येसु का येरुसलेम नगरी में पहुंचने के बाद
पटना, 14 अप्रैल। आज दुनिया भर में 'पाम संडे' मनाया गया। सुबह में ईसाई समुदाय चर्च गए। पुरोहित खजूर की टहनियों पर प्रार्थना करके पवित्र जल का छिड़काव किया।इसके बाद भक्तों के बीच खजूर की टहनियों को वितरित की गयी। भक्तगण खजूर की टहनियों को खग्गी भी कहते हैं। भक्तगण खग्गी को लेकर जुलूस निकाला। यह जुलूस निर्धारित स्थल पर पहुंचकर पवित्र मिस्सा में तब्दील हो गया।
खजूर इतवार का धार्मिक कार्यक्रम
संत माइकल प्राइमरी स्कूल के परिसर में सुबह साढ़े पांच बजे खजूर इतवार के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए। कुर्जी पल्ली के कार्यकारी पल्ली पुरोहित फादर सुसाई राज के नेतृत्व में कार्यक्रम संचालित हुआ।। यहां से हाथ में खग्गी लेकर जुलूस के शक्ल में भक्तगण चर्च परिसर में पहुंचे। यहां पर यूख्रीस्तीय समारोह हुआ। इनके साथ फादर जोनसन,फादर जुनास कुजूर, फादर लौरेंल पास्कल, फादर अंतुनी, फादर विनोय,फादर सेराफिम जौन,फादर एडिसन आमस्टॉग,फादर फ्रांसिस आदि थे।
क्यों ईसाई समुदाय पाम संडे मनाते हैं?
ईसाई समुदाय प्रभु येसु ख्रीस्त को भगवान मानते हैं। प्रभु येसु कई तरह के क्रांतिकारी कार्य कर रहे थे।इससे धरती के राजा भयभीत होने लगे थे। धरती के राजा की तरह शैतान भी येसु को परेशान करने लगे। शैतान ने चालीस दिन-रात परीक्षा लेनी शुरू कर दी।इन चालीस दिनों में होने वाले कष्ट को दुखभोग की अवधि मान लिया गया है।जो आजकल चल रहा है। इन चालीस दिनों में भक्तगण उपवास और पहरेज रखते हैं।
जब दुखभोगने वाले येसु येरुसलेम आते हैं
शैतानी हरकत से नहीं डिगने वाले में येसु का आगमन येरूसलेम नगरी में हुआ। येसु को विजेता की तरह स्वागत किया गया। राह में चादर बिछा दिए. होसान्ना-होसन्ना कहकर शंखनाद करते रहे। हरियाली खजूर की टहनियां हिलाडुलाकर अभिवादन करने लगे। वास्तव में शैतान के बाद राजाओं के कोपभाजन बन गए। येसु तो संसार पर शासन करने के लिए नहीं बल्कि सभी की मुक्ति के लिए अपने प्राण न्योछावर करने के लिए आए थेl
येरूसलेम नगरी की जयजयकारा का स्मरण
यहां पर येसु को पहुंचने के बाद लोग उल्लाहसित होकर खजूर की टहनियों को हिलाहिला कर अभिवादन करने लगे।उसी की याद में पाम संडे मनाया जाता है। संत माइकल हाई स्कूल के येसु समाज के रेक्टर फादर सेराफिम जौन ने सुसमाचार पाठ प़ढ़ा।वहीं प्रथम पाठक ज़ौन डिक्रुस व द्वितीय पाठक विसेंट साह ने पढ़ा।कुर्जी पल्ली के कार्यकारी पल्ली पुरोहित फादर सुसाई राज ने प्रवचन दिया। पुष्पा विजय के नेतृत्व में गीत-संगीत प्रस्तुत किया गया।
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