दील :
सबसे मुसीबत का दौर उस वक्त उत्पन्न होता है जब बारिश हो जाती है। बारिश के बाद जो कच्ची सड़क है वह जलमग्न हो जाती है और लोग टापूनुमा इलाके में रहने को विवश हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी समुदीरहिका गांव आने जाने के लिए एक ईंट सोलिंग सड़क तक नहीं बनाई गई है। यहां के लोगों का कहना था कि पहले हमलोगों ने वोट बहिष्कार का मूड बनाया था। लेकिन देश व विकास के नाम पर वोट डाला। समुदीरहिका गांव की बहामुनी हांसदा ने बताया कि उसने पहली बार मतदान किया है। वहीं विकास के संबंध में कहती हैं कि उनके गांव में अबतक विकास की रौशनी नहीं पहुंची है। गांव तक जाने के लिए ईंट सोलिंग सड़क तक नहीं है। फिर भी देश के विकास व मजबूती के लिए मैंने मतदान किया। अब जो भी सरकार उम्मीद है हमारे गांव का विकास होगा। 

...आवागमन का एकमात्र सहारा नाव : 
ललिता टूड्‌डू, संझली टूड्‌डू, तालामय टूड्‌डू, संगीता मुर्मुर ने बताया कि समुदी रहिका आदिवासी टोला चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है। गांव तक जाने का एकमात्र सहारा नाव ही है। सुखाड़ में भूटहा मोड़ से तीन किलोमीटर पैदल कच्ची सड़क होकर जाना पड़ता है। गांव में जब अचानक किसी की तबियत खराब होती है या किसी महिला की डिलीवरी होती है तो उस समय बहुत तकलीफ होती है। कई बार गांव से अस्पताल ले जाने के दौरान ही मरीज रास्ते में ही लोग दम तोड़ देते हैं। कई बार प्रसूताओं की मौत अस्पताल के अभाव में हो चुकी है। आदिवासी समुदाय की महिलाओं ने बताया कि गांव तक रास्ता नहीं रहने के कारण गांव का विकास नहीं हुआ है। 

...फल फूल रहा है अवैध शराब का कारोबार : 
कुछ महिलाओं ने बताया कि गांव तक अगर सड़क बन जाए तो आदिवासी टोला में अवैध शराब का कारोबार भी बंद हो जाएगा। यहां के सुरेंद्र सोरेन, धर्मलाल सोरेन, ताता मुर्मु, सिधरा हैम्ब्रम, जीतन हैम्ब्रम ने बताया कि समुदीरहिका में एक पुल की सख्त जरूरत है। बरसाती दिनों हमलोगों का घर से निकलना दूभर हो जाता है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। लोगों ने सरकार से सड़क निर्माण की मांग की है। यहां के पूर्व समिति सदस्य मो बसीर ने बताया कि सरकार को लोगों से जमीन एक्वायर करने की जरूरत है तब ही सड़क का निर्माण संभव है।

...सड़क की बदहाली को ले नहीं है जानकारी : 
समुदीरहिका जाने वाली सड़क की जानकारी नहीं है। जमीन अधिग्रहण का कार्य अंचल का है और इस संबंध में अबतक कोई आवेदन भी प्राप्त नहीं हुआ है। ग्रामीणों से आवेदन मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई की जाएगी। 
: राकेश कुमार ठाकुर, बीडीओ, केनगर।

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