पूर्णिया : ..और अब धान की खेती छोड़ मखाने की खेती कर खुशहाल हो रहे किसान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 5 मई 2019

पूर्णिया : ..और अब धान की खेती छोड़ मखाने की खेती कर खुशहाल हो रहे किसान

- धान की खेती से ज्यादा मखाने की खेती में होता है मुनाफा, फसल लगाने में कम लगती है लागत- निचले हिस्से की जमीन में होती है इसकी खेती, कम पानी में हो जाती है इसके बीज की बुआई 
makhana-farming-purnia
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता)  : जिले के पूर्णिया पूर्व प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पंचायत रजीगंज, चांदी, डिमीया छतरजान, बियारपुर, रामपुर, गौरा, विक्रमपुर, महाराजपुर, भोगा करियात, हरदा, कवैया पंचायतों में मखाने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। किसान धान की खेती छोड़ मखाने की खेती पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। धान के अपेक्षा मखाने में अधिक मुनाफा हो रहा है। वैसे मखाने की खेती बहुत रिस्क वाली खेती होती है। मखाना की बुआई कीचड़युक्त जमीन में की जाती है। जैसे जैसे पौधा बढ़ता है उस तरह उसमें पानी की मात्रा दी जाती है। अगर पानी की कमी हो तो पौधा के जलने का डर रहता है। पूर्णिया पूर्व के किसान बड़े पैमाने पर मखाना की खेती कर रहे हैं। लगभग 15 से 20 हेक्टर की जमीन में मखाना की खेती हो रही है। कमलीबाड़ी के किसान मो मुमताज, शमशेर अली ने बताया कि पिछले सीजन में मखाने की खेती की थी तो फायदा हुआ था। यही सोच कर इस सीजन में भी ज्यादे जमीन पर मखाने की बुआई की है। उन्होंने बताया कि इसकी खेती निचले गड्ढायुक्त जमीन में की जाती है। जिससे पानी की कम आवश्यकता होती है एवं बरसात के दिनों में इसे पानी की पूर्ति हो जाती है। उन्होंने बताया कि मखाने की खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा होता है। वहीं धनगामा उचितपुर शेखपुरा के किसान हरिदास, अताउल, मो रशीद, मो मंसूर, जमशेद, खुर्शीद, फजलुर रहमान, कैलाश राय, त्रिभुवन राय, रामकृपाल, देवेंद्र राय, अब्दुल गनी, जिवेंद्र राय कहते हैं कि पहले धान की फसल खेतों में लगाते थे लेकिन मुनाफा कम होता था। जबसे मखाने की खेती शुरू की है तबसे हमारे घरों में खुशहाली आई है। वहीं प्रखंड कृषि पदाधिकारी रमेश राम ने बताया कि मखाने की खेती के लिए अभी सरकार की ओर से कोई योजना संचालित नहीं है और मेरे पास इसका पूर्ण आंकड़ा भी नहीं है। किसान अगर वृहत पैमाने पर इसकी खेती करते हैं और इसमें किसानों को मुनाफा होता है तो कृषि विभाग इस दिशा में किसानों पर ध्यान देगा और उसे प्रोत्साहित करने के लिए विभाग पहल करेगा।

कोई टिप्पणी नहीं: