बिहार : 3 चरणों के चुनाव के बाद भाजपा की हार तय हो गई है: दीपंकर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

बिहार : 3 चरणों के चुनाव के बाद भाजपा की हार तय हो गई है: दीपंकर

चुनाव आयोग का प्रदर्शन असंतोषजनक, दुहरा मानदंड न अपनाए आयोग.हरा रंग किसान संगठनों का भी रंग है, भाजपा को देश की बहुरंगी संस्कृति से है नफरत.साध्वी प्रज्ञा बेल पर चुनाव लड़ रही हैं लेकिन लालू प्रसाद को जानबूझकर जेल में रखा जा रहा है.आने वाले चरणों में भी भाजपा की सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को जनता देगी शिकस्त.
set-to-defeat-bjp-said-dipankar
पटना 26 अप्रैल 2019 भाकपा-माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में एक सवंाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के पास देश में सांप्रदायिक उन्माद व उसके जरिए ध्रुवीकरण करने के अलावा कोई दूसरा एजेंडा नहीं है. जिस तरह से संघी आतंकवाद की प्रतीक प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बीमारी का बहाना बनाकर बेल दिलवाया गया और उन्हें भोपाल से भाजपा चुनाव लड़वा रही है, वह सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन है. प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कैंसर जैसी बीमारी का नाम लेकर बेल हासिल किया है, जो सरासर झूठ निकली. बाहर निकलते ही उन्होंने शहीद हेमंत करकरे का अपमान किया. शहीदों के प्रति भाजपा का असली चेहरा इस उदाहरण से बहुत साफ हो जाता है. एक तरफ प्रज्ञा सिंह को बीमारी के आधार पर बेल दे दिया गया, दूसरी ओर सचमुच में कई गंभीर बीमारियों से परेशान चल रहे लालू प्रसाद यादव जी को बेल नहीं दिया जा रहा है और न ही उनके परिवार से किसी को मिलने तक दिया जा रहा है. यह सत्ता का दुहरा मानदंड है. संवाददाता सम्मेलन में उनके अलावा काॅ. कुणाल, काॅ. केडी यादव, काॅ. अमर, काॅ महबूब आलम, काॅ. रामजी राय आदि शामिल थे. यह लोकसभा चुनाव मुद्दों पर है. जनता के मुद्दे स्पष्ट हैं. लेकिन मोदी जनता के किसी भी मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं. जब उनके नाम पर बनी फिल्म रोक दी गई तो अब इंटरव्यू के जरिए अपना प्रचार चलवा रहे हैं. जबकि हर कोई जानता है ऐसे इंटरव्यू प्रायोजित होते हैं. मोदी ने प्रेस काॅन्फ्रेन्स में पत्रकारों के सवालों को कभी फेस नहीं किया. क्योंकि किसानों, छात्र-नौजवानों के शिक्षा-रेाजगार, किसानी आदि सवालों पर कहने के लिए उनके पास कुछ नहीं है. चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली हैरान करने वाली है. भाजपा के लिए जैसे अलग कोड आफ कंडक्ट हो और विपक्ष े लिए दूसरा.से हैरान हैं. शिकायतें की हैं. भाजपा के नेता लगातार कोड आफ कंडक्ट का उल्लंघन करते जा रहे हैं. यूपी के बाद अब बिहार में गिरिराज सिंह कह रहे हैं कि हरे रंग को प्रतिबंधित करना चाहिए. वे अकलियतों को धमकी देते हुए कहते हैं कि यदि दो गज जमीन चाहिए तो वंदे मातरम कहना होगा. लेकिन चुनाव आयोग ऐसे गंभीर मसलों पर कोई नोटिस नहीं रही है. आखिर गिरिराज सिंह और भाजपा को हरे रंगे से इतनी दिक्कत क्यों हैं? हरा रंग तो देश के कई किसान संगठनों के झंडे का रंग है. भाजपा को किसानों से क्या इतनी नफरत है? रंगों को लेकर भाजपा की बौखलाहट दिख रही है. हमारे देश की संस्कृति बहुरंगी है. भापजा उसे नष्ट कर देने पर आमदा है और चुनाव में नफरत की राजनीति कर हरी है. चुनाव आयोग को इन नफरत बयानों पर तत्काल कदम उठाना चाहिए.  माले महासचिव ने कहा कि आरा सहित सिवान, काराकाट व जहानाबाद में पार्टी प्रत्याशियों ने अपना नामांकन कर दिया है. आरा के नामांकन में लोगों का उत्साह चरम पर था. विगत 2014 के चुनाव में आरा से भाजपा जीत गई थी. भाजपा की वह पहली जीत थी. आज वहां के लोगों को काफी अफसोस है. और इस बार ऐसा नहीं होगा. भोजपुर की धरती सामाजिक न्याय व बदलाव के संघर्ष की धरती रही है, वहां अफसरशाही का कोई माॅडल नहीं चलेगा. भाजपा वहां जनप्रतिनिधित्व के नाम पर अफसरशाही व घमंडी माॅडल थोपने की कोशिशें कर रही हैं, इस माॅडल को वहां की जनता इस बार जरूर खारिज करेगी और 24 घंटा जनता के साथ चलने वाला माॅडल स्थापित करने का काम करेगी. सिवान से अमरनाथ यादव जी के नोमिनेशन में भी जबरदस्त उत्साह था. वहां जदयू के नाम पर हिंदु युवा वाहिनी चुनाव लड़ राह है और वहां गोरखपुर माॅडल लाने की कवायद हो रही है. लेकिन इसे चलने नहीं दिया जाएगा. नीतीश जी ने न केवल जनादेश का अपमान किया बल्कि भाजपा को बिहार में सांप्रदायिक दंगा, माॅब लिंचिंग की घटनाओं को बढ़ावा देने का खुलकर मौका दिया है. बिहार को आज माॅब लिंचिंग का प्रदेश बनाया जा रहा है. दलितों-गरीबों के हक-अधिकार व आरक्षण पर कटौती का प्रयास चल रहा है. इसे रोकना ही होगा. 3 चरणों में संपन्न चुना की रिपोर्ट बढ़िया है. यूपी, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में भाजपा की हालत काफी पतली है.

कोई टिप्पणी नहीं: