बिहार : ‘मगर जिंदगी के अंतिम समय में फादर सेकेइरा चुपके से चले गए’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 मई 2019

बिहार : ‘मगर जिंदगी के अंतिम समय में फादर सेकेइरा चुपके से चले गए’

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पटना, 29 मई। आजकल पटना धर्मप्रांत का गठन होने का शतकीय वर्ष मनाया जा रहा है। इस एक सौ साल में पुरोहिताई जिंदगी का 60 साल गुजार दिए हैं वयोवृद्ध फादर अलोसियुस सेकेइरा।मंगलौर के निवासी थे फादर अलोसियुस सेकेइरा । यहां पर शानदार कार्य किया है फादर ने। मगर जिंदगी के अंतिम समय में फादर सेकेइरा चुपके से चले गए। यह उद्गार आर्चबिशप विलियम डि‘सूजा ने व्यक्त किया हैं।  आज ईसाई धर्मरीति के अनुसार फादर को अंतिम विदाई दी गयी। उनको कुर्जी चर्च के बगल में स्थित स्पेशल कब्रिस्तान में दफना दिया गया। इसके पहले फादर अलोसियुस के पार्थिव शरीर को कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल लाया गया। वहां पर विशेष व्यवस्था करके पार्थिव शरीर को रखा गया था। उनका निधन 24 मई को हो गया था। वे 91 साल के थे। 

आज फादर को अंतिम विदाई दी गई
आज फादर अलोसियुस को अंतिम विदाई दी गई। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के मुख्य अनुष्ठानकर्ता पटना महाधर्मप्रांत के आर्कबिशप विलियम डिसूजा थे। इनके साथ सह-सहायक विशप सेबेस्टियन कल्लुपुरा भी थे। विभिन्न पल्लियों के 40 से अधिक फादर भी मिस्सा पूजा चढ़ाये। इस बीच विकर जनरल फादर प्रेम प्रकाश ने कहा कि फादर अलोसियस सिकेइरा का जन्म 10 दिसंबर, 1928 को मैंगलोर के केटेल पारिश, माराडका में हुआ था। वह अपने माता-पिता, स्वर्गीय डेविड और जोआना से पैदा हुए पांच बच्चों में से दूसरे थे। परिवार द्वारा गहरी ईसाई आस्था में पोषित होने के बाद, उन्होंने खुद को पटना धर्मप्रांत में प्रभु की सेवा करने का फैसला किया, इसलिए उन्होंने 1949 में एक उम्मीदवार के रूप में सेंट जोसेफ सेमिनरी, मैंगलोर में प्रवेश किया। वहीं से उन्होंने 1952 से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। 1955 में दर्शनशास्त्र के बाद, उन्हें फादर ग्रेगरी थेकेल की देखरेख में अपनी रीजेंसी के लिए पटना धर्मप्रांत में पैरिश पहली बार को सौंपा गया था। बारह साल के अनुभव के बाद, उन्हें धर्मशास्त्र के अध्ययन के लिए सेंट जोसेफ सेमिनरी, मैंगलोर भेजा गया। अपने थियोलॉजिकल अध्ययनों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, उन्हें आर्कबिशप जेम्स नॉक द्वारा 3 दिसंबर, 1959 को पुरोहिताभिषेक किया गया था।

फादर अलोसियुस सेकेइरा ने चुहड़ी में
(वर्तमान में बेतिया धर्मप्रांत) में सह-पादरी के रूप में अपने पुजारी कार्य की शुरुआत की, और वहां के पैरिश स्कूल के हेडमास्टर के रूप में। 1961 में उन्हें शेखपुर के पैरिश पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया जहाँ उन्होंने पाँच साल तक बड़े प्यार से पैरिश समुदाय की सेवा की। 1966 में उन्हें पैरिश पुजारी के रूप में गुलनी पैरिश के पास भेजा गया, जहाँ 18 वर्षों तक उनकी प्रतिबद्ध देहाती सेवा से उन्होंने ईसाईयों के साथ-साथ गैर-ईसाईयों का भी दिल जीत लिया। पटना धर्मप्रांत को 1984 में जरूरत थी। उन्होंने मनेर में देहाती क्षेत्र को आज भी कृतज्ञ दिलों के साथ याद किया क्योंकि वह उनके देखभाल करने वाले पिता के रूप में थे। 1994 में, उन्हें बाहरी इलाके में ढिबरा मिशन का प्रभारी बनाया गया था। पटना। उन्होंने 1996 तक समुदाय की सेवा की। फिर, वह अपने सक्रिय देहाती मंत्रालय से रिहा हो गए, और इस तरह 1996 में, वह पटना धर्मप्रांत पादरी के घर प्रेरणा में रहने लगे। इस अवसर पर आर्क बिशप ने धन्यवाद किया और कहा कि जब भी वह अस्पताल में भर्ती हुआ तो फादर सेकेइरा की देखभाल के लिए कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के प्रशासक और अस्पताल की सभी नर्सों को धन्यवाद देती हूं। प्रेरणा में रीजेंट, ब्रदर माइकल मंटू के लिए एक विशेष धन्यवाद, जो हमेशा के साथ था। उसकी मदद करने के लिए सेकीरा। फादर को धन्यवाद। उनकी सहायता और सहायता के लिए सेवा केंद्र के निदेशक अमल राज। सुसाई राज, आज की अंतिम संस्कार सेवा की सभी व्यवस्थाओं के लिए कुर्जी पल्ली का एस.जे.ई. पैरिश प्रिस्ट।बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया है। इसके अलावे फादर जोनसन, फादर देवास्या, फादर लौरेंस आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित किए।  

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