लोकसभा चुनाव में भाजपा का असली चेहरा पूरी तरह बेनकाब. बिहार में भाजपा-जदयू के खिलाफ चुनाव में जनता के आक्रोश की होगी अभिव्यक्ति.अंतिम चरण के चुनाव में भाजपा-जदयू को करारी शिकस्त दंे. बेगूसराय में सीपीआई नेता की हत्या की निंदा
पटना 17 मई 2019 लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया है. अब यह साफ हो गया है कि भाजपा एक अलग किस्म की पार्टी है और पूरी तरह से एक फासीवादी पार्टी है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, पेरियार और लेनिन के बाद बाद अब ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति पर हमला किया गया है. ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ कर भाजपा ने साबित कर दिया है कि वह पूरी तरह से तोड़फोड़ और तहस-नहस करने वाली पार्टी है. भाजपा के लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बतला रहे हैं. गांधीजी के हत्यारों के समर्थकों को प्रधानमंत्री ट्विटर पर फॉलो करते हैं . भाजपा ने पहले कहा कि गोडसे आतंकवादी नहीं थे, फिर कहा असली राष्ट्रवादी थे और अब कह रहे हैं कि हर भारतीय के अंदर एक गोडसे बसता है. एक आतंकवादी और महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताना भाजपा के असली मंसूबे को व्यक्त करता है. मोदी भक्तों की पार्टी दरअसल गोडसे भक्तों की पार्टी है. भाजपा के लिए देशभक्ति का नारा गोडसे भक्ति की धारा है . ईश्वर चंद्र विद्यासागर भारतीय पुनर्जागरण व समाज सुधार आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर में एक हैं. उन्होंने गैर ब्राह्मणों और स्त्रियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खुलवाए. विधवाओं के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और 1856 में विधवा विवाह कानून बनाने में सफलता पाई. जाहिर है ऐसे प्रगतिशील समाज सुधारक रूढ़िवादियों को कतई बर्दाश्त नहीं होंगे. भाजपा जैसी रूढ़ीवादी- फासीवादी पार्टी इसीलिए अंबेडकर, पेरियार, लेनिन के बाद ईश्वर चंद्र विद्यासागर मूर्ति को निशाना बना रही है. बाबरी मस्जिद के विध्वंस से लेकर अब तक भाजपा का इतिहास केवल तोड़-फोड़ और दंगा-फसाद का इतिहास रहा है. सांस्कृतिक मोर्चे से लेकर आर्थिक मोर्चे पर तबाही मची हुई है. नोटबंदी और जीएसटी के द्वारा छोटे कारोबारियों और आम लोगों के जीवन को तहस-नहस कर दिया गया और विडंबना यह है कि इसी को विकास बताया जा रहा है. यह दिखावटी विकास है. दरअसल भाजपा के शासन में केवल और केवल विनाश हुआ है . बिहार के चुनाव प्रचार में मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार के खिलाफ व्यापक आक्रोश दिख रहा है. जनता में मोदी सरकार से मुक्ति का संकल्प दिखाई पड़ रहा है. बिहार की विश्वासघाती नीतीश सरकार के खिलाफ भी चरम आक्रोश है जिसकी अभिव्यक्ति चुनाव में दिखेगी. आज देश के पैमाने पर दलित, मजदूर, किसान, न्याय पसंद नागरिक और संविधान परस्त लोग अपनी एकता के बल पर भाजपा को पीछे धकेलने का काम कर रहे हैं। बिहार में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जैसी घटनाएं बिहार की बेटियों-बहनों को आंदोलित किए हुए है और उनका एक-एक वोट भाजपा-जदयू के खिलाफ जा रहा है. समान काम के लिए समान वेतन के सवाल पर नियोजित शिक्षक मोदी-नीतीश सरकार के शिक्षक विरोधी भूमिका से आहत हैं. वे चुनाव में नीतीश सरकार को सबक सिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सम्मानजनक रोजगार के लिए छात्र-नौजवान लड़ रहे हैं. स्कीम वर्कर भी सरकार को सबक सिखाने का काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने कभी गरीबों को जमीन देने की बात कही थी हालांकि उन्होंने भूमि सुधार आयोग की सिफारिश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया था, लेकिन आज उसके उलट गरीबों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है और वहबुलडोजर की सरकार में तब्दील हो गई है. इस विश्वासघात के खिलाफ बिहार के गरीबों ने भाजपा- जदयू को सबक सिखाने का मन बना लिया है. अंतिम चरण के चुनाव में आरा, काराकाट और जहानाबद से माले के उम्मीदवार हैं. आरा सीट पर माले उम्मीदवार राजू यादव को राजद और महागठबन्धन का समर्थन हासिल है. वहीं, पाटलिपुत्र से महागठबन्धन समर्थित राजद की उम्मीदवार मीसा भारती और पटना साहिब से महागठबंधन समर्थित कांग्रेसी उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव के मैदान में हैं. इन लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओ से अपील है कि इन तमाम सीटों पर 19 मई को वोट करें और भाजपा-जदयू की करारी हार को सुनिश्चित करें. काराकाट से किसान आंदोलन के चर्चित नेता व अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव काॅ. राजाराम सिंह और जहानाबाद से महिला आंदोलन की चर्चित नेत्री कंुती देवी के चुनाव के मैदान में हैं. हमारी अपील है कि इन आवाजों को संसद में पहंुचाने का काम करें. बेगूसराय में विगत दिन एक सीपीआई के नेता की पीट-पीट कर की गई हत्या बेहद निंदनीय है. माले महासचिव व अन्य नेताओं ने भोजपुर के नवादा बेन में सामंती ताकतों द्वारा चाकू मारकर घायल कर दिए गए विशाल पासवान से भी मुलाकात की.
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