पूर्णिया (आर्यावर्त सम्वाददाता) : मजदूर दिवस का मतलब हमेशा गरीबी से नहीं होता हैं। मजदूरी सफलता का अभिन्न अंग है फिर चाहे वह ईंट भट्ठा में काम कर रहा इंसान हो या कार्यालय के दस्तावेजों के बोझ तले दबा एक कर्मचारी। हर वो इंसान जो किसी संस्था के लिए काम करता है और बदले में पैसा लेता है वह मजदूर ही है। उक्त बातें समाज कल्याण सेवा केंद्र के अध्यक्ष राजा बाबू ने श्रीनगर प्रखंड में एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि मजदूरों के अधिकार की लड़ाई के लिए हिंद खेत मजदूर पंचायत और समाज कल्याण सेवा केंद्र क्रियान्वित है। सीमांचल क्षेत्र के मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। रोजगार की तलाश में मजदूर बड़े बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। पलायन करने वाले सबसे अधिक निर्माण श्रमिक होते हैं। निर्माण श्रमिकों की समस्या बहुत ही गंभीर है। दूसरे राज्यों में काम की सुरक्षा स्वास्थ्य की सुरक्षा का कोई व्यवस्था नहीं है मजदूर की कमाई का रुपया भी ठेकेदार मालिक हजम कर लेते हैं। उसका कार्यक्षेत्र भी सुरक्षित नहीं होता है न ही शुद्ध पानी की व्यवस्था मजदूरों के लिए होती और रात्रि विश्राम का घोर अभाव होता है। मजदूरों के अधिकार के प्रति सरकार का रवैया भी ठीक नहीं है। जिस कारण मजदूर अपनी जिंदगी मुफलिसी में ही जीने को मजबूर होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांग सभी मजदूरों को काम की गारंटी दिए जाने, भवन एवं निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों को कार्यस्थल पर पूरी सुरक्षा दिए जाने को लेकर है। इस दौरान हिंद खेत मजदूर पंचायत के सचिव मो सहीम ने कहा कि श्रम कर रहे सभी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच हरेक तीन माह पर होनी चाहिए। मनरेगा श्रमिकों को 150 दिनों की मजदूरी दी जाए, भवन एवं निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के तहत सभी श्रमिकों को घर बनाने के लिए 1 लाख रूपए की सहायता दी जाए। कल्याण बोर्ड में निर्माण श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर औजार खरीदने के लिए 50 हजार और 60 वर्ष पूर्ण होने पर श्रमिकों को कल्याण बोर्ड के तहत 3000 प्रति माह बतौर पेंशन दिए जाएं। इस दौरान नेहरू युवा केंद्र के कार्यक्रम समन्यवक विक्रम कुमार, समाज कल्याण सेवा केंद्र के सदस्य सुबोध कुमार, लाल जी, सोनी देवी, सुशीला देवी व अन्य लोग उपस्थित थे।
गुरुवार, 2 मई 2019
पूर्णिया : मजदूरों के अधिकार के प्रति सरकार का रवैया ठीक नहीं : राजा बाबू
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