बिहार : बायसी में अमन चैन की दुआ के साथ रोजेदारों ने की दूसरे जुमे की नमाज अदा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 17 मई 2019

बिहार : बायसी में अमन चैन की दुआ के साथ रोजेदारों ने की दूसरे जुमे की नमाज अदा

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बायसी (आर्यावर्त संवाददाता) : पवित्र रमजान माह के दूसरे जुमे पर हजारों की संख्या में अकीदतमंदों ने बायसी अनुमंडल क्षेत्र के जामा मस्जिद, तंजीम मुस्लमीन मदरसा, दारूल उलूम मुस्तफिईया यासीनिया मदरसा सहित सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा की। जामा मस्जिद बायसी अंदर बाजार, पश्चिम चौक, चरैया पंचायत, बनगामा, आसजा मवैया, श्रीपुर मल्लाह टोली, गांगर, पुरानागंज, सुगवा महानंदपुर, पुरानागंज, हरिणतोड़, मल्हरिया, खपड़ा, चोपड़ा, चंद्रगामा, खूटिया, मीनापुर के सभी मस्जिदों में नमाज अदा की। दारूल उलूम मुस्तफिईया यासीनिया मदरसा के मौलाना सकील अहमद ने जुमे की नमाज अदा कराई। साथ ही देश की तरक्की व अमनों चैन की दुआ कराई। नमाज से पूर्व पेश अहमद ने रस्मों रिवाज पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज में दिखावे का चलन तेजी से फैल रहा है जो कि किसी भी सूरत में समाजहित में नहीं है। उन्होंने कहा कि दिखावा करने से समाज के उन लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है जो अपने को दूसरों के बराबर दिखाने को कर्ज लेते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। साथ ही यह दुआ की कि देश तरक्की की राह पर अग्रसर हो। उन्होंने नमाज में गैर मुस्लिम लोगों के सहयोग के लिए आभार भी जताया। जामा मस्जिद के अलावा क्षेत्र के तमाम मस्जिदों में लोगों ने जुमे की नमाज अदा की। ग्रामीण नूरसीद रजा ने बताया यह रहमतों और बरकतों वाला महीना है। जिसमें अल्लाह शैतान को कैद कर देता है। जिससे वह लोगों की इबादत में खलल न डाल सके। इस माह-ए-मुबारक में अल्लाह की रहमत खुलकर अपने बंदों पर बरसती है। रमज़ान-उल-मुबारक में हर नेकी का सवाब 70 गुना हो जाता है। हर नवाफिल का सवाब सुन्नतों के बराबर और हर सुन्नत का सवाब फर्ज के बराबर हो जाता है। इस तरह सभी फर्ज का सवाब भी 70 गुना हो जाता है। रसूल सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमाया है कि अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरों में बांटा है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है। जो एक से 10 रमज़ान में आता है। यानी पहले अशरे में खुदा की रहमत अपने बंदों पर नाजिल होती है। इस दौरान नूरसीद रजा, हाजी मतिउर रहमान, मो फैयाज आलम, मो उरसीद रेजा, मौलाना फैजान रजा, मौलाना खलीलूर रहमान आदि का विशेष योगदान रहा।

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