13 मई 2019, पटना , भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान काम के लिए समान वेतन देने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. हम नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन संबंधी मांगों का पूरी तरह समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी व बिहार की नीतीश सरकार की असलियत खुलकर सामने आ गई है. जब शिक्षकों ने समान काम के लिए समान वेतन मांगा, तो पहले उनपर बर्बर लाठियां चलाई गईं. और पटना उच्च न्यायालय में जब लड़ाई जीत ली, तो सरकार आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने तर्क दिया कि नियमित कैडर की नियुक्ति अलग तरीके से हुई है और नियोजित शिक्षकों की अलग तरीके से. इस कारण वह नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन नहीं दे सकती. दुर्भाग्य यह कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया और नियोजित शिक्षकों की बेहद जायज मांगों को खाजिर कर दिया. यह न्यायालयों की भी विडंबना है कि उसने कई बार खुद कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना सरकारों की संवैधानिक जवाबदेही है, लेकिन आज वह इसके उलट फैसले दे रही है. दरअसल, भाजपा-जदयू की सरकार ठेका आधारित रोजगार की ही नीति को चलाते रहना चाहती है, ताकि वह कई अन्य जवाबदेहियों से बच सके. हमारी पार्टी समान काम के लिए समान वेतन के प्रति प्रतिबद्ध है और शिक्षक समुदाय से आग्रह करती है कि हो रहे चुनाव में ऐसी शिक्षक व रोजगार विरेाधी सरकार को सबक सिखाएं.
सोमवार, 13 मई 2019
बिहार : नियोजित शिक्षकों के समान वेतन की मांग जायज, अपील वापस ले सरकार : माले
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